भव्य एवं आध्यात्मिक रूप में समायोजित हुआ तेरापंथ धर्मसंघ का 32वां विकास महोत्सव
विकास महोत्सव की पृष्ठभूमि में त्याग व विसर्जन की भावना : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

–साध्वीप्रमुखाजी व साध्वीवर्याजी ने विकास महोत्सव पर जनता को किया उद्बोधित
-आचार्यश्री ने चतुर्मास के उपरान्त साधु-साध्वियों व समणियों विहार आदि के दिए निर्देश
-शांतिदूत की मंगल सन्निधि में योगक्षेम वर्ष के लोगो का हुआ अनावरण
01.09.2025, सोमवार, कोबा, गांधीनगर।कोबा स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में विराजमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में सोमवार को 32वें विकास महोत्सव का भव्य एवं आध्यात्मिक रूप में समायोजन किया गया। तेरापंथ धर्मसंघ के नवमें अधिशास्ता गणाधिपति गुरुदेव तुलसी के पट्टोत्सव को विकास महोत्सव के रूप में समायोजित किया जाता है।
सोमवार को ‘वीर भिक्षु समवसरण’ में उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ के मध्यम युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ विकास महोत्सव के कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। इस संदर्भ में तेरापंथ महिला मण्डल-अहमदाबाद ने गीत का संगान किया। साध्वीवृंद ने भी विकास महोत्सव के अवसर पर गीत को प्रस्तुति दी। विकास परिषद के संयोजक श्री मांगीलाल सेठिया व श्री पदमचंद पटावरी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। मुनि कुमारश्रमणजी ने भारत के गृहमंत्री श्री अमित शाह के आगमन व उनसे आचार्यश्री से हुई वार्ता के संदर्भ में अवगति प्रदान की।

साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने विकास महोत्सव पर समुपस्थित जनता को उद्बोधित किया। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने विकास महोत्सव के अवसर पर समुपस्थित जनता को संबोधित कर उत्प्रेरित किया। महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने इस अवसर पर चतुर्विध धर्मसंघ को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ में दो महोत्सव वर्तमान में मनाए जा रहे हैं- वर्धमान महोत्सव जो शेषकाल में मनाया जाता है और विकास महोत्सव चतुर्मास के दौरान मनाया जाता है। यह विकास महोत्सव एक तिथि से जुड़ा हुआ है। इसकी देन में दो का योग है- आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञजी। परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी ने आचार्य पद को छोड़ दिया। हालांकि तेरापंथ की परंपरा में आचार्य पद जीवन पर्यन्त रहने वाला पद है, किन्तु उन्होंने इस पद का संघहित में अपने पद का विसर्जन करते हुए युवाचार्यश्री महाप्रज्ञजी को आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया। इस विकास महोत्सव की पृष्ठभूमि में त्याग और विसर्जन की भावना है। आचार्यश्री तुलसी ने कहा कि अब मेरा पट्टोत्सव नहीं मनाया जाएगा। इस पर आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने एक चिंतन दिया कि हम आपका पट्टोत्सव नहीं तो हम इसको विकास महोत्सव के रूप में मनाएंगे। यह गरिमापूर्ण निवेदन और चिंतन परम पूजनीय आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का रहा। दोनों परम पूजनीय आचार्यों के बहुत उन्नत विचारों से यह विकास महोत्सव पैदा हुआ।

आचार्यश्री ने विकास महोत्सव के आधार पत्र जो दोनों आचार्यप्रवरों के हस्ताक्षर से युक्त है- जिसका आचार्यश्री ने वाचन किया। विकास करना है तो उसकी तटस्थ समीक्षा होनी चाहिए। उजाले और अंधेरे पक्ष को देखकर अंधेरे पक्ष को दूर करने का प्रयास अथवा कम करने का प्रयास होना चाहिए। विशेषताओं को स्वीकार करने के साथ-साथ कोई कमजोरी भी है तो उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए। परम पूज्य आचार्यश्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के अंतर्गत यह विकास महोत्सव मना रहे हैं।

आचार्यश्री ने आगे कहा कि साध्वीप्रमुखा कनकप्रभाजी के विशेष योगदान के कारण हमने योगक्षेम वर्ष लाडनूं में करना निर्णीत किया है। 6 फरवरी 2026 को लाडनूं के जैन विश्व भारती में प्रवेश करना है। योगक्षेम वर्ष 19 फरवरी को आचार्यश्री कालूगणी के जन्मदिवस के दिन अर्थात् फाल्गुन शुक्ला द्वितीया को योगक्षेम वर्ष को शुभारम्भ करने का निर्णय किया है। सन् 2027 के मर्यादा महोत्सव के दौरान योगक्षेम वर्ष की सम्पन्नता की घोषणा करने का विचार किया है। यह योगक्षेम वर्ष अच्छे आध्यात्मिक-धार्मिक विकास के रूप में सुसम्पन्न हो, आगे बढ़े, ऐसी मंगलकामना है। विकास परिषद के सदस्य द्वय यहां पहुंचे हैं। धर्मसंघ के साधु, साध्वियां, समणियां, श्रावक-श्राविकाएं, मुमुक्षु श्रेणी आदि सभी धार्मिक-आध्यात्मिक विकास करते रहें। उपासक-उपासिकाओं के इतने ग्रुप्स का पर्युषण के लिए जाना भी विकास की बात है। प्रेक्षाध्यान का वर्ष भी चल रहा है। इसका विदेश में भी कार्य हो रहा है। शिक्षा, संस्कार, स्वास्थ्य, सेवा की भावना आदि सभी में रहें।

इस दौरान आचार्यश्री ने विकास महोत्सव के संदर्भ में स्वरचित गीत का संगान किया तो चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने गुरुदेव का अनुशरण किया। गीत के उपरान्त आचार्यश्री ने साधु-साध्वियों समणियों के चतुर्मास के दौरान विहार-प्रवास से संदर्भित दिशा-निर्देश भी दिए। आचार्यश्री महाश्रमण योगक्षेम वर्ष व्यवस्था समिति-लाडनूं के पदाधिकारियों आदि के द्वारा आचार्यश्री के समक्ष योगक्षेम वर्ष के लोगांे का अनावरण किया गया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ मंे मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। प्रवास व्यवस्था समिति-लाडनूं के अध्यक्ष श्री प्रमोद बैद, जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री अमरचंद लुंकड़ ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री के साथ चतुर्विध धर्मसंघ ने संघगान किया। संघगान के साथ ही 32वें विकास महोत्सव के कार्यक्रम की सुसम्पन्नता की घोषणा वर्तमान अनुशास्ता द्वारा की गई।




