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आचार्य भगवन का आत्म ध्यान 5 अगस्त को, प्रातः 5 बजे से पारस चैनल पर होगा प्रसारित

ज्ञान के प्रकाश से व्यक्ति की दिशा बदलती है : प्रमुख मंत्री श्री शिरीष मुनि जी म.सा.

बलेश्वर, सूरत।आचार्य भगवन ने आज की सभा को आत्म ध्यान के प्रयोग, तपस्वियों को पच्चखान एवं दर्शन लाभ प्रदान कर श्रावक-श्राविकाओं को लाभान्वित किया। आज का उद्बोधन श्रमण संघीय प्रमुख मंत्री श्री शिरीष मुनि जी म.सा. का एवं सहमंत्री श्री शुभम मुनि जी म.सा. का हुआ।

प्रमुख मंत्री श्री शिरीष मुनि जी म.सा. ने श्री दशवैकालिक सूत्र की गाथाओं का विवेचन करते हुए उद्बोधन में फरमाया कि जो साधु स्वाध्याय एवं ध्यान में लीन रहता है और सभी छह काया के जीवों के संरक्षक है, सबसे बड़ा पाप मिथ्यात्व है उस पाप की कालीमा से रहित होता है वह संयमी साधु होता हैं। अंधकार में अनेक पाप होते हैं। सम्पूर्ण लोक अज्ञान के अंधकार में भटक रहा है, जिस प्रकार सूर्य की एक कीरण अंधकार को मिटा देती है वैसे ही ज्ञान का प्रकाश आता है तो व्यक्ति के जीवन की दिशा बदल जाती है।

उन्होंने आगे फरमाया कि दुःख, परिषहों को सहन करने वाला, इन्द्रियों को जीतने वाला, श्रुत से युक्त, ममत्व से रहित, परिग्रह से रहित वह साधु पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान होता है। मन के चंचल स्वभाव को रोकने के लिए एक संयमी व्यक्ति पांचों इन्द्रियां और छठे मन के सारे विचारों को गौण कर देता है जिसके कारण उसके मन को प्रभावित नहीं कर सकते।

युवा मनीषी श्री शुभम मुनि जी म.सा. ने “पाया नर तन पाया, क्या पाकर लाभ उठाया” सुमधुर भजन की प्रस्तुति देते हुए फरमाया कि यदि जिसे आत्म जागरण हो जाए तो वह मोक्ष के निकट पहुंच सकता है। आत्मा की बात बताने वाले बहुत कम साधु-संत हैं जिनको आत्मा की अनुभूति है, आत्मज्ञानी सद्गुरुदेव आचार्य भगवन आत्मा का अनुभव सबको प्रदान कर रहे हैं। मैं जीवात्मा हूं यह अनुभव से ज्ञान हुआ, सम्यक्त्व की ज्योति भीतर से प्रकट हुई। मिथ्यात्वी व्यक्ति को मिथ्यात्वियोंका संग और उनकी ही बातें अच्छी लगती है। सम्यक्त्वी व्यक्ति को सम्यक्त्वी का संग सम्यक्त्वी की बातें ही अच्छी लगती है। सम्यक्त्वी की एक किरण हमारे जीवन में आ जाए तो जीवन का कल्याण हो जाता है।

इस अवसर पर आज उर्मिला विजय कुमार जी गन्ना ने 6 दिन के उपवास का प्रत्याख्यान लिया। साथ अपनी धारणा अनुसार कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपासन, एकासन, आयंबिल का प्रत्याख्यान  किल्या

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