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‘मुक्त होना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’-आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनि जी म.सा.

आत्म भवन, बलेश्वर, सूरत।आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनि जी म.सा. ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने उद्बोधन में फरमाया कि आज के दिन भारत देश आजाद हुआ था। यह भारत सोने की चिड़िया कहलाता था किंतु मुगल आक्रांताओं व अंग्रेजों ने देश की सम्पति को लूटा। देश को स्वतंत्र कराने में लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया। जालियांवाला बाग में जनरल डायर ने निहत्थे हजारों लोगों को गोलियों से मौत के घाट उतार दिया तो शहीद उधम सिंह ने प्रतिज्ञा ली कि इन निहत्थे लोगों की मौत का बदला लूंगा और वह लंदन जाकर जनरल डायर को मार देता है, इस प्रकार बलिदान की अनेक घटनाएं हैं। देश की आजादी के लिए शहीद भगत सिंह देश के लिए फांसी पर लटक गए। सुभाषचन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज बनाई। लोक मान्य तिलक ने कहा कि स्वतंत्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है हम इसे लेकर रहेंगे। ऐसे अनेक महान स्वतंत्रता सैनानी हुए जिन्होंने देश की स्वतंत्रता में अपना योगदान दिया।
उन्होंने फरमाया कि स्वतंत्रता का अर्थ केवल जहां मन किया वहां घूमने चले गए। जो मन में आया हर किसी को अच्छा बुरा कह दिया यह स्वतंत्रता नहीं है। चाहे साधु हो या श्रावक, माता-पिता, भाई-बहन हो प्रत्येक की जो जिम्मेदारी है उस जिम्मेदारी को निभाना ही वास्तविक स्वतंत्रता है।


उन्होंने द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव के अनुसार स्वतंत्रता की व्याख्या करते हुए फरमाया कि द्रव्य से मैं जीव आत्मा हूं, क्षेत्र से जहां हम रह रहे हैं उस भारत देश की आजादी का आज दिन है। काल से हम भूत भविष्य के चक्रव्यूह से बाहर निकलकर वर्तमान क्षण में अपने स्वभाव में रमण करें तो हम मन की गुलामी से मुक्त हो सकते हैं और भाव से हम विभाव से स्वभाव में आएं। त्याग, वैराग्य, वीतरागता से हम मुक्ति को प्राप्त कर सकते हैं। मुक्त होना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। हम मोह से मुक्ति को प्राप्त करें तो अरिहंत बन सकते हैं।
प्रमुख मंत्री श्री शिरीष मुनि जी म.सा. ने अपने उद्बोधन में फरमाया कि जैन धर्म कर्म सिद्धांत व अनेकान्त दृष्टि के सिद्धांत को मानता है। कर्म सिद्धांत जो जैसा वातावरण मिला है उसे स्वीकार करते हुए भीतर से निर्लेप रहना है। प्रत्येक आये हुए कर्म को स्वीकार करना व केवल आत्मा पर श्रद्धा करना है। अनेकान्त सिद्धान्त यह है कि कोई दूसरा व्यक्ति जो कह रहा है उसकी बात भी सत्य हो सकती है।
युवा मनीषी श्री शुभम मुनि जी म.सा. ने ‘जाग चेतन जाग’ सुमधुर भजन की प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर भेस्तान से ममता राजेन्द्र जी मेहता ने 17 दिन के उपवास का प्रत्याख्यान लिया, मनिषा सुरेश जी संचेती ने 5 दिन के उपवास का प्रत्याख्यान किया। शिवाचार्य आत्म ध्यान फाउण्डेशन की ओर से तपस्वी का मोमेन्टो, शॉल व माला द्वारा सम्मान किया गया।
इस अवसर पर पूर्वी दिल्ली से श्री स्थानकवासी जैन पंजाबी भ्राता संघ के प्रधान सुनीलजी जैन के नेतृत्व में 40 व्यक्ति गुरु दर्शन हेतु उपस्थित हुए, इसके अलावा लूधियाना, जयपुर, सवाई माधोपुर, भटिण्डा आदि जगहों से श्रद्धालु गुरु दर्शन हेतु उपस्थित हुए।

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