दान में दिखावा है तो वो शान बढायेगा, पुण्य नहीं-आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वर
पुरूषार्थ ही आपके जीवन का लक्ष्य निर्धारित करता है-खरतरगच्छाधिति

कंचनदेवी गोलेच्छा के मासक्षमण की तपस्या, आचार्यश्री ने प्रदान किया आर्शीवाद
बाड़मेर 05 अगस्त। कोटड़िया-नाहटा ग्राउण्ड स्थित सुधर्मा प्रवचन वाटिका में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ चातुर्मास कमेटी के तत्वाधान में संघ शास्ता वर्षावास 2025 का चातुर्मास खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्रीजिनमणिप्रभसूरीश्वर म.सा. की पावन निश्रा व बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभाश्री व श्रमण-श्रमणीवृन्द के पावन सानिध्य में मंगलवार को आचार्यश्री ने श्रावकों सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तराध्यन सूत्र की वांचना चालू है। दान और पुण्य वैसे दोनों अलग-अलग अर्थ मगर इसका फल वो एक है। अब ये फल कैसे मिलेगा ये आपके भाव पर निर्भर करता है। अपना प्रभाव दिखाते हुए या प्रतिस्र्पधा करते हुए या दिखावें के भाव से किये गए दान का कोई उपयोग नही है, ऐसे दान से आपकी शान बढ सकती हैं, मगर पुण्य की उम्मीद ना रखें। भगवान महावीर ने कहा कि अगर दाएं हाथ से दान कर रहे है तो बाएं हाथ को भी इसकी जानकारी नहीं होनी चाहिए। दान करते समय आपके भाव ये होने चाहिए कि हे प्रभु मुझे आपने इस लायक बनाया है और में दे पा रहा हुं इस पूर्ण शुद्ध भावों के साथ किया गया दान ही सुपात्र दान कहलाता है। हम ये सोचते है कि में इतना पैसा कमा लु कि सात पीढी को परेशानी ना हो। बस यही सोच आपको अपने जीवन में लागु करने की आवश्यकता है। हमारा अगला जन्म बेहतर हो तो हमें इसी भव में पुरूषार्थ करना पड़ेगा।
जैन धर्म का एक ही नियम है कर्म जैसे करेंगे वैसे ही भोगने पड़ेगे। सद्कर्म करेंगे तो आने वाला जन्म भटकने की आवश्यकता नही रहेगी। उन्होंने कई वृतांत सुनाते हुए तीर्थकर परमात्मा के सन्देश को उनके सिद्धात को अपनाते हुए अपने जीवन को सद्कर्म से बिताए वही हमें इस जन्म में खुशियां देगा। आचार्यश्री के प्रवचन को उपस्थित जनसमुह पुरे मनोयोग के साथ सुनता नजर आता है। पुरे प्रवचन के दौरान एक दम शान्तचित के साथ प्रवचन में ज्ञान की गंगा बह रही है। चातुर्मास कमेटी के सचिव बाबुलाल बोथरा हेमरत्न व मीडिया संयोजक कपिल मालू ने बताया कि मंगलवार को तेले की तपस्या मनीषा राजू सेठिया की रही और आयंबिल की तपस्या गुडडी पवनकुमार धारीवाल की रही।
चातुर्मासिक प्रवचन माला में गुरूभक्त सुरेशकुमार लोढा पूना, प्रदीप श्रीश्रीश्रीमाल चैन्नई, लालचन्द मण्डोवरा सिणधरी सहित कई गुरूभक्त बाहरी राज्यों से गुरूदेव के दर्शन करने बाड़मेर पहुंचे, जिनका चातुर्मास कमेटी की ओर से बहुमान किया गया। संगीतकार गौरव मालू द्वारा भजनों से प्रवचन वाटिका झूम उठी। कई भामाशाहों द्वारा रतनमाला गौशाला माण्डवला में जीवदया के लिए राशि अर्पण की गई। चातुर्मास कमेटी के ट्रस्टी अशोक संखलेचा पपसा व बाबुलाल संखलेचा ने बताया कि बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभाश्री की सुशिष्या साध्वी आप्तरूचि श्रीजी म.सा. के 11 उपवास की तपस्या की ओर अग्रसर व साध्वी अपूर्वरूचि श्रीजी म.सा. के सिद्धितप की तपस्या निरंतर है और महातपस्वी कंचनदेवी संजयकुमार बाबुलाल गोलेच्छा मासक्षमण (30 उपवास) की तपस्या की ओर अग्रसर है, जिनके मंगलवार को 28वां उपवास रहा। खरतरगच्छ संघ द्वारा तपस्वियों की सुखसाता पुछी गई। सिद्धितप की तपस्या की छठी लड़ी में 06 उपवास की तपस्या शुरू। आज बुधवार को प्रातः 10.30 बजे प्रवचन के बाद तपस्वियों के अनुमोदनार्थ भव्य नाटक ‘‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा‘‘ का आयोजन होगा