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आत्मा को दुरात्मा बनने से बचाने का प्रयास करे मानव : मानवता के मसीहा महाश्रमण

वेद मंदिर में पावन प्रवास, जन-जन आशीष से हुआ लाभान्वित

अहमदाबाद के कांकरिया-मणिनगर में पधारे ज्योतिचरण

-स्थानीय श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य के समक्ष दी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति

25.06.2025, बुधवार, अहमदाबाद।जन-जन के मानस को तृप्ति प्रदान करने के लिए, अहमदाबाद को आध्यात्मिकता व सद्विचारों से भावित करने को यात्रायित जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, महातपस्वी, अखण्ड परिव्राजक, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी बुधवार को अहमदाबाद नगर के पालडी से गतिमान हुए। श्रद्धालु जनता अपने आराध्य के चरणों का अनुगमन कर रही थी। विहार मार्ग में आने वाले अनेक तेरापंथी परिवारों सहित अन्य जैन एवं जैनेतर लोगों के मकान, दुकान, व्यापारिक प्रतिष्ठान आदि के सम्मुख उन्हें महातपस्वी आचार्यश्री के दर्शन व श्रीमुख से मंगलपाठ श्रवण का सौभाग्य भी प्राप्त हो रहा था। अहमदाबादवासी मानों जैसे ही जग रहे थे, अपने आराध्य के दर्शनार्थ उपस्थित हो जा रहे थे। आज आचार्यश्री अहमदाबाद कांकरिया-मणिनगर क्षेत्र में पधार रहे थे। कांकरिया में अहमदाबाद की सबसे बड़ी झील है, जो लगभग ढाई किलोमीटर में वृत्ताकार रूप में फैली हुई है। इसके मध्य नगीनावाडी बनी हुई है। इस झील के आसपास चिड़ियाघर आदि अनेक पर्यटकों की दृष्टि से बनी हुई चीजें हैं, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। आचार्यश्री लगभग पांच किलोमीटर का विहार कर कांकरिया-मणिनगर में स्थित वेद मंदिर में पधारे। क्षेत्र के लोगों ने आचार्यश्री का भावपूर्ण स्वागत किया।

वेद मंदिर परिसर में आयोजित मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित श्रद्धालु जनता को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि जैनागम में कहा गया है कि व्यक्ति की आत्मा दुरात्मा बन जाती है तो वह उसकी सबसे बड़ी शत्रु बन जाती है। एक कोई शत्रु काट काटकर भी उतना नुक्सान नहीं कर पाता, जितना बड़ा नुक्सान अपनी दुरात्मा बनी हुई आत्मा करती है। जो आदमी जीवन में पाप ज्यादा करता है, दुरात्मा बन जाता है। कई बार मृत्यु के पहले उसे पश्चाताप होता है कि अब मेरा क्या होगा, मेरी अगली गति क्या होगी? इसलिए आदमी को यह प्रयास करना चाहिए कि उसकी आत्मा कभी दुरात्मा न बने। बने तो सदरात्मा व महात्मा बनने का प्रयास करे और संभव हो सके तो परमात्मा भी बनने का प्रयास किया जा सकता है। प्रश्न हो सकता है कि कैसी आत्मा दुरात्मा होती है?

मिथ्यात्व से आक्रांत आत्मा भी दुरात्मा होती है। स्थूल भाषा में कहें तो हिंसा-हत्या करने वाला, लूटपाट करने वाला, धोखाधड़ी करने वाला, कदाचार करने वाले की आत्मा दुरात्मा होती है। दुनिया में सज्जन आदमी भी मिलते हैं तो कई दुर्जन भी मिलते हैं।

दुर्जन व सज्जन के विषय में बताया गया है कि एक दुर्जन के पास विद्या, बुद्धि, बल, धन होता है तो वह अपने विद्या बल का उपयोग विवाद पैदा करने में करता है। अपनी बुद्धि द्वारा किसी कार्य को और उलझाने का काम करता है। बल से किसी को कष्ट देने, तकलीफ देता है। धन होता है तो उससे वह उसका घमंड करता है। विद्या से विवाद बढ़ाए, धन का घमंड करे और शरीर बल के द्वारा दूसरों को पीड़ित करने वाला दुर्जन होता है। इसके विपरीत सज्जन आदमी के पास विद्या है तो वह इसका उपयोग दूसरों को ज्ञान देने में, स्वयं का ज्ञान को और बढ़ाने का प्रयास करता है। सज्जन के पास धन है तो वह दान करता है, दूसरों का सहयोग करता है, परोपकार का कार्य करता है। सज्जन के पास शारीरिक शक्ति होती है तो वह उसका उपयोग किसी की सेवा, सहायता में करता है।

इसलिए शास्त्र में कहा गया है कि दुरात्मा बनी आत्मा जितना बड़ा नुक्सान करती है, उतना नुक्सान तो कोई गला काटने वाला शत्रु भी नहीं करता है। इसलिए आदमी अपनी आत्मा को दुरात्मा बनने से बचने का प्रयास करना चाहिए और प्रयास ही स्वयं की आत्मा सदात्मा, महात्मा बने और संभव हो सके तो परमात्मा बनने की दिशा में भी प्रयास किया जा सकता है।

आचार्यश्री ने कहा कि आज हमारा कांकरिया-मणिनगर में आना हुआ है और वेद मंदिर में प्रवास हो रहा है। चार वेद बताए गए हैं तो यह वेद मंदिर है। यहां हमारी साध्वी रामकुमारीजी (सरदारशहर) जो जीवन के दसवें दशक में चल रही हैं। इस एरिया में उनके कितने चतुर्मास होते आ रहे हैं। साध्वीजी खूब चित्त समाधि में रहें। साध्वी रामकुमारीजी की सहवर्ती साध्वी आत्मप्रभाजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए।

कई महीनों बाद गुरु सन्निधि में मुनिश्री धर्मरुचिजी गुरुदर्शन को पहुंचे तो आचार्यश्री अपने से रत्नाधिक संत की अगवानी में पहुंचे व नीचे विराजकर वंदना की मुद्रा में सुखपृच्छा इत्यादि की। दोनों ओर से विनय का आध्यात्मिक सदुपयोग देख जनता भावविभोर नजर आ रही थी।

स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री चंपालाल गांधी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। स्थानीय ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला की ओर संकल्पों की भेंट गुरुचरणों में अर्पित की गई। तेरापंथ कन्या मण्डल ने गीत का संगान किया। श्रीमती संतोषदेवी बरड़िया ने भी गीत का संगान किया। तेरापंथ समाज कांकरिया-मणिनगर तेरापंथ समाज ने भी सामूहिक रूप से गीत का संगान किया।

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