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कुशल वाटिका में शनिवार को उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

 

सुख-शांति तीर्थंकरों के दर्शन से मिलती है-आचार्य मणिप्रभसूरीश्वरजी

तिरूपातुर जैन श्री संघ ने किए खरतरगच्छाधिपति के दर्शन

बाडमेर 03 मई। स्थानीय कुशल वाटिका में विश्व का अद्वितीय राजहंस मन्दिर में शनिवार को मेले व धर्मसभा का हुआ आयोजन हुआ व तिरूपातुर के जैन बन्धुओं ने किए परमात्मा के दर्शन वन्दन कर पूजा अर्चना की और गुरूदेव द्वारा धर्मसभा में आशीर्वाद लिया। कुशल वाटिका ट्रस्ट के अध्यक्ष भंवरलाल छाजेड़ व कोषाध्यक्ष बाबुलाल टी बोथरा ने बताया कि कुशल वाटिका में विराजमान खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्रीजिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. व बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभाश्री की पावन निश्रा में शनिवार को मेले का आयोजन किया गया, जिसमें बाडमेर सहित आस-पास के अन्य क्षेत्रो से पधारे श्रद्वालुओं दर्शन वन्दन कर पूजा अर्चना की। कुशल वाटिका में मुनिसुव्रत स्वामी भगवान मन्दिर, दादावाडी, नवग्रह मन्दिर, गुरू मन्दिर, देवी-देवताओ के आदि मन्दिरो के केशर पूजा, दर्शन-वन्दन किया गया। छाजेड़ ने बताया कि शनिवार को कुशल वाटिका में मन्दिर प्रांगण में गुरूदेव की निश्रा में प्रातः 08.30 बजेे गिरनार भक्त मण्डल द्वारा शंखनाद व ढोल की थाप लय व सुर के साथ भक्ति भावना के माध्यम से मुलनायक भगवान मुनिसुव्रत स्वामी की प्रतिमा का पक्षाल किया गया और विधि-विधान व श्लोक के साथ केशर पूजा व भक्तिमय आरती की गई। कुशल वाटिका ट्रस्ट मण्डल की और से भाता प्रभावना दी गई। कुशल वाटिका उपाध्यक्ष रतनलाल संखलेचा व सहप्रचारमंत्री कपिल मालू ने बताया कि कुशल वाटिका में शनिवार को मुनिसुव्रत स्वामी के पक्षाल का लाभ पारसमल भूरचन्द भंसाली सूरत हस्ते राजू भंसाली व केशर पूजा का लाभ रतनलाल केशरीमल संखलेचा बाड़मेर व आरती व मंगल दीपक का लाभ बाबुलाल शिवलालचन्द बोथरा परिवार द्वारा लिया गया, जिनका ट्रस्ट मण्डल द्वारा अनुमोदना की गई। शनिवार को जैन श्री संघ तिरूपातुर से 100 गुरूभक्त गुरूदेव के दर्शन के लिए कुशल वाटिका पहुंचे और धर्मसभा में भाग लिया। धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य मणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने कहा कि मूलनायक भगवान मुनिसुव्रत स्वामी के केशर पूजा से होता है हृदय में शांति का अहसास होता है। लोग निरोगी और समृद्ध होना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए प्रयास नहीं करते। आचार्य जी ने कहा कि हमें ऐसा काम करना चाहिए जो सभी के लिए सुखदायी हो। उन्होंने बताया कि वर्तमान कार्यों में बदलाव की जरूरत है। कोई भी स्थिति स्थाई नहीं रहती, इसलिए परिवर्तन जरूरी है। उन्होंने समझाया कि बच्चे को पहले विद्या के लिए भेजा जाता है। फिर वह धन कमाने में लग जाता है। लेकिन स्थाई सुख-शांति तीर्थंकरों के दर्शन से मिलती है। उन्होंने कहा कि भगवान के सामने सिर झुकाने से बिना मांगे ही मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उन्होंने कहा कि इससे धर्म का लाभ और पुण्य दोनों मिलते हैं। कुशल वाटिका शनिवार मेले में अध्यक्ष भंवरलाल छाजेड़, उपाध्यक्ष द्वारकादास डोसी, उपाध्यक्ष रतनलाल संखलेचा, मंत्री सम्पतराज बोथरा दिल्ली, कोषाध्यक्ष बाबुलाल टी बोथरा, सहमंत्री एडवोकेट गौतमचन्द बोथरा, निर्माणमंत्री शंकरलाल धारीवाल, ट्रस्टी सम्पतराज धारीवाल सनावड़ा, ओमप्रकाश छाजेड़, सज्जनराज मेहता, कैलाश धारीवाल, नाकोड़ा ट्रस्टी पुरूषोतम सेठिया, सम्पतराज संखलेचा इचलकरणजी, बाबुलाल बोथरा हेमरत्न, भूरचन्द मिर्ची, बाबुलाल बोथरा अहमदाबाद, विपुल बोथरा, जयेश जैन, अंकेश बोथरा, महावीर छाजेड, निखिल छाजेड, हिमांशु धारीवाल, रूपेश संखलेचा, महावीर संखलेचा, सुनिल सिंघवी, प्रकाश विश्नोई, हितेश डूंगरवाल व ट्रस्ट मण्डल के साथ साथ अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद केयुप, गिरनार भक्त मण्डल, कुशल वाटिका मित्र मण्डल, जिनशासन विहार सेवा ग्रुप सहित कई भक्तगण उपस्थित थे। खरतरगच्छाधिपति कुशल वाटिका विराजमान है दर्शन वन्दन का लाभ लेवे।

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