शिव महापुराण कथा के अंतिम दिन बाणासुर-उषा-अनिरुद्ध प्रसंग सुनाया गया
11 मई को आशानगर में रक्तदान शिविर व हवन का आयोजन

सूरत।सूरत के उधना आशानगर में श्री रामायण प्रचार मंडल द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा के सातवें व अंतिम दिन रविवार को पं. संदीप महाराज ने बाणासुर, उषा और अनिरुद्ध की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि बाणासुर ने शिव की घोर तपस्या कर सहस्र बाहु बल का वरदान पाया था। उसकी पुत्री उषा को स्वप्न में द्वारिका के राजकुमार अनिरुद्ध से प्रेम हो गया। सहेली चित्रलेखा ने योगबल से अनिरुद्ध को उषा के पास पहुंचा दिया और दोनों का गंधर्व विवाह हुआ।
बाणासुर को जब इस प्रेम प्रसंग की जानकारी मिली, तो उसने अनिरुद्ध को नागपाश में बाँध दिया। भगवान कृष्ण ने शिव की अनुमति से गरुड़ का आह्वान कर अनिरुद्ध को मुक्त कराया और बाणासुर से युद्ध कर उसके सहस्र बाहु काट दिए।
पं. संदीप महाराज ने पंचमुख शिव स्वरूपों – सद्योजात, वामदेव, तत्पुरुष, अघोर और ईशान – की व्याख्या करते हुए बताया कि शिवजी सृष्टि के सर्जक, पालक व संहारक हैं और उनके पंचमुख स्वरूप की कथा श्रवण से अपमृत्यु का नाश होता है।
रविवार 11 मई को राष्ट्रहित में वीर सैनिकों के लिए सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक रक्तदान शिविर तथा 8:15 बजे से हवन का आयोजन रखा गया है। श्री रामायण प्रचार मंडल व अन्य संस्थाओं ने अधिकाधिक संख्या में भाग लेने का आह्वान किया है।