गुजरातसामाजिक/ धार्मिकसूरत सिटी

धर्म का तत्त्व है दुःख मुक्ति का उपाय : महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण

-पूज्य सन्निधि में पहुंचे इसरो के वैज्ञानिक श्री निलेश देसाई

-आचार्यश्री ने दुःख के कारणों के निवारण का दिया सद्ज्ञान*

-तेरापंथ प्रबोध के आख्यान से भी लाभान्वित हुए श्रद्धालु

-मेधावी विद्यार्थियों को महातपस्वी ने दिया मंगल आशीर्वाद

-पूज्य सन्निधि में पहुंचे इसरो के वैज्ञानिक श्री निलेश देसाई

19.07.2025, शनिवार, कोबा, गांधीनगर

शनिवार को ‘वीर भिक्षु समवसरण’ में तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ‘आयारो’ आगम के आधार पर समुपस्थित श्रद्धालु जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि इस संसार में दुःख भी हैं तो सुख भी मिलता है। आदमी दुःख की ओर ध्यान दें तो बीमारी, आर्थिक समस्या आदि-आदि अनेक दुःखों की सूची बन सकती है। सुखों की ओर ध्यान दिया जाए तो उसकी भी सूची बन सकती है कि खाने को अच्छा मिलता है, अच्छा मकान, अच्छे कपड़े व समाज में प्रतिष्ठा आदि-आदि सहज प्राप्त होते हैं। इस प्रकार संसार में दुःख और सुख दोनों मौजूद हैं। कोई कह दे कि मैं दुःख को आने नहीं दूंगा तो ऐसा संभव नहीं है।

बीमारी को दुःख कहा गया है। शास्त्र में जन्म होने को भी दुःख बताया गया है। जन्म, बुढ़ापा, रोग और मृत्यु सभी दुःख हैं। जीवन में कभी कोई बीमारी न आए और आयुष्य भी सौ वर्षों का हो, ऐसी कोई गारंटी ले सकता है, शायद ऐसा कोई प्रतीत नहीं होता। इसलिए संसार में दुःख जीवन मंे कभी भी आ सकते हैं। आदमी को दुःख के कारण को जानना चाहिए और उसके कारण का निवारण तो किया जा सकता है, लेकिन दुःख नहीं ही आएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं ले सकता। इसलिए दुःख कभी भी आ सकता है।

आयारो में बताया गया कि दुनिया के इस दुःख को जानकर दुःख के कारण को दूर करने का प्रयास करो। बहुत बड़े और सबसे धनाढ्य व्यक्ति को भी बीमारी घेर लेती है। बड़े से बड़े सत्ताधीश को भी बीमारियां घेर लेती हैं। अब मृत्यु को ही देख लें तो कोई पहरेदार को बैठाकर मौत से नहीं बच सकता है। इस संदर्भ में कोई त्राता नहीं होता। धर्म का तत्त्व ही दुःख मुक्ति का उपाय है। धर्म सम्पूर्ण दुःख मुक्ति का उपाय होता है। धर्म के द्वारा ही आत्मा कभी एकांत सुख वाले मोक्ष को प्राप्त कर सकती है।

दुनिया में पुरुषार्थ का महत्त्व है, किन्तु पुरुषार्थ से सबकुछ प्राप्त नहीं किया जा सकता, कुछ प्राप्त किया जा सकता है। पुरुषार्थ की भी एक सीमा है, उसके बाद उसकी भी क्षमता नहीं होती। कई बार पुरुषार्थ करने पर भी फल मिले अथवा न भी मिले। किसी पुरुषार्थ का फल तत्काल मिले ही, यह नहीं कहा जा सकता। परीक्षा दी जाती है, सबको सफलता भी नहीं मिले। हालांकि जहां तक संभव हो पुरुषार्थ करने का प्रयास होता रहे। दुःख भी है, दुःख का कारण भी है, दुःखमुक्ति और दुःखमुक्ति का उपाय भी है। आदमी को दुःख से मुक्त होने के लिए दुःख के कारणों का निवारण करने का प्रयास करना चाहिए। दुःखों के निवारण पर ध्यान दिया जाता रहे तो वर्तमान जीवन भी सुखी बन सकता है।

मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने ‘तेरापंथ प्रबोध’ का संगान व व्याख्यान भी किया। मुनि सत्यकुमारजी ने ‘आरोहण’ कार्यशाला कार्यक्रम की जानकारी दी। मुनि मदनकुमारजी ने आचार्यश्री की सन्निधि में प्रारम्भ होने वाले पचरंगी तप के विषय में जानकारी दी।

कार्यक्रम में आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम द्वारा ‘मेधावी विद्यार्थी सम्मान समारोह’ का आयोजन किया गया। इस संदर्भ में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री हिम्मत मांडोत ने अपनी अभिव्यक्ति दी। इसरो के डायरेक्टर श्री निलेश देसाई ने आचार्यश्री के दर्शन के उपरान्त अपने विचार व्यक्त करते हुए विद्यार्थियों को उत्प्रेरित भी किया। आचार्यश्री ने विद्यार्थियों को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में शिक्षा का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। अज्ञान अपने आप में एक अभिशाप है, अंधकार है और ज्ञान मानों वरदान और प्रकाश है। शिक्षा जगत में विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के रूप में कितने उपक्रम दिखाई देते हैं। सभी पढ़ने वाले विद्यार्थी एक जैसे नहीं हो सकते हैं। कोई अल्प मेधा वाले तो कई मेधावी हो सकते हैं। तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम मेधावी सम्मान समारोह का कार्यक्रम चला रही है। विद्यार्थियों में ज्ञान के विकास के साथ अच्छे संकल्प, जैसे नशे से मुक्त जीवन रहे आदि-आदि। जीवन में कुछ पाने के लिए कुछ योजना हो तो कुछ संकल्प भी होना चाहिए तो संकल्प से सिद्धि की प्राप्त की जा सकती है। विद्यार्थियों में कुछ धार्मिक ज्ञान का भी विकास हो। मेधावी विद्यार्थियों में अच्छे ज्ञान के साथ-साथ अच्छे संस्कारों का भी विकास हो।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button