प्रेक्षा विश्व भारती में राष्ट्रीय संत आचार्यश्री महाश्रमण का महामंगल चातुर्मासिक प्रवेश
महातपस्वी की अभिवंदना में पहुंचे गुजरात के राज्यपाल आचार्यश्री देवव्रत

-महातपस्वी की अभिवंदना में पहुंचे गुजरात के राज्यपाल आचार्यश्री देवव्रत
-भव्य, विशाल स्वागत जुलूस में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, महाश्रमणमय बना कोबा
-आराधना-साधना में योगभूत बने यह चतुर्मास : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
-हम सभी के लिए कल्याणकारी हो आचार्यश्री का चतुर्मास : राज्यपाल आचार्यश्री देवव्रत
-अपने आराध्य की अभिवंदना में मुखरित हुए अहमदाबादवासियों के स्वर
06.07.2025, रविवार, कोबा, गांधीनगर।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, अध्यात्म जगत के महासूर्य, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी विशाल धवल सेना के साथ रविवार को प्रातः 9.31 बजे भव्य, विशाल व अध्यात्ममय जुलूस के साथ गुजरात की धरा पर लगातार दूसरे चतुर्मास के लिए गुजरात की राजधानी गांधीनगर के कोबा में स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में महामंगल प्रवेश किया तो अहमदबादवासियों की प्रतीक्षा मानों फलीभूत हो उठी।
आर्थिक रूप से समृद्ध गुजरात को आध्यात्मिक रूप से सम्पन्न बनाने के लिए गुजरात में लगातार दो चतुर्मास प्रदान करने वाले, जन-जन को मानवता का संदेश देने वाले महामानव, अपने दो सुकोमल चरणों से भारत के तेईस राज्यों को सुपावन बनाने वाले, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी रविवार को प्रातः कोबा के महावीर आराधना केन्द्र से गतिमान हुए। आज ज्योतिचरण उस दिशा में बढ़ रहे थे, जहां वर्ष 2002 में तेरापंथ धर्मसंघ के दसवें अधिशास्ता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने चतुर्मास किया था। आज लगभग 23 वर्षों बाद उनके ही उत्तराधिकारी उस स्थान में महामंगल प्रवेश करने वाले थे।
इस मंगल बेला को अपने नेत्रों से निहारने को, इस क्षण के साक्षी बनने को और उस क्षण का साक्षी बनने को प्रत्येक अहमदाबादवासी आतुर नजर आ रहा था। तभी तो तेरापंथ समाज के सभी संस्थाओं के लोग अपने-अपने गणवेश में सजे-धजे, किसी के हाथ में बैनर तो किसी के पोस्टर तो किसी के हाथ में अभिवंदना के संदेश लिखे होर्डिंग्स के साथ अपने आराध्य के मार्ग में कतारबद्ध और करबद्ध खड़े थे। कितने-कितने श्रद्धालु अपने ज्योतिचरण का अनुगमन कर रहे थे। जैसे-जैसे युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी प्रेक्षा विश्व भारती के निकट होते जा रहे थे, वैसे-वैसे श्रद्धालुओं की संख्या के साथ उनका उमंग, उल्लास, उत्साह बढ़ता जा रहा था। बुलंद जयघोष तो उनके भीतरी आह्लाद को दर्शा रहा था। विशाल किन्तु अनुशासित, भव्य किन्तु आध्यात्मिक प्रेरणा से ओतप्रोत जुलूस मानों अपने आप में अद्भुत दृश्य उत्पन्न कर रहा था। मार्ग के दोनों ओर हरे-भरे वृक्षों की कतारें इस क्षेत्र की रमणीयता को प्रदर्शित कर रहे थे तो कालीकरण किए हुए मार्ग पर धवल वस्त्रधारी जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ की मुमुक्षु श्रेणी, समणश्रेणी, साध्वी समाज व साधु समाज व उनके मध्य गतिमान तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण इस मार्ग की सुषमा को सहस्रगुणित कर रहे थे। ऐसे महासूर्य की अभिवंदना के लिए गुजरात राज्य के राज्यपाल आचार्यश्री देवव्रतजी भी उपस्थित होने वाले थे।
निर्धारित समय 9.31 मिनट पर जैसे ही तेरापंथाधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने प्रेक्षा विश्व भारती के परिसर में पावन चरण बढ़ाए तो मानों पूरा वातावरण बुलंद जयघोष से गुंजायमान हो उठा और इसके साथ ही आचार्यश्री ने वर्ष 2025 के चतुर्मास के लिए प्रेक्षा विश्व भारती में महामंगल प्रवेश कर दिया। चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री अरविंद संचेती व अन्य पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को मंगल आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री प्रवास स्थल में पधारे।
कुछ समय पश्चात ही अहमदाबाद चतुर्मास प्रवेश संबंधित कार्यक्रम के लिए शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी चतुर्मास प्रवास स्थल परिसर में बने विराट वीर भिक्षु समवसरण के विशाल मंच पर पधारे तो पूरा प्रवचन पण्डाल पुनः जयघोष से गुंजायमान हो उठा। तेरापंथाधिशास्ता की अभिवंदना में गुजरात के राज्यपाल आचाय्रश्री देवव्रतजी भी उपस्थित हुए और आचार्यश्री को वंदन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त कर मंचासीन हुए।
वीर भिक्षु समवसरण से वीर भिक्षु के परंपर पट्टधर, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अमृतवाणी से समुपस्थित विशाल जनमेदिनी को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी मंगलकामना करता है। इस संदर्भ में शास्त्र में बहुत महत्त्वपूर्ण बताई गई है कि सर्वोत्कृष्ट मंगल धर्म है। अहिंसा, संयम और तप धर्म है। यह धर्म की उत्कृष्ट मंगल है।
आज हम प्रेक्षा विश्व भारती में चतुर्मास के लिए प्रवेश कर चुके हैं। हमारी साधु परंपरा में साल के बारह महीनों में चार महिने चतुर्मास के लिए होते हैं। जहां एक निर्धारित एरिया में स्थिरता हो जाती है। आज हम स्थिरता के संदर्भ में प्रविष्ट हुआ हूं। सन् 2002 में परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने इसी प्रेक्षा विश्व भारती में चतुर्मास किया था। उनकी चतुर्मास भूमि में हम पुनः चतुर्मास करने के लिए आज प्रविष्ट हुए हैं। हमारे साथ मुख्यमुनि आदि संत लोग हैं। साध्वीप्रमुखा, साध्वीवर्या आदि साध्वी समुदाय चतुर्मास के लिए प्रविष्ट हुए हैं। यह चतुर्मास खूब अध्यात्मय, मंगलमय रहे। तपस्या, आराधना, साधना, ज्ञानाराधना आदि का अच्छा क्रम चले। कितने-कितने लोग आज चतुर्मास के संदर्भ में यहां पहुंचे हैं। चतुर्मास आध्यात्मिक साधना का विशेष समय है। आज चतुर्मास प्रवेश का प्रसंग है और इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्यश्री देवव्रतजी का भी समागमन हुआ है। यह समागमन भी अपने आप में महत्त्वपूर्ण है। इस चतुर्मास में धर्माराधना, ज्ञानाराधना, तपाराधना, सेवा की आराधना आदि जो भी सके, उसे करने का प्रयास रखें। यह चतुर्मास केवल अहमदबाद, गांधीनगर के लिए ही नहीं, और भी लोगों की साधना में योगभूत बने। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व उपस्थित जनता को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उद्बोधित किया।
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के चातुर्मासिक प्रवेश के अवसर पर अभिवंदना को पहुंचे गुजरात के राज्यपाल आचार्यश्री देवव्रतजी ने इस अवसर पर अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि आज हम सभी के लिए और सम्पूर्ण गुजरात के लिए परम सौभाग्य की बात है कि त्यागी, तपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी महाराज चतुर्मास के लिए विधिवत यहां प्रवेश कर गए हैं। मैं गुजरात की समस्त जनता की ओर से हार्दिक अभिनंदन एवं स्वागत करता हूं। आप जैसे संतों का जीवन परोपकार के लिए ही होता है। आपका यह चतुर्मास हम सभी के लिए कल्याणकारी बने, ऐसी कामना करता हूं।
राज्यपाल महोदय के भक्तिभाव से भरे वक्तव्य के उपरान्त अहमदाबाद चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री अरविंद संचेती, मंत्री श्री उमेदकुमार बैद ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल ने अपने आराध्य की अभिवंदना में स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपने भावपूर्ण प्रस्तुति के माध्यम से श्रीचरणों की अभिवंदना की। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान हुआ। इसके साथ ही राज्यपाल महोदय ने आचार्यश्री से पुनः आशीर्वाद प्राप्त कर गंतव्य की ओर रवाना हो गए।