सामाजिक/ धार्मिकसूरत सिटी

श्री रामायण प्रचार मंडल, उधना-सूरत द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा

तीसरे दिन की कथा में पंडित संदीप महाराज ने बताया शिव के निराकार और साकार स्वरूप का रहस्य

सूरत, उधना। आशानगर, उधना में श्री रामायण प्रचार मंडल द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा के तीसरे दिन मंगलवार को पंडित संदीप महाराज ने श्रद्धालुओं को भगवान शिव के निराकार और साकार स्वरूप का विवेचन करते हुए बताया कि जब शौनक ऋषि ने यह प्रश्न किया कि शिव का स्वरूप कैसा है, तब सूत जी ने उत्तर दिया कि शिवलिंग भगवान शिव का निराकार रूप है और उनकी मूर्ति साकार रूप है। परंतु स्वयं शिवजी को उनका निराकार रूप अधिक प्रिय है।

उन्होंने कहा कि भगवान शिव अत्यंत सरल हृदय देवता हैं, जिन्हें प्रसन्न करने के लिए केवल एक लोटा जल ही पर्याप्त है। शिव को “आशुतोष” इसलिए कहा गया है क्योंकि वे शीघ्र ही भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि शिवलिंग की पूजा करते समय यदि आंखों से श्रद्धा के आँसू भी निकल आएं, तो भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं।

कथा में नारदजी के प्रसंग का उल्लेख करते हुए महाराज ने बताया कि एक बार नारदजी को यह अभिमान हो गया कि उन्होंने कामदेव पर विजय पा ली है। परंतु वास्तव में उन्होंने जिस स्थान पर तप किया था, वही स्थान वह था जहाँ भगवान शिव ने कामदेव को भस्म किया था। यह शिवजी की कृपा का ही फल था, लेकिन नारद को यह अहंकार हो गया, जिसे भगवान विष्णु के माध्यम से शिवजी ने भंग करवा दिया।

पंडितजी ने आगे कहा कि सदा शिव से ही ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र की उत्पत्ति हुई है। शिव की कृपा के अनेक प्रसंगों का वर्णन करते हुए उन्होंने यज्ञदत्त ब्राह्मण के पुत्र की कथा सुनाई, जिसने अपने वस्त्र जलाकर दीपक प्रज्वलित किया और भगवान शिव ने उससे प्रसन्न होकर उसे धनाध्यक्ष बना दिया, वही कुबेर अलकापुरी का राजा बना।

कथा के अंत में सती चरित्र का वर्णन करते हुए बताया गया कि राजा दक्ष की कन्या सती का विवाह भगवान शिव के साथ सम्पन्न हुआ। यह प्रसंग भाव-विभोर कर देने वाला रहा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button