266वां तेरापंथ स्थापना दिवस : वर्तमान अधिशास्ता की मंगल सन्निधि में भव्य समायोजन
सादगीपूर्ण ढंग से हुई तेरापंथ की स्थापना : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

-गुरुवार को गुरुपूर्णिमा के अवसर सुगुरु के मुखारविंद से हुई अमृतवर्षा से निहाल हुए श्रद्धालु
साध्वीप्रमुखाजी, मुख्यमुनिश्री व साध्वीवर्याजी ने भी जनता को किया उद्बोधित
-साधु-साध्वीवृंद ने दी अपनी प्रस्तुति, गुरु व संघ महिमा का किया गुणगान
-पूज्य सन्निधि में पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन
-मैं आचार्यश्री महाश्रमणजी को गुरु के रूप में स्वीकार करता हूं : शाहनवाज हुसैन
10.07.2025, गुरुवार, कोबा, गांधीनगर.
अहमदाबाद, गांधीनगर क्षेत्र का कोबा नामक स्थान में स्थित प्रेक्षा विश्व भारती का रम्य परिसर, जिसे आध्यात्मिक रूप से भावित बनाने के लिए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी विराजमान हो चुके हैं। ऐसे सुपावन गुरु की मंगल सन्निधि में गुरुवार को गुरु पूर्णिमा के साथ ही तेरापंथ धर्मसंघ के 266वें स्थापना दिवस का आयोजन भव्य एवं आध्यात्मिक रूप में हुआ। चतुर्विध धर्मसंघ ने गुरुपूर्णिमा के अवसर जहां अपने आराध्य के श्रीचरणों की अभिवंदना की तो वहीं सभी ने तेरापंथ धर्मसंघ की प्राप्ति के दिवस को भी आध्यात्मिक रूप में मनाया।
विशाल ‘वीर भिक्षु समवसरण’ में गुरुवार को गुरुपूर्णिमा के अवसर पर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान महागुरु आचार्यश्री महाश्रमणजी मंचासीन हुए तो पूरा वातावरण जयघोष से गुंजायमान हो उठा। आचार्यश्री के श्रीमुख से हुए मंगल महामंत्रोच्चार के साथ ही कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। तदुपरान्त साध्वीवृन्द व समणीवृंद ने संयुक्त रूप से गीत का संगान किया। मुनिवृंद ने भी गीत को प्रस्तुति दी।
साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने तेरापंथ स्थापना दिवस, ‘आचार्यश्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष’ के संदर्भ में जनता को उद्बोधित किया। तेरापंथ धर्मसंघ की नवमी साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने भी समुपस्थित जनमेदिनी को तेरापंथ स्थापना दिवस व गुरुपूर्णिमा के संदर्भ में पावन प्रेरणा प्रदान की। मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने भी जनता को इस अवसर पर संबोधित किया।
तदुपरान्त तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवाणी से समुपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ को अमृततुल्य रसपान कराते हुए कहा कि धर्म को आगमवाणी में उत्कृष्ट मंगल कहा गया है। अहिंसा, संयम और तप धर्म है। आज धर्म से जुड़े हुए एक संप्रदाय के जन्म का संदर्भ है। आषाढ़ी पूर्णिमा जैन श्वेताम्बर तेरापंथ का स्थापना अथवा जन्मदिवस कहा जाता है, प्रतिष्ठित है। आज के दिन मानों तेरापंथ को स्थापित होने का अवसर मिला। स्थापित करने के लिए कोई बड़ा प्रोग्राम किया गया हो, कोई चीफगेस्ट नहीं बुलाया गया। स्थापना करने के लिए कोई मंच, संयोजन व भोजन आदि की व्यवस्था भी नहीं हुई। जब परम पूज्य, महामना आचार्यश्री भिक्षु ने पाठ फरमाया और उनका दीक्षा का पाठ ही तेरापंथ की स्थापना हो गई। बहुत ही सादगीपूर्ण ढंग से स्थापना हो गई।
आज हमारे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ का स्थापना दिवस है। तेरापंथ के जनक परम पूजनीय, परम वंदनीय आचार्यश्री भिक्षु हैं। स्थापना के आधार में पुष्ट तत्त्व की विशेष सामग्री है। स्थापना की पृष्ठभूमि में त्याग और संकल्प है। तेरापंथ का दर्शन, तेरापंथ का इतिहास और तेरापंथ की मर्यादा व्यवस्था पर गहराई से दृष्टिपात किया जाए तो तेरापंथ की स्थापना के महत्त्व को समझा जा सकता सकता है और तेरापंथ का अच्छा ज्ञान हो सकता है। तेरापंथ का इतिहास आदि अनेक ग्रंथों से तेरापंथ के इतिहास को जाना जा सकता है। तेरापंथ की मर्यादा व्यवस्था की चीजें भी अनेक पुस्तकों से प्राप्त हो सकती है। तेरापंथ के सिद्धांतों आदि से संदर्भित जानकारी भी अनेक पुस्तकों से प्राप्त की जा सकती है, तेरापंथ के दर्शन को भी जाना जा सकता है। अनेेकानेक ग्रंथों के माध्यम से तेरापंथ के दर्शन व सिद्धांतों को देखा जा सकता है।
आज तेरापंथ स्थापना दिवस है। तेरापंथ की अपनी व्यवस्था है कि एक आचार्य का नेतृत्व। सारे शिष्य-शिष्याएं एक आचार्य के होना, तेरापंथ धर्मसंघ की विशेषता है। हमारे साधु-साध्वियां, साध्वियां, समणियां व श्रावक-श्राविकाएं तो हम तेरापंथ के अंग हैं, हमारी ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप की आराधना अच्छी चलती रहे। हमारा संगठन अनुशासन व व्यवस्था पक्ष भी सुदृढ़ रहे। अपने साथ और की व्यवस्थाएं भी चलती रहें। तेरापंथ में साधु-साध्वियों की दीक्षा देने से पहले बहुत जांच-परख कर दीक्षा प्रदान की जाती है। आचार्यश्री ने इस अवसर पर श्रावक संदेशिका के नवीन संस्करण आ गई है। यह श्रावक समाज के अनेक नई बातें हैं। हम सभी का ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप आगे बढ़ता रहे।
अतीत के दस आचार्यों का जो योगदान हमारे धर्मसंघ के लिए रहा है। हमारे धर्मसंघ का अपना इतिहास है। हम धर्मसंघ की खूब सेवा करते रहें, इसके इतर मानव जाति की सेवा भी करते रहें। आचार्यश्री ने इस अवसर पर ‘हमारे भाग्य बड़े बलवान, मिला यह तेरापंथ महान’ गीत का आंशिक संगान किया तो आचार्यश्री के साथ चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने सुगुरु के साथ स्वर मिलाया।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने तेले का व्रत करने वाले तपस्वियों को उनकी धारणा के अनुसार उनकी तपस्याओं का त्याग कराया। आचार्यश्री के साथ चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने स्थान पर खड़े होकर संघगान किया।
इस दौरान शांतिदूत आचार्यश्री मंगल सन्निधि में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री शहनवाज हुसैन पहुंचे। उन्होंने आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त करने के उपरान्त अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि आज मेरा सौभाग्य है कि गुरु पूर्णिमा के अवसर पर तेरापंथ स्थापना दिवस के अवसर मुझे आपके दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं आचार्यश्री महाश्रमणजी को अपना गुरु स्वीकार करता हूं और आज आपके दर्शन के लिए ही यहां पहुंचा हूं। आज आपकी वाणी की आवश्यकता पूरी दुनिया को है। हमारे आचार्यश्री को एक सीमा में बांध कर नहीं रखा जा सकता। आपकी अहिंसा की वाणी सभी के लिए है। मेरा सौभाग्य कि आपके प्रत्येक चतुर्मास में पहुंचने का अवसर मिलता रहता है। मैं कामना करता हूं हम सभी के सिर पर आपका आशीर्वाद सदैव बना रहे। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। तदुपरान्त तेरापंथ महिला मण्डल-अहमदाबाद की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती हेमलता परमार, श्रीमती सुशीला खतंग ने अपनी अभिव्यक्ति दी।