आत्मा के कल्याण हेतु शरीर करें धारण : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
अहमदाबाद प्लेन हादसे में दिवंगत आत्माओं व उनके परिजनों को शांतिदूत का शांति संदे

–लगभग 9 कि.मी. का विहार कर तलोद को पावन बनाने पधारे महातपस्वी महाश्रमण
-साध्वीप्रमुखाजी ने तलोदवासियों को किया अभिप्रेरित
-तलोदवासियों ने अपने आराध्य की अभिवंदना में दी भावनाओं को प्रस्तुति
16.06.2025, सोमवार, तलोद, साबरकांठा (गुजरात)हमारी आत्मा अनंतकाल से इस संसार में है और अनादिकाल से है। आत्मा कब से है, इसका कोई आदि बिन्दु नहीं है। आत्मा शाश्वतकाल से संसार में है और आगे भी रहेगी। ऐसी बात जैनिज्म में बताई गई है। आत्मा, जीव शाश्वत हैं। जितने जीव हैं, उतने ही अनंतकाल बाद भी रहेंगे। यह जैन दर्शन की थ्योरी है। यह पुद्गल जगत भी उसी रूप में रहता है। मानों इस सृष्टि में कुछ नया पैदा नहीं होता। उनके पर्याय का परिवर्तन हो सकता है। समय बदलता है, परिस्थितियां बदलती हैं और रूपान्तरण हो जाता है। जो बच्चा दो वर्ष का जैसा होता है और वह लगभग 52 वर्षों बाद वैसा नहीं होता, उसका रूपान्तरण हो जाता है। वही व्यक्ति यदि 82 वर्ष का हो जाए तो उसके रूप में और भी ज्यादा परिवर्तन हो जाता है।
हमारे भीतर आत्मा है और यह शरीर पुद्गल है। इस शरीर का रूपान्तरण होता है और इसका नाश भी हो जाता है, लेकिन आत्मा के प्रदेश तो बिखरते भी नहीं हैं। अहमदाबाद प्लेन हादसे में कितने लोग कालकवलित हो गए और इतने लोगों में एक बच गया। इस तरह से अकस्मात हो जाना परिजनों के लिए ज्यादा आघातकारी हो सकता है। जन सामान्य के लिए भी दुःखद हो सकता है। नियति का योग कह लें। शरीर का एक दिन विनाश तो होता ही है, किन्तु उनके परिजनों के मन में शांति बनी रहे, मनोबल बना रहे। कालकवलित व्यक्तियों की आत्मा अध्यात्म की दृष्टि से ऊर्ध्वारोहण करे और उनकी आत्मा में शांति रहे, ऐसी मंगलकामना करते हैं। इस संदर्भ में आचार्यश्री दिवगंत आत्माओं की शांति के लिए थोड़े समय के लिए प्रेक्षाध्यान का भी प्रयोग कराया।
आचार्यश्री ने आगे कहा कि प्रश्न हो सकता है कि आदमी इस शरीर को क्यों धारण करें? उत्तर दिया गया कि आत्मा के कल्याण के लिए इस शरीर को धारण करना चाहिए। शरीर ही साधना में सहायक बनता है। शरीर है तो साधुपना और श्रावकपना पलता है। इस शरीर के धारण करने का मूल लक्ष्य कर्मों की निर्जरा करने और आत्मा के कल्याण का होना चाहिए। परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत आन्दोलन, जीवन विज्ञान, प्रेक्षाध्यान, आगम संपादन आदि का कार्य प्रारम्भ हुआ। गुरुदेव के अणुव्रत का सार तीन बातों में आ जाता है- सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति। आदमी को सभी प्राणियों के प्रति मैत्री भावना रखने का प्रयास हो। आदमी जो भी कार्य करे, उसमें ईमानदारी, नैतिकता रखने का प्रयास करे और नशा से मुक्त जीवन हो। ये बातें मानव जीवन के लिए कल्याणकारी हो सकती हैं। परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी तलोद में 42 वर्ष पूर्व पधारे थे और इस बार हमारा सन् 2025 में आना हो गया है। यहां के लोगों में धर्म की भावना बनी रहे। इस मानव जीवन का धार्मिक दृष्टि से लाभ उठाएं, यह कल्याणकारी हो सकता है।
उक्त पावन पाथेय व अहमदाबाद प्लेन हादसे में दिवंगत आत्माओं व उनके परिजनों के शांतिमय संदेश सोमवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें देदीप्यमान महासूर्य, युगप्रधान, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने तलोद में स्थित सचेतानगर में स्थित चंपा-केशव विशामो में आयोजित प्रातःकालीन मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रदान किया। आचार्यश्री की अमृतवाणी का श्रवण, दिवंगत आत्माओं के लिए शांति संदेश व अपने लिए मंगल आशीष प्राप्त कर तलोदवासी धन्यता की अनुभूति कर रहे थे।
इसके पूर्व प्रातःकाल की मंगल बेला में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने हरसोल से गतिमान हुए। जन-जन को मंगल आशीष से लाभान्वित करते हुए आचार्यश्री ने जैसे ही तलोद की धरा पर अपने कदम रखे तो अपने आराध्य की अभिवंदना में सोत्साह उपस्थित श्रद्धालुओं ने बुलंद जयघोष किया। स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री महाश्रमणजी करीब न किलोमीटर का विहार कर तलोद में स्थित सचेतानगर में स्थित चंपा-केशव विशामो में एकदिवसीय प्रवास के लिए पधारे।
आचार्यश्री के पावन पाथेय के उपरान्त साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने तलोदवासियों को उत्प्रेरित किया। आचार्यश्री ने तलोद से संबंधित समणीवृंद व मुनिजी को भी मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री के स्वागत में स्थानीय तेरापंथ समाज की ओर से श्री मुकेश बाबू, उत्तर गुजरात तेरापंथ समाज के अध्यक्ष श्री गणपतलाल दूगड़, श्री चेतन दूगड़, श्री प्रिंस चपलोत, श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज के अध्यक्ष श्री सतीश शाह, वर्धमान स्थानकवासी समाज के अध्यक्ष श्री भेरूलाल धाकड़, श्रीमती रिंपल देसरड़ा, श्रीमती निकिता चपलोत व श्री भरत ब्रह्मभट्ट आदि ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। बालक कियान चपलोत ने अपनी बालसुलभ प्रस्तुति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।