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कृष्ण सम्यक्त्वी आत्मा थे – आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनि जी म.सा.

16 अगस्त 2025, आत्म भवन, बलेश्वर, सूरत।
आज कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. ने अपने उद्बोधन में फरमाया कि कृष्ण जन्माष्टमी, महावीर जयन्ती, बुद्ध पूर्णिमा, अक्षय तृतीया आदि अनेक तिथियां है जो महापुरूषों के जन्म के साथ जुड़कर विशेष हो जाती है। जिस तरह एक गुलदस्ते में अनेक रंगों के फूल होते हैं उसी तरह कृष्ण का जीवन भिन्न-भिन्न रूप में था। उनका जन्म जेल में हुआ, जेल के बाहर पहरेदार खड़े थे, जब कृष्ण का जन्म होता है तो जेल के ताले स्वतः ही टूट जाते हैं। जन्म के बाद वासुदेव यमुना नदी को पार कर उन्हें मथुरा ले जाते हैं तो उस समय यमुना नदी में बाढ़ आई हुई होती है जैसे ही श्री कृष्ण के पैर का अंगुठा यमुना के पानी को स्पर्श करता है तो यमुना नदी से उन्हें उस पार जाने का रास्ता मिल जाता है। जैन सिद्धांत के अनुसार व्यक्ति का अपने कर्म के अनुसार जन्म होता है। जैन धर्म में 63 उत्कृष्ट श्लाघनीय पुरुष माने गये हैं, उसके अंतर्गत वासुदेव श्रीकृष्ण का वर्णन भी आता है। वे आने वाली चौबीसी में भावी तीर्थंकर बनेंगे।
उन्होंने आगे फरमाया कि कृष्ण क्षायिक सम्यक्त्वी जीव थे, उन्हें अपनी आत्मा के प्रति दृढ आस्था थी। कुरूक्षेत्र में दिये गये गीता के ज्ञान में उन्होंने जीव अजीव की भिन्नता का सुन्दर वर्णन किया है। गीता का सार है जीव अकेला है, अकेला आया है और अकेला ही जाएगा। इस शरीर का मूल्य नहीं, मूल्य आत्मा का है। गीता में कृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हैं कि कर्म करते जाओ और अपने फल की इच्छा मत रखो और अपने कर्त्तव्य के प्रति समर्पित रहो। कृष्ण सम्यक्त्वी आत्मा थे वे महाभारत का युद्ध नहीं चाहते थे किंतु दुर्योधन मिथ्यात्वी था। वह सब पर अपना शासन करना चाहता था जबकि युधिष्ठिर जो मिल जाए उसमें सन्तोष करने वाला था। इस तरह महाभारत के युद्ध में सम्यक्त्वी और मिथ्यात्वी का युद्ध हुआ है।
उन्होंने यह भी फरमाया कि श्री अंतकृतदशांग सूत्र के अनुसार जब द्वारका का विनाश होने वाला होता है तब श्री कृष्ण घोषणा करवाते हैं कि जो भी दीक्षा लेना चाहता है, दीक्षा लेने वाले के परिवार को सम्पूर्ण सहयोग दिया जाएगा और श्री कृष्ण राजकोष से दीक्षा करवाकर उन्मुक्त भाव से अनुमोदना करते हैं। इस कारण वे बहुत धर्म दलाली कमाते हैं। समग्र रूप से देखा जाए तो कृष्ण बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी रहे हैं। हम कृष्ण के जीवन से प्रेरणा पाकर स्वयं को सम्यक्त्व की ओर अग्रसर करें।
प्रमुख मंत्री श्री शिरीष मुनि जी म.सा. ने फरमाया कि विनय व अविनय करने वालों को इस लोक व परलोक में भी उनके कर्मों के अनुसार फल मिलता है। अविनित व्यक्ति को हर कोई डांटते है तो वह मानसिक रूप से संतापित होता है। देश की जेलों को देखें तो अपराध करने वाले अपराधी को किस प्रकार से दण्ड मिलता है और उसकी आगे की गति भी अच्छी नहीं होती है। इसलिए जीवन में विनय का बहुत बड़ा महत्त्व है। विनयवान व्यक्ति अपराध नहीं कर सकता है तो उसकी वर्तमान गति और आगे की गति भी अच्छी होती है।
मधुर गायक श्री निशांत मुनि जी म.सा. ने ‘‘दर पे तुम्हारे मैं आया हूं भगवन्’’ सुमधुर भजन की प्रस्तुति दी।
श्रीमती मनिषा सुरेश जी संचेती ने 6 दिन के उपवास का प्रत्याख्यान किया। सिद्धितप के अंतर्गत श्रीमती सरिता जयन्तीलाल जी कूकड़ा ने छठ लड़ी के 6 उपवास का प्रत्याख्यान एक साथ लिये।
आचार्य भगवन के सान्निध्य में श्री ऑल इण्डिया श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेन्स के कार्याध्यक्ष, महामंत्री एवं युवाध्यक्ष उपस्थित हुए- आगामी 18 सितम्बर 2025 को आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. के 84वें जन्मोत्सव के सन्दर्भ में अपनी भावनाएं व्यक्त की। इस मीटिंग में इन्दौर से जैन कॉन्फ्रेन्स बोर्ड के राष्ट्रीय चेयरमेन श्री रमेश भण्डारी, महामंत्री श्री अमितराय जैन, राष्ट्रीय पंचम जोन समन्वयक श्री जयन्ती कुकड़ा, राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष श्री विपीन जैन, राष्ट्रीय महिला चेयरमेन डॉ. अनामिका तलेसरा, गुजरात महिला अध्यक्षा श्रीमती सरीता कुकड़ा, राष्ट्रीय मंत्री श्री आकाश मादरेचा, राष्ट्रीय वैयावच्च योजना के अध्यक्ष विकास सिंघवी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री सुनील विसलोत, शिवाचार्य आत्म ध्यान फाउण्डेशन के ट्रस्टी श्री रोहित जैन बोकड़िया, गुजरात कार्यकारिणी सदस्य श्री कुलदीप तलेसरा आदि अनेक विशिष्टजन उपस्थित हुए।

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