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स्वीकार करना सीखें, व्यवहार अपने आप बदलने लगेगा-आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वर

दादा श्री जिनदतसूरी तप के 300 तपस्वियों ने किया पारणा

आपका व्यवहार ही आपकी प्रतिष्ठा तय करता है-आचार्यश्री

बाड़मेर। खरतरगच्छाधिपति के बाड़मेर चातुर्मास के प्रवचन के बाद थार नगरी में तपस्या की भावनाएं जागृत होने लगी है। 300 से अधिक तपस्वीयों ने अपनी तपस्या का पहला पड़ाव पुरा करते हुए पारणा किया। तपस्या के क्रम में तपस्या करने वालो की संख्या में लगातार बढ रही है। ये गुरू चरणों का प्रभाव है कि तप आराधना से श्रावक-श्राविकाएं अपने पाप कर्म का नाश कर रहे है।

बुधवार को स्थानीय विधापीठ के पास सुधर्मा प्रवचन वाटिका में खरतरगच्छाधिपति आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वर म.सा. आदि ठाणा की पावन निश्रा व बहिन म.सा. साध्वी विधुत्प्रभा श्री के पावन सानिध्य में चल रहे संघशास्ता वर्षावास आचार्य श्री ने सम्बोधित करते हुए कहा कि अपनी बात दूसरों पर थोपना यह एक सामान्य संसार में मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति है। इसे प्रक्षेपण कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति अपनी भावनाओं, विचारों, या इच्छाओं को दूसरों पर आरोपित करता है, खासकर उन भावनाओं को जो वे खुद के लिए स्वीकार करने में सहज नहीं होते। मेरी नजर में इसका उत्तर एक रूप में हां में है, अगर सूक्ष्म स्तर पर देखोगे तो कोई भी प्रवृत्ति जो हमें दूसरों से बांधती है वह मनोविकार ही है, यहां भी एक मनुष्य जब यह सोचता है कि दूसरा इंसान मेरी बात को समझे और अपनाएं तो ऐसे में सूक्ष्म रूप में वह मनोविकार का ही रूप है कि उसे यह लगता है मैं सबको या किसी एक को उसके भले के लिए सबसे अच्छी तरह समझा पा रहा हूं और वह उसे सुने समझे और अपनाए भी परंतु इसका एक दूसरा पहलू भी है और वह यह है कि कई बार हमें कोई अपना जो बहुत प्यारा होता है, अगर वह कुछ सही नहीं कर रहा होता तो अक्सर हम उसके प्रति कुछ कठोर होकर उसे किसी बात को मानने के लिए बाधित करते हैं, जैसे कि एक मां बाप अपने छोटे बच्चे की भलाई को ज्यादा अच्छे से समझते हैं तो वह किसी रूप में उन्हें अपनी बात को मानने के लिए बाधित भी करते हैं ऐसे में मां-बाप गलत नहीं होते, परंतु बड़े होने के साथ दो लोगों के विचार सीमा और तर्क और उनका अनुभव अलग होता जाता है। ऐसे में एक दूसरे की बात सुनी और समझी जाए वही बेहतर है बजाय उसको थोपने के। इसमें व्यक्ति, समाज और संस्कृति के बीच संबंधों को समझना शामिल है। यह मनोविज्ञान की एक शाखा है जो वैश्विक स्तर पर मानव अनुभव और व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारकों पर ध्यान केंद्रित करती है।

खरतरगच्छ संघ चातुर्मास कमेटी के सचिव बाबुलाल बोथरा हेमरत्न व ट्रस्टी पुखराज भंसाली ने बताया कि कमेटी के तत्वावधान में बुधवार को दादा जिनदतसूरी तप के 300 तपस्वियों का बियासने का पारणा शालीभद्र भोजन मण्डप में प्रातः 07.30 बजे सम्पन्न हुआ। चातुर्मास कमेटी के कोषाध्यक्ष बाबुलाल छाजेड़ कवास व मीडिया संयोजक कपिल मालू ने बताया कि शनिवार को प्रश्नोत्तरी प्रवचन आयोजित होगा, जिसमें प्रत्येक संघ के व्यक्ति के प्रश्न का जवाब दिया जायेगा, जिसका पेटिका सुधर्मा प्रवचन वाटिका में रखा गया है। आराधना भवन में बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभाश्री की निश्रा प्रतिदिन प्रातः 06.30 बजे से 07.15 बजे तक स्वाध्याय की क्लाश चालू है, जिसमें देवचन्द्र चैबीसी का अर्थ बताया जा रहा है, प्रतिदिन दोपहर में 02.30 बजे से 03.00 बजे तक सूत्र गाथा कण्ठस्थ की क्लाश चालू है व दोपहर 03.00 बजे 04.00 बजे तक महिलाओं व बालिकाओं की स्वाध्याय शिविर सोमवार से शुक्रवार तक रहेगी। सुधर्मा प्रवचन वाटिका में प्रतिदिन 02.30 बजे 04.30 बजे तक साध्वीजी की निश्रा में होगी और दोपहर में 02.00 बजे से 03.00 बजे तक कण्ठस्थ सूत्र व प्रतिक्रमण, रात्रि में 09.00 बजे से 09.45 बजे तक साधु भगवंत की निश्रा में शासन वर्सेज साइंस युवाओं की प्रशिक्षण प्रारम्भ है। बुधवार का तेले की तपस्या मंजूदेवी घेवरचन्द बोथरा की रही। मध्यप्रदेश से निर्मल छाजेड़, एवं अहमदाबाद से कल्पेश भंसाली गुरूदेव के दर्शन को पधारें कमेटी की ओर से लाभार्थी परिवारों द्वारा अभिनन्दन किया गया।

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