
सूरत। सावन का महीना आते ही पारंपरिक त्योहारों की छटा सूरत के कपड़ा बाजारों में स्पष्ट रूप से नजर आने लगी है। तीज और रक्षाबंधन जैसे महिला-प्रधान त्योहारों के चलते लहरिया प्रिंट की साड़ियों की मांग चरम पर है। सूरत की विशाल टेक्सटाइल मंडी में लहरिया प्रिंट के परिधानों के लिए थोक और खुदरा व्यापार जोर पकड़ चुका है।
लहरिया साड़ी बनी पारंपरिक त्योहारों की पहली पसंद
त्योहारों पर पारंपरिक परिधानों की मांग स्वाभाविक है, लेकिन लहरिया साड़ी की लोकप्रियता हर साल एक नया रिकॉर्ड बनाती है। रंग-बिरंगे ‘मल्टीकलर’ डिजाइन, सोने की बॉर्डर, गोटा-पट्टी की कढ़ाई और आधुनिक डिजिटल प्रिंट के मेल से सूरत में तैयार हो रही ये साड़ियां राजस्थान, हरियाणा, एमपी, यूपी और बिहार जैसे राज्यों में बड़ी मात्रा में भेजी जा रही हैं।
जुलाई की शुरुआत से ही व्यापार में तेजी
सूरत के कपड़ा व्यापारियों के अनुसार जुलाई के पहले सप्ताह से ही लहरिया साड़ियों की बुकिंग शुरू हो जाती है। इस बार भी डिमांड पहले से तेज है। व्यापारियों का अनुमान है कि केवल लहरिया साड़ियों का कारोबार 100 से 300 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। बीते वर्षों की तुलना में इस बार 15–20% अधिक ऑर्डर प्राप्त हुए हैं।
लहरिया ड्रेस मटेरियल और कुर्तियां भी बनी ऑनलाइन हॉट सेलर
सिर्फ साड़ियाँ ही नहीं, बल्कि लहरिया प्रिंट वाले ड्रेस मटेरियल, कुर्तियां और स्कार्फ भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जमकर बिक रहे हैं। खासकर युवतियों में त्योहारों पर पारंपरिक व आधुनिकता का समन्वय करने वाली इन डिज़ाइनों का क्रेज देखा जा रहा है।
राजस्थान की महिलाएं बोलीं — ‘बिना लहरिया साड़ी, श्रृंगार अधूरा’
राजस्थान की कई महिलाओं का कहना है कि तीज और रक्षाबंधन जैसे पर्वों पर लहरिया साड़ी पहनना न केवल परंपरा है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा भी है। उनका मानना है कि यह सिर्फ वस्त्र नहीं, बल्कि उत्सव का हिस्सा है — जहां रंग, भावनाएं और परंपराएं एक साथ मिलती हैं।
त्योहार, परंपरा और व्यापार का सुंदर संगम
तीज-राखी जैसे पर्वों पर लहरिया की मांग 20-25 दिनों तक बनी रहती है। यह उत्सव न केवल सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं, बल्कि व्यापार को भी पंख देते हैं। रंगों की यह बौछार, परंपरा का यह गौरव और व्यापार की यह चमक — तीनों मिलकर लहरिया को हर सावन की खास पहचान बना देते हैं।
लहरिया कारोबार पर व्यापारियों की राय: सावन के रंगों में व्यापार की हलचल
7प्रमोद अग्रवाल, व्यापारी – एम-4 मार्केट:
“हर वर्ष की तरह इस बार भी सावन की शुरुआत के साथ लहरिया प्रिंट की साड़ियों की मांग तेज हो गई है। राजस्थान, हरियाणा और मध्यप्रदेश की महिलाएं पारंपरिक लहरिया साड़ियों को इस मौसम में विशेष रूप से पसंद करती हैं। इस बार पारंपरिक और मॉडर्न डिजाइनों का मेल ग्राहकों को खूब लुभा रहा है। सूरत मंडी में इन साड़ियों की कीमतें 300 से 2000 रुपये तक जाती हैं, जो डिज़ाइन और फैब्रिक के अनुसार तय होती हैं। जयपुर, इंदौर और सूरत के व्यापारी लहरिया साड़ियों की खरीदी-बिक्री में व्यस्त हैं।”
ग्रीष्म बंब, व्यापारी – महावीर मार्केट, सूरत:
“इस समय बाजार में लहरिया साड़ियों की डिमांड में गिरावट देखी जा रही है। अधिक उत्पादन के कारण आपूर्ति बढ़ गई है, जबकि मांग सीमित है, जिससे व्यापारियों को कुछ माल लौट में भी बेचना पड़ रहा है। फिलहाल बाजार में पुराना स्टॉक ही ज्यादा उपलब्ध है, क्योंकि नया उत्पादन सीमित हो गया है। इसका कारण भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति भी है, जिससे आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है। सावन और रक्षाबंधन के आसपास बिक्री में सुधार की संभावना है, पर स्थिति मौसम और मांग पर निर्भर करेगी।”
संजय जैन, ग्रे ब्रोकर – सूरत:
“हर साल की तरह इस बार भी सूरत मंडी में लहरिया ग्रे के विभिन्न क्वालिटी जैसे वेटलेस, 60 ग्राम, 70-72 ग्राम रेनियल, और 30-30 ग्राम पर लहरिया का उत्पादन हो रहा है। ग्रे मार्केट में रेट 11 से 20 रुपये तक चल रहा है। 3-4 दिन में ग्रे और 10-15 दिन में मिल की डिलीवरी मिल रही है, जिससे व्यापारी समय पर तैयार माल बाहर की मंडियों में सप्लाई कर पा रहे हैं।”
रंगनाथ सारडा, व्यापारी – एसटीएम मार्केट, सूरत:
“सूरत मंडी में लहरिया का कारोबार लगभग 250 करोड़ रुपये तक पहुंचता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इसकी सबसे अधिक मांग रहती है। बाहर के व्यापारी 200 से 500 रुपये की रेंज वाली साड़ियाँ अधिक मात्रा में खरीदते हैं। लहरिया प्रिंट वेटलेस, शिफॉन, 60 ग्राम, मसकली, फैंसी जेकॉर्ड और ऑर्गेंजा जैसी क्वालिटी में तैयार होता है। यह सीजनल आइटम है, जो खासतौर पर सावन और राखी तक ही बिकता है। सीजन के बाद यदि माल बच जाए, तो उसे पूरे साल स्टोर करना पड़ता है या लॉट-शॉट में बेचना पड़ता है। इसलिए व्यापारी सीमित मात्रा में ही तैयार करवाते हैं।”
नारायणशर्मा(टेक्सटाइल बिजनेस):
“हर वर्ष की तरह इस बार भी सूरत की टेक्सटाइल मंडी में तीज और राखी जैसे पर्वों के चलते लहरिया साड़ियों की बिक्री में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है। खासतौर पर राजस्थान व मारवाड़ी संस्कृति से जुड़ी महिलाएं इन साड़ियों की प्रमुख खरीदार हैं। लहरिया अब केवल एक परिधान नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बन चुका है।”
रीता बेन, गृहिणी (राजस्थान):”सावन आते ही हर राजस्थानी और मारवाड़ी महिला का मन लहरिया साड़ी पहनने को करता है। ये केवल कपड़ा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और खुशियों की रंगीन झलक है। जैसे-जैसे इसकी धारियां लहराती हैं, वैसे ही दिल में त्योहारों की लहरें दौड़ने लगती हैं। सावन की शान बन चुकी लहरिया साड़ी पहनते ही मन झूम उठता है।”
पुरुषोत्तम अग्रवाल, व्यापारी – तिरुपति मार्केट, सूरत:
“हर वर्ष की तरह इस बार भी श्रावण मास में सूरत मार्केट में लहरिया साड़ियों की मांग अच्छी बनी हुई है। खासकर राजस्थान, मारवाड़ और कोटा से आने वाले ग्राहकों में लहरिया साड़ियों को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है। वर्तमान में ये साड़ियाँ 400 से 450 रुपये की रेंज में बिक रही हैं। यह डिमांड करीब 15 जुलाई तक बनी रहेगी और उसके बाद भी अच्छी बनी रहने की संभावना है।”
उन्होंने आगे कहा, “इस वर्ष देशभर में बारिश अच्छी हुई है, जिससे कृषि क्षेत्र को लाभ मिलेगा। इसका सकारात्मक असर व्यापार पर भी पड़ेगा और व्यापारी वर्ग को इसका प्रत्यक्ष फायदा मिलने की उम्मीद है।”