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गुरू के बताए मार्ग पर जो चला है उसने इसी दुनिया में स्वर्ग सा जीवन जीया है- खरतरगच्छाधिपति

हजारों कंठ ने एक स्वर में बोला आपके चरणों की रज ही जीवन की सार्थकता

प्रवचन माला में भाव विभोर हुए भक्त

बाड़मेर। गुरू जैसा कि नाम से ही प्रतित होता है वो शब्द जिसके बगैर दुनिया की कल्पना कर पाना तक मुश्किल है। राह कितनी भी कठिन क्यों ना हो गुरू के पास उस राह को आसान बनाने का मंत्र अवश्य होता है। गुरू के बताए मार्ग पर जो चला है उसने इसी दुनिया में स्वर्ग सा जीवन जीया है। ये बात गुरू पूर्णिमा के विशेष पर्व पर आयोजित प्रवचन माला में खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वर म.सा. ने गुरू महिमा को विस्तार कई वृतांत सुनाते हुए कहा कि मां ना केवल पहली गुरू मां के कारण ही गुरू मिले वो मां ही थी जिन्होंने धर्म के मार्ग पर जोड़ा। आचार्यश्री ने अपने गुरू आचार्यजिनकांतिसागरसूरीश्वर के बारे में कहा कि मात्र 13 वर्ष की आयु में उनका सानिध्य मिला और धर्म के मार्ग चलते ना केवल स्वयं अपितु संसार में रहने वाले प्रत्येक प्राणी को धर्म के मार्ग पर जोड़ने एवं उनके आत्मकल्याण करने की शिक्षा दी।

प्रवचन माला में बोलते हुए बहिन म.सा. साध्वी विधुत्पप्रभाश्री ने कहा कि जीवन में गुरू ने ही आत्म कल्याण का मार्ग बताया है। उन्होंने अपनी माता के वृतांत सुनाते हुए कहा कि उसकी कृपा की जितनी अनुमोदना करू कम है। मां के बाद भाई के रूप में गुरू मिले जिन्होंने धर्म का मार्ग बताया एवं संयम जीवन को सार्थक बनाने का मार्ग प्रश्स्त करवाया। खरतरगच्छ संघ चातुर्मास व्यवस्था कमेटी के सचिव बाबुलाल बोथरा हेमरत्न ने बताया कि गुरू पुर्णिमा पर आचार्यश्री को पालकी में बिठाकर प्रवचन हाल में लाया गया। उनको श्रावक-श्राविकाओं ने पूजन किया। उसके बाद गुरू भक्तों ने अपने शब्दों एवं गीतों के माध्यम से भावाजंलि दी। 03 घंटे से चले अधिक कार्यक्रम के दौरान आचार्यश्री के शिष्यत्व स्वीकार कर चुके साधु-साध्वीयों ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरू बने बिना मोक्ष खुब गए मगर गुरू बनाएं बगैर कोई मोक्ष नही गया। उन्होंने कहा कि संसार में ऐसी कोई समस्या नही है जिनका समाधान गुरू के पास ना हो। गुरू को भारतीय संस्कृति,धर्म में सबसे बडा इसलिए माना गया है। नन्हे बालक वैदांत श्रीश्रीश्रीमाल ने अपने गुरू को बेस्ट फेंड बनाते हुए कहा कि मेरे गुरू ऐसे जिन्होंने मुझे मां का प्यार, पिता का दुलार,भाई का स्नेह सब कुछ दिया है। आज मेरी ये स्थिति है में गुरू के बिना नही रह सकता। मेरे गुरू मेरे मोक्ष तक साथ देने वाले है ऐसे मेरे गुरूदेव है। संघ के ट्रस्टी रमेश धारीवाल ने बताया कि तपस्या की कड़ी में प्रथम दिन सांकलिया तेला, सांकलिया आयंबिल तप की तपस्या निरंतर प्रारम्भ हो गई है। सुधर्मा प्रवचन वाटिका में संघ शास्ता वर्शावास 2025 के चातुर्मासिक प्रतिदिन प्रवचन माला प्रातः 09.15 बजे से 10.15 बजे आयोजित हो रही है। मीडिया संयोजक कपिल मालू ने बताया कि गुरूपूर्णिमा के दिन चढ़ावे बोले गए जिसमें आचार्य जिनकांतिसागरजी म. सा. के गुरुपूजन का लाभ मांगीलाल चिंतामणदास रामजियोनी संखलेचा परिवार बाड़मेर, खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वर म.सा. के गुरुपूजन का लाभ श्री जिन कांति मणि चरण रज मंडल सांचौर, बधावणा के चढ़ावे का लाभ श्रीमती गजीदेवी मिश्रीमल बोथरा बिशाला वाले अहमदाबाद व पुखराज राणामल बोहरा भूनिया वाले अहमदाबाद ने लिया। चातुर्मास में बहुमान के चढ़ावों की कड़ी में तिलक का चढ़ावा केशरीमल शिवलालचन्द छाजेड़ कवास वाले बाड़मेर, माला का चढ़ावा रतनलाल केशरीमल संखलेचा बाड़मेर, श्रीफल का चढ़ावा मदनलाल सगतमल मालू कानासर वाले बाड़मेर, साफा व चुनरी का चढ़ावा श्रीमती टीपू बाई भूरमल बोथरा व मोमेंटो का चढ़ावा प्रकाशचंद घेवरचन्द मोतीलाल लूनिया परिवार भैरव साड़ी बाड़मेर ने लिया। गुरूपूर्णिमा के दिन पूरे भारत भर से सैकड़ों गुरुभक्त गुरुदेव के दर्शन करने पहुंचे और अध्यक्ष अशोक धारीवाल ने बाहर से पधारे हुए मेहमानों का आभार जताया।

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