आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का 58वां दीक्षा दिवस सूरत में हर्षोल्लास से मनाया गया
विजयलक्ष्मी हॉल, वेसू में आयोजित भव्य समारोह में मुनि श्री अजीत सागर जी महाराज सहित तीन मुनि भगवंतों का पावन सान्निध्य

सूरत।सूरत दिगंबर जैन समाज के लिए 30 जून का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का 58वां दीक्षा दिवस विजयलक्ष्मी हॉल, वेसू में मुनि श्री अजीत सागर जी महाराज के सान्निध्य में अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और उल्लासपूर्वक मनाया गया।
गौरतलब है कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने 30 जून 1968 को दीक्षा ग्रहण की थी। इस बार विशेष बात यह रही कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष पंचमी और 30 जून की तिथि, 57 वर्षों बाद पहली बार एक साथ आई, जिससे इस दिवस का महत्व और भी बढ़ गया।
इस दिव्य अवसर पर 12 सौधर्म इंद्रों एवं 9 समूह इंद्रों द्वारा कुल 108 युगल इंद्रों के माध्यम से भव्य महापूजन संपन्न हुआ। कार्यक्रम में सूरत जैन समाज के बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
समारोह में मुनिश्री अजीत सागर जी महाराज ने कहा, “राग के अधीन जीवन जीना कठिन है, लेकिन वैराग्य के साथ आत्मकल्याण की दिशा में चलना सहज है।”
मुनि श्री शुभम कीर्ति जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा, “गुरु जीवन में ऑक्सीजन के समान हैं – दिखाई नहीं देते, परंतु उनके बिना जीवन अधूरा है।”
वहीं मुनि श्री निराग सागर जी महाराज ने कहा, “गुरु की महिमा अगम्य है। वे अंधकार से भरे जीवन में सूर्य के समान प्रकाश फैलाते हैं।”
इस अवसर पर मुनि श्री अजीत सागर जी महाराज के चातुर्मास का भी औपचारिक रूप से निर्णय लिया गया। इस वर्ष उनका चातुर्मास श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, भट्ठार रोड, सूरत में संपन्न होगा। चातुर्मास स्थापना समारोह रविवार, 13 जुलाई 2025 को मैत्री हॉल, तेरापंथ भवन, सिटीलाइट, सूरत में आयोजित किया जाएगा।
समस्त आयोजन समाज के सहयोग और साधु-संतों के दिव्य सान्निध्य से अत्यंत सफल और भव्य रहा।