
1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे टीडीएस के नए नियम, जानिए क्या हुए बदलाव
नई दिल्ली।(नारायण शर्मा)सरकार ने टीडीएस के नियमों में कई अहम बदलाव किए हैं, जो 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे। नए नियमों के तहत प्रत्येक टैक्सपेयर्स को संशोधित प्रावधानों के अनुसार टीडीएस काटना होगा। ये बदलाव खासतौर पर पार्टनरशिप फर्म, सीनियर सिटीजन, किराए, दलाली और प्रोफेशनल फीस से जुड़े हुए हैं।
1. पार्टनरशिप फर्म के लिए नया सेक्शन
194T सरकार ने पार्टनरशिप फर्मों के लिए नया सेक्शन 194T लागू किया है। इसके तहत यदि कोई फर्म अपने पार्टनर को वेतन, दलाली, बोनस या पूंजी पर ब्याज का भुगतान करती है, तो 10% की दर से टीडीएस काटना अनिवार्य होगा।
2. सीनियर सिटीजन की एफडीआर पर टीडीएस (सेक्शन 194A)
बैंक या पोस्ट ऑफिस की एफडीआर पर: यदि किसी सीनियर सिटीजन को 1 लाख रुपये से अधिक का ब्याज प्राप्त होता है, तो उस पर टीडीएस कटेगा।फर्मों से ब्याज पर: पहले 5,000 रुपये से अधिक ब्याज पर टीडीएस लगता था, लेकिन अब यह सीमा 10,000 रुपये कर दी गई है। इससे अधिक ब्याज मिलने पर 10% की दर से टीडीएस काटा जाएगा।
3. दलाली भुगतान पर टीडीएस (सेक्शन 194H)
पहले दलाली पर टीडीएस की सीमा 15,000 रुपये थी।अब यदि किसी को 20,000 रुपये से अधिक की दलाली दी जाती है, तो उस पर 2% की दर से टीडीएस कटेगा।
4. किराए पर टीडीएस (सेक्शन 194I)
पहले पूरे साल में 2,40,000 रुपये से अधिक के किराए पर टीडीएस लगता था।अब यदि कोई व्यक्ति 50,000 रुपये प्रति माह या उससे अधिक किराया देता है, तो टीडीएस काटा जाएगा।
5. प्रोफेशनल फीस पर टीडीएस (सेक्शन 194J)
पहले यदि किसी सीए (CA) या अन्य पेशेवर को 30,000 रुपये से अधिक की फीस दी जाती थी, तो टीडीएस काटा जाता था।अब यह सीमा 50,000 रुपये कर दी गई है। यानी अब 50,000 रुपये से अधिक फीस देने पर ही टीडीएस काटा जाएगा।
6. आईटीआर न भरने पर हाई रेट टीडीएस का नियम खत्म
सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह किया गया है कि सरकार ने आईटीआर (ITR) न भरने वालों पर उच्च दर से टीडीएस काटने के नियम को पूरी तरह समाप्त कर दिया है।
पहले इस प्रावधान के कारण व्यापारियों और करदाताओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। सरकार ने इसे हाल ही में पेश किए गए बजट 2025 में पूरी तरह हटा दिया है।
नए नियमों के अनुसार टैक्सपेयर्स को क्या करना होगा?
1. नए टीडीएस नियमों को समझें और अपने लेन-देन के अनुसार टैक्स कटौती करें।
2. पार्टनरशिप फर्म, किराए, ब्याज और प्रोफेशनल फीस से जुड़े बदलावों को ध्यान में रखें।
3. आईटीआर भरने की बाध्यता अब नहीं है, लेकिन समय पर रिटर्न फाइल करना बेहतर होगा।
सरकार द्वारा किए गए इन बदलावों से टैक्स सिस्टम को अधिक पारदर्शी और सरल बनाने की कोशिश की गई है, जिससे टैक्सपेयर्स को राहत मिल सके।