जैन समाज सागर समुदाय के पूज्य साध्वीजी का देवलोकगमन
49 वर्षों तक संयम जीवन जीने वाली साध्वीश्री जीतधर्माश्रीजी महाराज साहेब का शांतिपूर्वक समाधि मरण

सूरत। सागरजी समुदाय की पूज्य साध्वी यशोधर्माश्रीजी म.सा. की शिष्या पूज्य साध्वीश्री जीतधर्माश्रीजी म.सा.(उम्र 65 वर्ष) का रविवार, दिनांक 18 मई 2025 को सूरत गोंपीपुरा, हनुमान चार रास्ता स्थित स्थानक में नवकार मंत्र का श्रवण करते हुए शांतिपूर्वक समाधिमरण हुआ।
पूज्यश्री की पालखी सोमवार सुबह 8:30 बजे गोपीपुरा से निकलकर उमरा स्थित श्मशान भूमि पहुंची, जहां प्रात: 9:45 बजे उन्हें अग्नि संस्कार प्रदान किया गया। पालखी यात्रा में पालखी ग्रुप, आरती ग्रुप, साध्वीजी के सांसारिक स्वजन-स्नेहीजन और भक्ति भाव से जुड़े श्रद्धालु उपस्थित रहकर सुंदर व्यवस्था में सहभागी बने।
श्रावक अजीत मेहता के अनुसार, पूज्य साध्वीजी का सांसारिक नाम जसोदाबेन था। उनके पिताश्री का नाम कपूरचंदजी और माताश्री का नाम भाग्यवंतिबेन था। वे मूलतः मारवाड़ के निवासी थे।
दीक्षा लेकर पूज्यश्री ने 49 वर्षों तक संयमित जीवन की कठोर आराधना की। सहज, सरल, निष्कलंक और भावुक स्वभाव की धनी पूज्यश्री धर्म से जुड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणास्त्रोत रहीं। अपने जीवन में उन्होंने अनेक तप आराधनाएँ कीं जिनमें दो वर्षीतप, 125 आयंबिल, 20 स्थानक तप, 99 यात्राएँ, नवपद की ओळी, अठ्ठाई तप आदि उल्लेखनीय हैं।
उन्होंने दिल्ली, आगरा, राजस्थान, मैसूर, बेंगलुरु, कोलकाता, सम्मेतशिखर आदि समग्र भारतवर्ष में विहार कर धर्म प्रभावना का कार्य किया।पूज्य साध्वीजी के निधन से जैन समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।