चिंता छोड़ो, चिंतन करो: शरीर नहीं, आत्मा की ओर बढ़ो-खरतरगच्छाचार्य श्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वर जी म.सा

बाड़मेर जैन श्री संघ सर्वमंगलमय वर्षावास 2025 में प.पू. संयमसारथी खरतरगच्छाचार्य श्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वर जी म.सा. के मंगल गीत के बादपूज्य शाश्वतसागरजी ने अपने मंगल प्रवचन में जीवन की नश्वरता और आत्मा की शुद्धता पर जोर देते हुए कहा कि हमारा यह शरीर केवल हड्डी, मांस और रक्त का एक पिंड है। उन्होंने यह भी समझाया कि इस शरीर पर हम जो भी भौतिक वस्तुएं लगाते हैं, वे अंततः दुर्गंध में बदल जाती हैं। उनका कहना था कि हमें इस नश्वर देह की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह स्वयं रोगमय है।
पूज्य समर्पित सागरजी ने भी इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हमें चिंता की बजाय चिंतन पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि महापुरुष चिंता नहीं करते, बल्कि चिंतन करते हैं, इसीलिए वे मोक्ष पाते हैं। इस बात को सिद्ध करने के लिए उन्होंने गजसुकुमार मुनि का उदाहरण दिया, जिन्होंने अंगारों की सिगड़ी पहनाए जाने पर भी अपनी पीड़ा की चिंता नहीं की, बल्कि चित्त को शांत रखते हुए आत्म-चिंतन किया। उनकी यही मानसिक स्थिरता उन्हें मोक्ष के मार्ग पर ले गई।
दोनों पूज्य म .सा .के प्रवचनों का सार यही है कि हमें भौतिकता को छोड़कर आत्मिक उन्नति पर ध्यान देना चाहिए। चिंता से केवल कष्ट मिलता है, जबकि चिंतन से आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।आचार्य श्री जिन पीयूष सागर जी म. सा .ने अपने मधुर कंठ से जिन धर्म के प्यारे लोगो:सुन लो ये अमर कहानी; का गीत गाकर सबको भावुक कर दिया ।
बाड़मेर संघ के वरिष्ठ सदस्य चम्पालाल बोथरा ने बताया की साधु भगवंतों ने आज
चिंता छोड़ो, चिंतन करो: शरीर नहीं, आत्मा की ओर बढ़ो के सटीक प्रवचन में सबको जीवन में आत्म चिंतन करने से प्रेरित किया ।