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अपनी कषायों पर विजय प्राप्त करो-मुनि अजीत सागर महाराज

आज चातुर्मास कलश स्थापना समारोह में सैकड़ों गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति संभावित

सूरत। “कर्म के नाश के लिए मनुष्य का कर्म अच्छा होना चाहिए। भोग को भोगने वाला कभी कर्म का अंत नहीं कर सकता। इस युग में प्रभु और गुरु के माध्यम से पुण्य संचय कर पाप का क्षय किया जा सकता है। संसार में दुख का मूल कारण कषाय है, और जिसने अपनी कषायों पर विजय प्राप्त कर ली, वही अपने भीतर स्थित सुख एवं परमात्म स्वरूप को अनुभव कर सकता है।”उपरोक्त उद्गार मुनि अजीत सागर महाराज ने शनिवार को भटार दिगंबर जैन मंदिर में आयोजित प्रवचन सभा में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि आत्म साधना में आगम के अनुसार दीपावली तक बंधन दिगंबर जैन संतों द्वारा स्वीकार किया जाता है। जो प्राणीमात्र के लिए बाधक और घातक नहीं बनता, वही सच्चा साधक कहलाता है। साधना के इस मार्ग में श्रावकों द्वारा त्याग के माध्यम से मंगल कलश आदि की स्थापना की जाती है, ताकि आगंतुक अतिथियों की व्यवस्था, जिनालय निर्माण एवं शास्त्र रचना जैसे कार्य संपन्न हो सकें। इसी उद्देश्य से कलश स्थापना द्वारा एकत्रित धन का सदुपयोग होता है।

मुनि श्री अजीत सागर महाराज का चातुर्मास कलश स्थापना समारोह रविवार, 13 जुलाई को दोपहर 2 बजे मैत्री हॉल, तेरापंथ भवन, सिटीलाइट में आयोजित होगा।
आयोजक श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन समिति के अनुसार, इस अवसर पर देशभर के विभिन्न नगरों से सैकड़ों गणमान्य व्यक्ति उपस्थिति दर्ज कराएंगे।

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