अहंकारी नहीं, विनयवान बने मानव : मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमण
प्रेक्षा विश्व भारती में तेरापंथाधिशास्ता करेंगे 9.31 को चातुर्मासिक महामंगल प्रवेश

-चातुर्मासिक प्रवेश से एक दिन पूर्व महावीर आराधना केन्द्र पहुंचे शांतिदूत
-जनता को अहंकार से दूर रहने को किया अभिप्रेरित
05.07.2025, शनिवार, कोबा, अहमदाबाद।
अहमदाबाद की उपनगरीय यात्रा कर जन-जन के मानस को आध्यात्मिकता की अमृतधारा से अभिसिंचित करने के उपरान्त जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी शनिवार को मोटेरा-उत्तर से गतिमान हुए। आचार्यश्री अहमदाबाद के कोबा क्षेत्र में प्रविष्ट हुए। वर्ष 2025 के भव्य चतुर्मास के लिए प्रेक्षा विश्व भारती में महामंगल प्रवेश करने से पूर्व कोबा में ही स्थित महावीर आराधना केन्द्र में पधारे। महावीर आराधना केन्द्र में भगवान महावीर के प्रतिनिधि के पदार्पण का प्रसंग अहमदाबादवासियों सहित इस परिसर से जुड़े लोगों को नवीन आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान कर रहा था।
आदमी को विद्या का घमण्ड नहीं करना चाहिए। संस्कृत में एक सूक्त है- विद्या विनयेन शोभते। विद्या विनय से शोभित होती है। विद्या के साथ विनय का होना आवश्यक है। इसलिए आदमी को ज्ञान का घमण्ड यथावसर ज्ञान का उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी में कभी अपनी शक्ति का अहंकार भी आ सकता है। किसीको अपने धन का अहंकार भी हो सकता है। किसी को रूप का भी घमण्ड हो सकता है। आदमी को शक्ति, धन और रूप के अहंकार से बचने का प्रयास करना चाहिए। यह भी कहा जा सकता है कि आदमी को किसी प्रकार के घमण्ड से बचने का प्रयास करना चाहिए। किसी के पास शक्ति है तो वह उसका सदुपयोग अच्छे कार्यों में करे। शरीर में शक्ति है, क्या पता कोई बीमारी लग जाए, कोई रोग हो जाए तो फिर शक्ति कहां रह पाएगी। किसी प्रकार की तपस्या का अहंकार भी नहीं करना चाहिए। समाज ने तपस्या का अभिनंदन भी कर दिया तो तपस्या करने वाले अपनी तपस्या का मद नहीं होना चाहिए।
किसी के पास सत्ता है, प्रभुत्व है तो उसके भी अहंकार से बचना चाहिए। सत्ता का प्राप्त होना किसी पुण्य का योग हो सकता है, तो उसका उपयोग सेवा में करें, न कि उसका घमण्ड करना चाहिए। धन के अहंकार से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। पैसे में ज्यादा आसक्ति और मोह से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। पैसे का दुरुपयोग करने से भी बचने का प्रयास करना चाहिए। किसी के जीवन में कोई भी उत्कर्ष हो तो उसका सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए, अहंकार से बचने का प्रयास करना चाहिए।
आदमी यह विचार करे कि जो भी उसे प्राप्त है, वह उसकी पूर्वकृत पुण्याई का फल प्राप्त कर रहा है, उसे अपने आगे पर ध्यान देने का प्रयास करना चाहिए। आदमी पुण्यवत्ता अहंकार की निमित्त न बने। वैभव से आदमी घमण्ड की ओर चला जा सकता है। अहंकार एक दुराग्रह है। इसलिए अहंकार से बचने का प्रयास करना चाहिए। जितना संभव हो, जीवन में विनयवान बने रहने का प्रयास होना चाहिए। आदमी को अपने अहंकार को मार्दव से जीतने का प्रयास करना चाहिए। परिवार, समाज, समुदाय कहीं भी अहंकार काम का नहीं होता है। आदमी को निरंहकारता का उपयोग करे और विनयवान बनने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने आगे कहा कि आज हमारा महावीर आराधना केन्द्र में आना हुआ है। यह प्रेक्षा विश्व भारती के पड़ोस में है। हम प्रेक्षा विश्व भारती में प्रवेश करने से पूर्व हम उसके पड़ोस में आए हैं। दोनों ही खूब धार्मिक-आध्यात्मिक विकास करें, यह काम्य है।
महावीर आराधना केन्द्र की ओर से श्री श्रीपालभाई ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी। उन्होंने कुछ पुस्तकें आचार्यश्री को अर्पित की। आचार्यश्री ने उन्होंने मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री 6 जुलाई को कोबा स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में वर्ष 2025 के चतुर्मास के लिए महामंगल प्रवेश करेंगे। इस संदर्भ में अहमदाबादवासियों का उत्साह अपने चरम पर है। अहमदाबाद चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति अपने आराध्य की प्रतीक्षा में पलक-पांवड़े बिछाए हुए है।