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पर्युषण पर्व का दूसरा दिन ‘स्वाध्याय दिवस’ के रूप में मनाया गया

सूरत।तेरापंथ भवन, सिटीलाइट में चल रहे पर्युषण पर्व के दूसरे दिन गुरुवार को स्वाध्याय दिवस का आयोजन हुआ। इस अवसर पर प्रोफेसर डॉ. साध्वी मंगलप्रज्ञाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वाध्याय का अर्थ आत्मदर्शन और आत्मनिरीक्षण है। स्वाध्याय से भीतर का आनंद प्राप्त होता है और जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान संभव है। आज पद, प्रतिष्ठा और पैसे के कारण मनुष्य अपने विवेक को खो रहा है, जिसके चलते अहंकार और असहिष्णुता समाज में अशांति फैला रही है।

साध्वी मंगलप्रज्ञाजी ने धर्म परिषद को प्रेरणा देते हुए कहा कि हर व्यक्ति अपनी जीवनशैली में स्वाध्याय को जोड़े और तेरापंथ संघ के आचार्यों एवं साधु-साध्वियों द्वारा लिखित साहित्य का अध्ययन करे। उन्होंने भगवान महावीर के जीवन दर्शन में नयसार भव का उल्लेख करते हुए स्वाध्याय की महत्ता को रेखांकित किया।

इस अवसर पर वाव, कच्छ, भुज और हरियाणा से पधारे सूरत प्रवासियों ने मंगलाचरण की भव्य प्रस्तुति दी। साध्वी राजुलप्रभा और साध्वी शौर्यप्रभा ने आत्मा और कषाय पर प्रेरक संवाद प्रस्तुत किया। साध्वी अतुलयशाजी ने कहा कि ज्ञान को आलंबन बनाने वाला साधक अपने जीवन-पथ को निष्कलुष और प्रकाशमय बना सकता है।

साध्वी सुदर्शनप्रभा, साध्वी अनुलयशा, साध्वी राजुलप्रभा, साध्वी चैतन्यप्रभा और साध्वी शौर्यप्रभा ने “स्वाध्याय” विषय पर गीतमय प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संयोजन साध्वी डॉ. शौर्यप्रभाजी ने किया।

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