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उधना में आचार्य भगवंत शिव मुनि जी म.सा. के सान्निध्य में 208 वर्षीतप के पारणे हुए

सुरत के इतिहास में पहली बार इतना बड़ा आयोजन,देशभर से सैकड़ों मेहमानों का आगमन हुआ

उधना, सूरत।अक्षय तृतीया के उपलक्ष में जैन धर्म के महान तप वर्षीतप के 208 से अधिक पारणों का भव्य आयोजन आज उधना स्थित शिवाचार्य समवशरण में हुआ इस आध्यात्मिक आयोजन का नेतृत्व पूज्य आचार्य भगवंत शिव मुनि जी म.सा. एवं युवाचार्य महेंद्रऋषिजी म.सा
के पावन सान्निध्य हुआ शिवाचार्य आत्मध्यान फाउंडेशन के तत्वावधान में हो रहे इस पारणे महोत्सव में देशभर से सैकड़ों श्रद्धालु एवं गणमान्य अतिथि शामिल हुए

जैन धर्म में वर्षीतप को अत्यंत उच्च कोटि का तप माना गया है। यह तपस्या पूरे तेरह महीने तक चलती है, जिसमें तपस्वी एक दिन उपवास करके अगले दिन पारणा करते हैं। इस तप की पूर्णता के बाद अक्षय तृतीया जैसे पुण्य पर्व पर पारणा किया जाता है। मान्यता है कि ऐसे तप से आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है और मोक्ष मार्ग प्रशस्त होता है।
आयोजन समिति के सदस्य जयंती कुकडा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार के आयोजन में करीब 208 वर्षीतप पूर्ण करने वाले तपस्वियों ने पारणा किया जो अपने आप में एक अनूठा और विरल अवसर था यह समूचा आयोजन धर्म, साधना और सेवा की त्रिवेणी का प्रतीक बनकर सामने आया है।

इस अवसर पर लगभग 60 साधु-साध्वियाँ भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को पावन बना रहे हैं। उनके प्रवचन और तपस्वियों का तपबल जनमानस को आध्यात्मिक प्रेरणा दायक रहा

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