गुजरातसामाजिक/ धार्मिक

महाप्रशस्तजीवी थे भगवान महावीर : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

भाभर में महातपस्वी महाश्रमण की सन्निधि में 2624वें महावीर जयंती का भव्य आयोजन

साध्वीप्रमुखाजी, मुख्यमुनिश्री व साध्वीवर्याजी ने भी जनता को किया उद्बोधित

-स्थानीय विधायक ने भी किए दर्शन, पूज्यप्रवर से प्राप्त किया मंगल आशीर्वाद

-एक मुमुक्षु को मुनि दीक्षा तो तीन वैरागियों को साधु प्रतिक्रमण सीखने का आदेश

10.04.2025, गुरुवार, भाभर, वाव-थराद।गुजरात के वाव-थराद जिले के भाभर गांव में द्विदिवसीय प्रवास के दूसरे दिन गुरुवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में भगवान महावीर की 2624वीं जन्म जयंती का भव्य आयोजन किया।

भाभर के श्री रघुवंशी देसी लोहाना महाजनवाडी में विराजमान युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी लगभग साढे नौ बजे महाजनवाडी में बने महावीर समवसरण में पधारे। भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी के मंगल महामंत्रोच्चार से भगवान महावीर के जन्म जयंती के समारोह का शुभारम्भ हुआ। मुनि दिनेशकुमारजी ने गीत का संगान कराया। तदुपरान्त साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी, मुख्यमुनि महावीरकुमारजी व साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने भी समुपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया तथा भगवान महावीर के प्रति अपनी विनयांजलि समर्पित करते हुए लोगों को अभिप्रेरित भी किया।

भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि भगवान महावीर के लोकोत्तम शब्द का प्रयोग किया गया है। इस दुनिया में उत्तम पुरुष भी मिलते हैं, मध्यम पुरुष भी हैं और निम्न स्तर से पुरुष भी मिल सकते हैं। भगवान महावीर को लोकोत्तम कहा गया है और भी पुरुष लोकोत्तम हो सकते हैं। साधु भी लोकोत्तम होते हैं। केवली प्रज्ञप्त धर्म भी लोकोत्तम होता है। भगवान महावीर के जीवन में केवली प्रज्ञप्त धर्म था, इसलिए वे लोकोत्तम हुए। केवली प्रज्ञप्त धर्म जिसमें होता है, वह लोकोत्तम होता है। अर्हत, सिद्ध के जीवन में केवली प्रज्ञप्त धर्म है, इसलिए वे लोकोत्तम है। साधु केवी प्रज्ञप्त धर्म के जानकार होते हैं, इसलिए वे लोकोत्तम कहे जा सकते हैं।

भगवान महावीर के जीवन को देखें तो तीस वर्ष गृहस्थावस्था में तीस वर्ष, तीस वर्ष केवलज्ञान और बीस के साढे बारह वर्ष साधनाकाल का रहा। सामान्य आदमी को थोड़ा आश्चर्य हो सकता है कि आज अस्सी, नब्बे, सौ आदि वर्ष के लोग भी मिलते हैं, किन्तु 2500 वर्ष पहले भगवान महावीर का जीवनकाल बहुत कम ही रहा। लम्बा जीवनकाल और अल्प जीवनकाल यह विशेष मायने नहीं रखता, आदमी अपने जीवन में करता क्या है, वह विशेष महत्त्वपूर्ण है। भगवान महावीर महाप्रशस्तजीवी थे, ऐसा कहा जा सकता है।

चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को भगवान महावीर का जन्म हुआ था। आज की तिथि मानों धन्य हो गई, कि आज के दिन एक महान व्यक्तित्व ने जन्म लिया था। आज उनका जन्मकल्याणक है। जन्म के बाद और जन्म से पहले गर्भकाल में क्या करता है, यह विशेष बात है। गर्भस्थ शिशु को कितनी अच्छी ट्रेनिंग दी जा सकती है, उसके भीतर कैसे संस्कार भरने का प्रयास किया जा सकता है। माताओं को इसका प्रशिक्षण दिया जाए कि गर्भावस्था में बच्चों को अच्छे संस्कार का प्रशिक्षण दे सकें। वैचारिक रूप से अहिंसा, अनेकांतता रहे, इस स्थिति तक पहुंच जाएं तो कितने कल्याण की बात हो सकती है।

वाव-पथक के भाभर में यह महावीर जयंती का कार्यक्रम हो रहा है। कई जगहों पर अन्य जैन आचार्य व साधु-साध्वियां एक मंच पर साथ में कार्यक्रम होता है। भगवान महावीर का यह जैन शासन है। श्रावक समाज परस्पर मैत्री की भावना बनी रहे और हम सभी आत्मकल्याण की दिशा में आगे बढ़ते रहें, यह काम्य है।

आचार्यश्री ने मुमुक्षु मनोज, अर्हम्, जिगर व जहान को अपने सम्मुख बुलाया। मुमुक्षु मनोज सकलेचा को तीन सितम्बर को प्रेक्षा विश्व भारती में आयोज्य दीक्षा समारोह में मुनि दीक्षा देने की घोषणा की। इसके साथ वैरागी अर्हम्, जिगर व जहान को साधु प्रतिक्रमण सीखने की अनुमति प्रदान की। तीनों मुमुक्षुओं ने आचार्यश्री को सविधि वंदन कर अपने कृतज्ञभाव ज्ञापित किए।

भाभर के बालक-बालिकाओं ने अपनी प्रस्तुति दी। वाव-पथक भाभर की महिलाओं ने गीत का संगान किया। भाभर मूर्तिपूजक संप्रदाय के ट्रस्टी श्री सेवंती भाई तथा मुनि गिरीशकुमारजी के संसारपक्षीय श्री रजनीभाई ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। स्थानीय विधायक श्री स्वरूप सरदार ठाकुर ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। निराली मोदी ने गीत का संगान किया। श्री भीखाभाई आचार्य ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी। मोदी परिवार के युवकों ने भी अपनी प्रस्तुति दी।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button