माता-पिता की सेवा से बढकर कोई पुनित कार्य नही -खरतरगच्छाधिपति जिनमणिप्रभसूरीश्वर
आराधना भवन में संस्कार शिविर का हुआ आयोजन, 300 बच्चों ने लिया भाग

मां की आखों से ही देखा पहली बार संसार
बाड़मेर 13 जुलाई। मां अपने आप में ऐसा शब्द जो सृष्टि के आरम्भ से लेकर परमात्मा के मिलन तक वो सब सिखाती जिसे और कोई गुरू नही सिखा सकता। मां स्वयं से ज्यादा अपने औलाद खुशी के लिए अपना सब कुछ उस पर न्यौछावर कर देती है। अग्रेजी में एक कहावत है गिव एण्ड टेक पर मां का एक प्यार ऐसा है जिसमें वो केवल देती है लेती नही मांगती नही। जब तक मां की सांस चलती है तब तक उसकी एक ही प्रार्थना रहती है मेरा बेटा, बेटी खुश रहे। यह बात खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री मणिप्रभसूरीश्वर म.सा. ने रविवार को सुधर्मा प्रवचन वाटिका में प्रवचन में कही। खरतरगच्छाधिपति ने कहा कि अनेको उदाहरणों से ये धरती भरी पड़ी है कि मां अपनी संतानों को पालने के लिए स्वयं कितने कष्ट उठाती है पर अपनी औलाद पर दुख ना आए कष्ट ना आए इस प्रयास में वो अपना जीवन खपा देती है। भगवान की पूजा से पहले माता-पिता का पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से सांसारिक जीवन में आने वाली विपत्तियां खुद ही दूर हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान जीवन में माता के लिए लोगों के पास समय ही नहीं है, जिसके कारण कई लोग माता की सेवा करने के पुनीत कार्य से भी वंचित हो रहे हैं। यही कारण है कि सुखी जीवन के लिए सारे प्रयास करने के बाद भी मानव को कहीं सुख नहीं मिल पा रहा। परमात्मा की भक्ति करने से मन को आत्मिक शांति मिलती है।
खरतरगच्छ संघ चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष अशोक धारीवाल व कोषाध्यक्ष बाबुलाल छाजेड़ कवास ने बताया कि श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ चातुर्मास व्यवस्था कमेटी के तत्वावधान में सुधर्मा प्रवचन वाटिका में संघशास्ता वर्षावास 2025 के दौरान प्रवचनमाला के बाद संगीतकार गौरव मालू द्वारा भक्ति भाव गीत प्रस्तुत किया और सूरत पधारे महावीर भाई व राजू भाई का अभिनन्दन किया गया। मुम्बई से केयुप केन्द्रिय समिति के प्रदीप श्रीश्रीश्रीमाल उपस्थित रहे। शनिवार को शिव विधायक रविन्द्रसिंह भाटी व पूर्व विधायक मेवाराम जैन ने खरतरगच्छाधिपति का आशीर्वाद लिया।
*संस्कार शिविर का आयोजन*- चातुर्मास कमेटी के ट्रस्टी विनीत हालावाला व मीडिया संयोजक कपिल मालू ने बताया कि रविवार को दोपहर में 02.00 बजे से 04.30 बजे तक आराधना भवन में बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभाश्री की निश्रा में बालक-बालिकाओं के शिविर का आयोजन हुआ। इस शिविर में तीन सौ से अधिक बच्चों ने भाग लिया। शिविर में साध्वीवर्या ने कहा कि संस्कार ही जीवन की पूंजी है। बचपन में मिले संस्कार ही आपके जीवन कि दिशा तय करती है। वर्तमान में संस्कार शिविरों की आवश्यता है। ये शिविर धर्म के मार्ग पर चलने की ना केवल राह दिखाता अपितु ये शिविर बच्चो के सुखद भविष्य का निर्माण भी करता है।
रविवार का तेले की तपस्या चेतनादेवी गौतमचन्द धारीवाल रही। सोमवार को प्रवचन व उत्तराथन सूत्र का वांचन प्रातः 09.15 बजे से 10.15 बजे तक रहेगा। 15 जुलाई से दादा जिनदतसूरी तप का शुभारम्भ होगा। 13 व 14 सितम्बर को केयुप व केएमपी का राष्ट्रीय अधिवेशन होगा। 18 सितम्बर से आचार्य श्री के सूरिमंत्र की साधना होगी और 12 अक्टूबर को मांगलिक होगी।