महातपस्वी महाश्रमण के दर्शन को पहुंचे गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल
अकिंचनता की दिशा में प्रस्थान करे मानव : मानवता के मसीहा महाश्रमण

-मंगल आशीर्वाद व पाथेय से लाभान्वित हुए मुख्यमंत्री*
-आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की 105वीं जन्मजयंती पर भारत सरकार के स्मारक सिक्के का लोकार्पण
-साध्वीप्रमुखाजी ने जनता को किया उद्बोधित
-ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने दी अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति, अपने आराध्य से प्राप्त किया आशीष
17.08.2025, रविवार, कोबा, गांधीनगर।
गुजरात की राजधानी गांधीनगर के कोबा में वर्ष 2025 का चतुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में रविवार को गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल भी पहुंचे। वे आचार्यश्री के प्रवास स्थल में पहुंचे और वहां विराजमान आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री का उनसे संक्षिप्त वार्तालाप का क्रम भी रहा। आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद व पावन पाथेय प्राप्त करने के उपरान्त मुख्यमंत्री अपने गंतव्य की ओर रवाना हो गया। इसके पूर्व शनिवार को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में प्रसिद्ध पत्रकार श्री पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ भी पहुंचे और आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। रविवार को आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में तेरापंथ धर्मसंघ के दसमाधिशास्ता, प्रेक्षा प्रणेता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के 105वें जन्म जयंती के संदर्भ में 100 रुपए का चांदी का स्मारक सिक्का भी जारी किया गया। जिसे आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों व आरबीआई के क्षेत्रीय पदाधिकारियों द्वारा लोकार्पित किया गया।
रविवार को मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम से पूर्व ही गुजरात राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंचे। उन्होंने आते ही आचार्यश्री को वंदन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री द्वारा गुजरात की धरा पर लगातार दो चतुर्मास प्रदान करने से मुख्यमंत्री श्री पटेल प्रसन्न भी नजर आ रहे थे। आचार्यश्री से उन्होंने कुछ देर तक विभिन्न विषयों पर वार्ता करते हुए आचार्यश्री से मंगल पाथेय प्राप्त किया। कुछ समय बाद वे पुनः अपने गंतव्य को प्रस्थित हो गए। आचार्यश्री भी श्रद्धालुओं को मंगल प्रेरणा प्रदान करने के लिए ‘वीर भिक्षु समवसरण’ की ओर गतिमान हुए।
‘वीर भिक्षु समवसरण’ में रविवार होने के नाते श्रद्धालुओं की विशेष उपस्थिति के साथ अहमदाबाद व आसपास के क्षेत्रों से ज्ञानार्थी पूज्य सन्निधि में उपस्थित थे। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित विशाल जनमेदिनी को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि अपरिग्रह की बात अध्यात्म शास्त्र में प्राप्त होती है। परिग्रह के बिना, पदार्थों के बिना जीवन चलना भी कठिन होता है। साधना के लिए त्याग और संयम की बात होती है। साधु के लिए अपरिग्रह तो महाव्रत होता है। साधु तो अकिंचन होता है। उसके पास किसी भी प्रकार का परिग्रह नहीं होता। एक इंच जमीन, कोई बैंक बैलेंस साधु के पास नहीं होता, यह साधु की अपरिग्रह की साधना होती है। अपने धर्मोपकरण में भी साधु मोह नहीं करता। साधु का जीवन ऐसा ही होना चाहिए। साधु ही नहीं आम आदमी को ज्यादा मोह, ममता, मूर्छा को कम करने का प्रयास करना चाहिए। जहां तक हो सके परिग्रह का अल्प करने का प्रयास करे, तो गृहस्थ जीवन में अकिंचनता का विकास हो सकता है।
आचार्यश्री ने पर्युषण महापर्व के संदर्भ में श्रद्धालुओं को प्रेरणा प्रदान की। मुनि मदनकुमारजी ने तपस्या के संदर्भ में जानकारी दी। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में जैन विश्व भारती व जैन भारती इंस्टिट्यूट (मान्य विश्वविद्यालय) की ओर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के 105वें जन्म जयंती के अवसर पर भारत सरकार द्वारा 100 रुपए का चांदी का स्मारक सिक्का जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों भारतीय रिजर्व बैंक के रिजनल डायरेक्टर आदि द्वारा का लोकार्पित किया गया। इस संदर्भ में जैन विश्व भारती (मान्य विश्वविद्यालय) के वाइस चांसलर श्री बच्छराज दूगड़, जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री धर्मचंद लुंकड़, श्री सुनील सिंघी, भारतीय रिजर्व बैंक के रिजनल डायरेक्ट श्री राजेशजी, जैन विश्व भारती के पूर्व अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र चोरड़िया व दिव्या जैन ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने इस संदर्भ में जनता को संबोधित किया।
आचार्यश्री ने इस संदर्भ में पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के योगदानों का वर्णन करते हुए उनके अवदानों से जनता को भी लाभान्वित होने की प्रेरणा प्रदान की। इस कार्यक्रम का संचालन जैन विश्व भारती के मंत्री श्री सलिल लोढ़ा ने किया। ज्ञानशाला- मोटेरा- कोटेश्वर आदि क्षेत्रों के ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति दी। आचार्यश्री ने ज्ञानार्थियों अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। बालिका खुशी गोठी, काम्या व गुर्वी जैन ने अपनी बालसुलभ प्रस्तुति दी। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह, अणुव्रत गीत महासंगान के बैनर को लोकार्पित किया गया।