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सूरत : कुशल दर्शन दादावाड़ी में चातुर्मासिक प्रवचनों की प्रभावशाली शुरुआत, सच्चे सुख और मोह पर विजय का संदेश

संसारिक सुख क्षणिक है, जबकि स्थायी और शाश्वत सुख आत्मा में है-श्री श्रास्वतसागर

सूरत। पर्वत पाटिया स्थित कुशल दर्शन दादावाड़ी में खरतरगच्छाचार्य शासन प्रभावक श्री जिन पीयूषसागर सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य पूज्य श्रास्वतसागर जी म.सा. एवं समर्पितसागर जी म.सा. के संयमित सान्निध्य में चातुर्मासिक धर्म प्रवचनों का शुभारंभ हुआ।

आज के प्रवचन में “सच्चा सुख – भ्रम और यथार्थ का बोध” विषय पर पूज्य श्री श्रास्वतसागर जी म.सा. ने कहा कि संसारिक सुख क्षणिक है, जबकि स्थायी और शाश्वत सुख आत्मा में है। जीवन का वास्तविक उद्देश्य आत्मिक शांति की खोज होना चाहिए। उन्होंने जीवन में ‘यू-टर्न’ लेकर आत्मा के सच्चे सुख की ओर बढ़ने का आह्वान किया।

पूज्य समर्पितसागर जी म.सा. ने “समर्पण और पुरुषार्थ : मोह पर विजय की साधना” पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में प्रार्थना के साथ पुरुषार्थ अनिवार्य है। मोह को हटाने का उपाय ज्ञान और साधना का प्रकाश है। उन्होंने मोह को सबसे सूक्ष्म और खतरनाक शत्रु बताया जो आत्मा को गिरावट की ओर ले जाता है। मोह को समाप्त करने के लिए गुरु, जिनवाणी और आत्मज्ञान का आलोक आवश्यक है।

प्रवचन में पनिहारी और विद्यालय प्रसंग जैसे प्रेरक उदाहरणों से साधना में समर्पण और पुरुषार्थ का संतुलन समझाया गया।

बाड़मेर जैन संघ के चम्पालाल बोथरा ने बताया कि बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने प्रवचन श्रवण कर संयम-साधना के पथ पर अग्रसर होने का संकल्प लिया। चातुर्मास के अवसर पर आत्म जागरण और आध्यात्मिक उन्नति का अद्भुत वातावरण बना हुआ है।

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