विकास के पुरोधा थे-आचार्य श्री तुलसी – प्रो. साध्वी श्री मंगलप्रज्ञा

32 वां विकास महोत्सव मनाया
सूरत। सिटीलाइट तेरापंथ भवन में प्रोफेसर साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी के सानिध्य में आयोजित विकास महोत्सव पर सोमवार को अपने उद्गार में साध्वीश्रीजी ने कहा -कि आचार्य श्री तुलसी अपने सैद्धान्तिक निर्णयों के प्रति सदैव अडिग रहे हैं। उन्होंने अपने आचार्यत्व का विसर्जन कर आचार्य श्री महाप्रज्ञ को उत्तराधिकार सौंपा। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने गुरुदेव तुलसी की विकास की अपूर्व कथा को साश्वत रखने के लिए “विकास महोत्सव” के रूप में एक लोकप्रिय, स्मरणीय त्यौहार प्रदान कर दिया।
साध्वीश्री जी ने कहा- आचार्यश्री तुलसी, पुरुषार्थ, पराक्रम के द्वारा सफलता के शिखर पर आरुढ़ हो गए। संघ, देश-विदेश के नाम समर्पित आयामों का परचम फहराया। अनेक प्रतिभाओं का निर्माण किया। महाप्रज्ञ जैसे प्रज्ञावान शिष्य तेरापंथ संघ को वरदान स्वरुप मिले। प्रलम्ब यात्राएं, समृद्ध साहित्य भण्डार, विशाल जनसम्पर्क ने तेरापंथ संघ को विकास के शिखर चढ़ा दिया। संख्या कम होने के बावजूद क्वालिटी बेजोड़ है।
आचार्य तुससी विरले महापुरुष है जिन्होंने अपनी जिन्दगी के हर दशक को बुलंद हौंसले के साथ जीय। हर परिस्थिति के साथ समझोता किया, और विजय श्री का वरण किया।
साध्वीश्री प्रो. मंगल प्रज्ञा जी के अपने अनेक अनुभवों को साझा करते हुए कहा- मेरा सौभाग्य रहा – मुझे उस महान विभूति का नेकट्य सान्निध्य प्राप्त हुआ। साधना, उपासना-शिक्षा का अवसर मिला। उनकी वत्सलता, मार्गदर्शन का मेरे विकास में महनीय है। योग है। उनकी शक्ति, ऊर्जा से सर्देव कदम गतिमान रहे।
साध्वी अतुलयशाजी ने कहा गुरुदेव श्री तुलसी-द्वारा प्रदत्त आयाम जन-जन के लिए प्रवल सम्बल है, विकास का आधार है।
तेरापंथ महिला मण्डल सूरत ने समवेत स्वर में मधुर संगान किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी सुदर्शनप्रभाजी ने किया।




