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श्री रामायण प्रचार मंडल द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा में पंडित संदीप महाराज ने शिव तत्व का किया विस्तृत वर्णन

सूरत।सूरत के आशानगर, उधना में श्री रामायण प्रचार मंडल द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन सोमवार को आध्यात्मिक वातावरण में शिव तत्व की गूढ़ व्याख्या की गई। दोपहर 3 बजे से सायं 6:30 बजे तक चली कथा में पंडित संदीप महाराज ने श्रद्धालुजनों को भगवान शिव के मूर्ति स्वरूप और शिवलिंग की महिमा से अवगत कराया।

उन्होंने बताया कि “ॐ नमः शिवाय” पंचाक्षर मंत्र की उत्पत्ति भगवान शिव के पांच मुखों से हुई। पहले मुख से “न”, दूसरे से “म”, तीसरे से “शि”, चौथे से “वा” और पांचवे से “य” निकला, जिससे यह पवित्र पंचाक्षर मंत्र बना। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि “ॐ” को प्रणव मंत्र कहा जाता है, जो सृष्टि की उत्पत्ति का मूल है और जिससे वेद, गायत्री मंत्र और समस्त पुराणों की रचना हुई।

पंडित संदीप महाराज ने पार्थिव शिवलिंग की महिमा का भी उल्लेख करते हुए कहा कि सतयुग में मणिमय शिवलिंग, त्रेतायुग में स्वर्णमय, द्वापर में पारद से निर्मित शिवलिंग और कलियुग में मिट्टी से बने पार्थिव शिवलिंग की पूजा सर्वोत्तम मानी गई है। उन्होंने त्रिपुण्ड धारण विधि का अर्थ बताते हुए कहा कि त्रिपुण्ड की तीन रेखाएं ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक हैं।

बिल्व पत्र की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जो भक्त श्रद्धा से शिवजी को एक भी बिल्व पत्र अर्पित करता है, उसे वाजपेय और सोम यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।

कथा स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और भगवान शिव की दिव्य महिमा का रसपान किया। आयोजकों ने सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया कि वे कथा की पवित्र श्रृंखला में आगामी दिनों में भी अधिकाधिक संख्या में भाग लें।

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