सीधा व सपाट होता है सत्य का मार्ग : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
तेरापंथ किशोर मण्डल के 20वें अधिवेशन ‘कर्त्तव्यम’ के संभागियों को मिली विशेष प्रेरणा

–अपने कर्त्तव्य के प्रति सतत जागरूक रहने को आचार्यश्री ने किया अभिप्रेरित
-साध्वीवर्याजी ने श्रद्धालुओं को किया उद्बोधित
12.07.2025, शनिवार, कोबा, गांधीनगर।वर्ष 2025 के चतुर्मास के लिए कोबा में स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में विराजमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी होने के उपरान्त मानों संगठनों के कार्यक्रमों का भी शुभारम्भ हो गया। शनिवार को आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में शनिवार को तेरापंथ किशोर मण्डल का 20वां त्रिदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन ‘कर्त्तव्यम्’ का मंचीय उपक्रम भी रहा। आचार्यश्री ने अहमदाबादवासियों को जैन आगमों में प्रथम ‘आराचांग भाष्यम्’ से पावन पाथेय प्रदान करना भी प्रारम्भ किया।
शनिवर को ‘वीर भिक्षु समवसरण’ से आचार्यश्री भिक्षु के परंपर पट्टधर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आगम वाङ्मय जो हम सभी के लिए सम्माननीय साहित्य है। श्वेताम्बर और दिगम्बर परंपरा जैन शासन की दो मुख्य धाराएं हैं दिगम्बर परंपरा के मुनि अचेल, निर्वस्त्र रहते हैं और श्वेताम्बर परंपरा के साधु सफेद वस्त्र धारण करते हैं। अचेलता और सचेलता पहचान की भेद रेखा है। हालांकि दोनों भगवान महावीर से जुड़ी हुई हैं। जैसे एक पिता के दो पुत्र हो जाते हैं और फिर उनके अपने-अपने घर हो जाते हैं, उसी प्रकार भगवान महावीर रूपी पिता के दो पुत्र दिगम्बर और श्वेताम्बर हुए। दोनों में कुछ समानताएं भी होती हैं। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ में 32 आगम मान्य किए गए हैं। हमारे पूर्वजों ने हमें 32 आगम प्रदान किए। ये सभी 32 आगमों के अनुवाद और संपादन काम शुरु हुआ और 32 आगम प्रकाशित भी हो गए। जैन विश्व भारती साहित्य के क्षेत्र में कार्य करती है। 32 आगमों में एक मुख्य है आचारांग।
आज से मैं मूल आगम में प्रथम आराचांग भाष्यम् के तीसरे अध्ययन के माध्यम से व्याख्यान प्रारम्भ कर रहा हूं। इसमें एक छोटा-सा सूक्त दिया गया है जो मेधावी है, वह सत्य की आज्ञा में उपस्थित हो जाता है। यह बहुत महत्त्वपूर्ण बात है कि आदमी किसकी आज्ञा में है? तीर्थंकर ने फरमा दिया कि यह करना और यह नहीं करना तो फिर आगम को देखने की अपेक्षा नहीं होती। वे स्वयं आगम पुरुष और धर्म के अधिकृत प्रवक्ता होते हैं। जैन शासन की मान्यता के अनुसार उनसे बड़ा दूसरा कोई प्रवक्ता नहीं होता।
अंग आगमों को स्वतः प्रमाण कहा गया है। जहां तीर्थंकर नहीं हैं तो जैन शासन के प्रमुख आचार्य को मान लेना चाहिए। तीर्थंकर के प्रतिनिधि आचार्य हो सकते हैं। हमारी परंपरा में आचार्य तीर्थंकर के प्रतिनिधि के रूप में होते हैं। वर्तमान समय में तेरापंथ परंपरा में अंतिम निर्णायक आचार्य ही होते हैं। सत्य की आज्ञा में चलने का प्रयास करना चाहिए। तटस्थ भाव होता है तो किसी को प्रायश्चित्त भी दिया जा सकता है। तटस्थ भाव से सम्यक् मान लेना कल्याण का ही मार्ग है। आचार्य में तटस्थ भाव होना आवश्यक होता है। तटस्थ भाव से जो यथार्थ लगे, उस ओर कदम बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। राग-द्वेष के विचार-भाव से बचने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ जीवन में भी संकल्प हो तो झूठ से बचा जा सकता है। कभी कठिनाई आ सकती है, लेकिन आदमी का मनोबल मजबूत हो तो झूठ-कपट से बचा जा सकता है और सच्चाई के मार्ग पर आगे बढ़ा जा सकता है। त्याग, संयम की भावना हो तो आदमी ईमानदार बन सकता है। सच्चाई का रास्ता सीधा और सपाट और झूठ का रास्ता ऊबड़-खाबड़ होता है। जितना संभव हो सके आदमी को ईमानदारीपूर्ण व्यवहार रखने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने भी जनता को उद्बोधित किया। 20वें तेरापंथ किशोर मण्डल के राष्ट्रीय अधिवेशन ‘कर्त्तव्यम्’ के संदर्भ में श्री अरविंद पोखरना ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ किशोर मण्डल के सदस्यों गीत का संगान किया। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री रमेश डागा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित किशोरों को विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद से जुड़ा यह तेरापंथ किशोर मण्डल किशोरों को अच्छी राह दिखाने वाला अच्छा उपक्रम है। यह समय विद्या व बल के विकास का है। ऐसे संगठन से जुड़ना भविष्य और वर्तमान दोनों के लिए अच्छा हो सकता है। हम सभी के जीवन में कर्त्तव्य बोध और कर्त्तव्य का पालन होना आवश्यक होता है। यह सम्मेलन संभागियों को अच्छी खुराक देने वाले होते हैं। आचार्यश्री ने किशोरों को शराब पीने और ड्रग्स का सेवन नहीं करने का संकल्प कराया, जिसे उपस्थित किशोरों ने सहर्ष स्वीकार किया।
अहमदाबाद चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री अरविंद संचेती ने गुरु सन्निधि में चलने वाले सपाद कोटि जप से संदर्भित पंप्लेट आदि को समर्पित किया। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा ‘मंत्र दीक्षा’ के बैनर का लोकार्पण किया गया।