साहित्यकार, विधिवेत्ता व तत्त्ववेता थे श्रीमज्जयाचार्य : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

महातपस्वी महाश्रमण की मंगल सन्निधि में पर्वाधिराज पर्युषण का आध्यात्मिक आगाज
-खाद्य संयम दिवस के साथ श्रीमज्जयाचार्यजी के महाप्रयाण दिवस का हुआ समायोजन
-अनेक रूपों- में खाद्य का संयम करने को आचार्यश्री ने किया अभिप्रेरित
-मुख्यमुनिश्री व साध्वीवर्याजी ने भी अर्पित की विनयांजलि
20.08.2025, बुधवार, कोबा, गांधीनगर।जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में बुधवार से जैन धर्म का महान आध्यात्मिक पर्व, पर्युषण महापर्व का भव्य एवं आध्यात्मिक रूप में शुभारम्भ हुआ। अष्टदिवसीय इस महापर्व में धर्म, ध्यान, साधना, स्वाध्याय, जप, तप आदि का विशेष अर्चन किया जाता है। इस महापर्व के बाद नौवें दिन क्षमापना दिवस के साथ इस महापर्व की सुसम्पन्नता होती है। इस महापर्व को देखकर तेरापंथी श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस महापर्व को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में मनाने के लिए कोबा स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में पहुंच गए थे।
बुधवार को पर्युषण महापर्व का प्रथम दिवस खाद्य संयम दिवस के रूप में समायोजित हुआ। प्रेक्षा विश्व भारती परिसर में बना भव्य एवं विशाल ‘वीर भिक्षु समवसरण’ श्रद्धालुओं की उपस्थिति से जनाकीर्ण बना हुआ था। आज शायद कोई श्रद्धालु ऐसा नहीं था जो सामायिक में नहीं था। क्योंकि यह विशेष अवसर विशेष से धर्म की कमाई से जुड़ा हुआ था। आचार्यश्री के प्रवचन पण्डाल में पधारने से पूर्व प्रेक्षाध्यान, पच्चीस बोल पर आधारित तात्त्विक विश्लेषण तथा आगम स्वाध्याय से भी श्रद्धालु जुड़े। तदुपरान्त निर्धारित समय पर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी मंचासीन हुए तो पूरा प्रवचन पण्डाल जयघोष गुंजायमान हो उठा।
पर्युषण महापर्व का प्रथम दिन आचार्यश्री के मुखारविंद का और मस्तक का लुंचन हुआ। इस संदर्भ में चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने आराध्य से इस विधिवत वंदन करते हुए इस निर्जरा से भागीदार बनाने की प्रार्थना की तो आचार्यश्री ने साधु-साध्वियों व समणियों को एक-एक आगम स्वाध्याय करने और श्रावक-श्राविकाओं को सात सामायिक अतिरिक्त रूप से करने की प्रेरणा प्रदान की।
आज खाद्य संयम दिवस के साथ-साथ तेरापंथ धर्मसंघ के चतुर्थ आचार्य श्रीमज्जयाचार्यजी के महाप्रयाण की वार्षिक तिथि भी थी। इस संदर्भ में साध्वीर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने उनके जीवनवृत्तांतों का वर्णन किया। मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने प्रज्ञापुरुष श्रीमज्जयाचार्यजी के विषय में खाद्य संयम दिवस के संदर्भ में अपने गीत व वक्तव्य से श्रद्धालुओं को अभिप्रेरित किया।
तदुपरान्त युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित श्रद्धालुओं के अपार जनसमूह को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि परमाराध्य भगवान महावीर लोकोत्तम थे। अर्हत, सिद्धों, साधु-साध्वियों को केवली प्रज्ञप्त धर्म को लोकोत्तम बताया गया है। सभी अर्हत लोकोत्तम होते हैं। वर्तमान जैन शासन भगवान महावीर से सम्बद्ध हैं। वे 24वें तीर्थंकर के रूप में हुए। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ की परंपरा में पुर्यषण पर्व का प्रारम्भ हो रहा है। भगवती संवत्सरी से पूर्ववर्ती एक सप्ताह का समय पर्युषण के रूप मनाया जाता है। भगवती संवत्सरी को जोड़ दिया जाए तो अष्टदिवसीय आयोजन हो जाता है। आज जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के चतुर्थ आचार्य, परम वंदनीय श्रीमज्जयाचार्यजी का महाप्रयाण दिवस है। उनका महाप्रयाण जयपुर में हुआ। उनके नाम में भी जय और जयपुर में भी जय है। वे विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी थे। वे तत्त्ववेत्ता थे, उनका शास्त्रीय ज्ञान बहुत ही निर्मल था। उनके उपलब्ध ग्रन्थों को देखा जाए तो तत्त्वज्ञान की मानों भण्डार भरा हुआ हो। ज्ञान के क्षेत्र में उनका वैशिष्ट्य उनके ग्रंथों के स्वाध्याय से आकलित किया जा सकता है। वे अध्यात्म के साधक भी थे। चौबीसी जैसे ग्रंथ में उन्होंने कितने-कितने संदर्भों को जोड़ा गया है। वे अपने जीवन के अंतिम वर्षों में विशेष आध्यात्मिक साधना में समर्पित कर दिए थे। वे विधि-विधान व अनुशासन व्यवस्था के निर्माता भी थे। व्यवस्थाओं में कुछ परिवर्तन कर नवीनता लाए। आचार्यश्री ने श्रीमज्जयाचार्यजी व आचार्यश्री तुलसी के कुछ समानताओं का भी वर्णन किया। श्रीमज्जयाचार्यजी महान साहित्यकार थे।
आज खाद्य संयम दिवस है। जितना संभव हो सके तपस्या करें और यथानुकूल खाने में संयम भी रखनें का प्रयास करें। अनेक रूपों में खाद्य संयम किया जा सकता है। जिसके प्रति आदमी का ज्यादा आकर्षण हो, उसे छोड़ने का प्रयास करना चाहिए। खाद्य पदार्थों का संयम करना भी अच्छी तपस्या है। आचार्यश्री ने साधु-साध्वियों को नवकारसी करने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को खाद्य संयम की दिशा में भी आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।