सूरत में श्रुतभक्ति द्वारा तीर्थभक्ति का भावपूर्ण आयोजन: पाश्र्व पंच कल्याणक पूजा का गायन

सूरत। ग़ोपीपुरा महातीर्थ स्थित प्राचीन श्री महावीर स्वामी भगवान के जिनालय में आयोजित 422वीं सालगिरह महोत्सव के अंतर्गत एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक आयोजन का साक्षी बना सूरत शहर। इस अवसर पर भाईयों के मंडल द्वारा सहर्ष पहली बार श्रुतभक्ति के माध्यम से तीर्थभक्ति में प्राण फूंकने का विशिष्ट प्रयास किया गया।आयोजन में पंडित श्री वीर विजयजी महाराज द्वारा रचित श्री पाश्र्व पंच कल्याणक पूजा को शास्त्रीय संगीत की राग-आलाप-तराना से अलंकृत कर भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया गया। पारंपरिक वेशभूषा में सजे बड़ी संख्या में भाईजनों ने इस पूजा में भाग लिया और प्राचीन श्रुत ज्ञान को जीवंत करने का संकल्प दोहराया।इस पुण्य कार्य में श्री वीरशासन ग्रुप, सूरत तथा पाघड़ी मंडल का विशेष योगदान रहा। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वूपर्ण रहा बल्कि जैन परंपरा की प्राचीन शैली और संगीत साधना को भी जीवंत करता प्रतीत हुआसंपूर्ण आयोजन सुप्रसिद्ध श्रावक श्री निकेशभाई संघवी एवं उनके सुपुत्र श्री प्रियांकभाई संघवी के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। उनके नेतृत्व में वीरशासन ग्रुप द्वारा पाघड़ी मंडल की भी विधिवत स्थापना की गई, जो भविष्य में श्रुतभक्ति के ऐसे आयोजन को सतत दिशा प्रदान करेगा।इस ऐतिहासिक प्रस्तुति ने श्रुत ज्ञान, भक्ति और तीर्थभावना के समन्वय से सभी श्रद्धालुओं को एक अलौकिक आध्यात्मिक अनुभूति कराई।