
सूरत।सूरत में लगातार दूसरे दिन भी खाड़ी की बाढ़ की समस्या जस की तस बनी हुई है। स्मार्ट सिटी के दावे करने वाले शहर में हालात स्थिर नहीं, बदतर हो चुके हैं। जनजीवन अस्त-व्यस्त है और नगर निगम सहित जिम्मेदार तंत्र के पास कोई समाधान नहीं दिखता। लगातार सातवें वर्ष खाड़ी क्षेत्र जलमग्न हुआ है और खाड़ी की सफाई (ड्रेजिंग) पर खर्च किए गए 40 करोड़ रुपये भी बेकार साबित हुए हैं।
पिछले वर्ष सूरत नगर निगम ने दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा अर्बन फॉरेस्ट खाड़ी किनारे विकसित करने की शुरुआत की थी। खाड़ी के दोनों किनारों की जमीन को “ग्रीन लंग्स” के रूप में विकसित करते हुए ‘वाइल्ड वैली बायोडायवर्सिटी पार्क’ की योजना पर कार्य हुआ। दावा किया गया था कि मानसून में खाड़ी में संग्रहित वर्षा जल का उपयोग बागवानी, तलबों और अन्य प्रयोजनों में होगा। फाइटोरिमिडिएशन तकनीक से पानी का प्रदूषण घटेगा और दुर्गंध दूर होगी। लेकिन 150 करोड़ की लागत से बने पार्क में अब खाड़ी का गंदा पानी भर गया है, जिससे वॉकिंग ट्रैक, चिल्ड्रन पार्क और वनस्पति क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं।
बीते दो दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण सीमाडा खाड़ी ओवरफ्लो हो चुकी है, जिससे लिंबायत, वराछा, सरथाणा और अठवा ज़ोन के कई खाड़ी किनारे क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं। हाल ही में ड्रेजिंग पर खर्च हुए 40 करोड़ की उपयोगिता पर भी सवाल उठने लगे हैं। पानी की निकासी का कोई असर ज़मीनी हकीकत में नज़र नहीं आ रहा।
सणिया हेमाद गांव पूरी तरह पानी में डूबा हुआ है। पहले दिन की तुलना में आज जलस्तर में और वृद्धि हुई है। गांव का मंदिर तक पानी में डूब गया है और अनुमानित 10 फीट तक पानी भरा हुआ है। अब तक 10 से अधिक लोगों को बोट से रेस्क्यू किया गया है। राहत कार्य में फायर विभाग और पूर्व सरपंच की टीम जुटी हुई है, लेकिन सरकारी एजेंसियों की कोई सक्रिय उपस्थिति नज़र नहीं आ रही।
गीतानगर, पर्वत गांव, भाटी इलाका और रघुकुल टेक्सटाइल मार्केट सहित कई क्षेत्रों में पानी कम होने के बजाय और बढ़ता जा रहा है। लोग अपने ही घरों में कैद होकर रह गए हैं, वाहन जलमग्न हैं और नागरिक सुविधाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं।
भाटी के मुक्तिधाम (हिंदू श्मशान) में भी पानी भर गया है और वहां जाने वाला मुख्य मार्ग पूरी तरह डूब चुका है। खाड़ी का पानी दोनों ओर बहता हुआ आसपास के रिहायशी इलाकों में घुस गया है। रघुकुल टेक्सटाइल मार्केट में खाड़ी का पानी भरने से करोड़ों का नुकसान हुआ है। एक हजार से अधिक दुकानों में पानी भरने का अनुमान है और व्यापारी नगर निगम पर बेहद नाराज हैं।
व्यापारियों का कहना है कि मनपा ने प्री-मानसून की तैयारी ठीक से नहीं की और सूरत को बाढ़ से बचाने के लिए जो दावे किए गए थे, वे पूरी तरह विफल साबित हुए हैं।