धर्म के प्रति रहें जागरूक : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
‘बेटी तेरापंथी की’ के दिन संभागी बेटियों व दोहिता-दोहितियों ने दी अपनी प्रस्तुति

–साध्वीप्रमुखाजी व साध्वीवर्याजी से भी मिला उपस्थित जनता को आशीर्वाद
-बेटियों ने पूज्यचरणों में समर्पित की संकल्पों की राखी
-इसके पूर्व बेटियां प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षण से भी हुई लाभान्वित
26.07.2025, शनिवार, कोबा, गांधीनगर।हरियाली तीज, तेरापंथ की बेटियों का अपने आध्यात्मिक पीहर में शुभागमन ने मानों इस वर्ष की हरियाली तीज के उत्सव को सत्गुणित कर दिया। रविवार को अहमदाबाद चतुर्मास प्रवास के दौरान जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के ‘तत्त्वावधान में आयोजित ‘बेटी तेरापंथ की’ के तृतीय सम्मेलन के दूसरे व अंतिम दिन था। आज भी प्रातः सुबह से लेकर बेटियों के विदाई तक मानों अनेकों बार भावात्मक प्रवाहों में गोते लगाता रहा।
रविवार को प्रातः सूर्योदय के साथ ही ‘बेटी तेरापंथ की’ सम्मेलन में संभागी बेटियों को साध्वी विशालयशाजी ने प्रेक्षाध्यान का प्रयोग कराया। इसके पूर्व रविवार को सायंकाल वर्ष भर में बेटियों की अनेकों ऑनलाल प्रतियोगिताओं में स्थान प्राप्त करने वाली बेटियों को जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया, ‘बेटी तेरापंथ की’ आयाम की संयोजिका श्रीमती कुमुद कच्छारा द्वारा प्रदान किया गया। इस दौरा महासभा के अध्यक्ष व इस प्रकल्प की संयोजिका बेटियों व दामादों का संवाद भी हुआ, जिसमें उन्होंने अपने विचार, सुझाव, जिज्ञासा, गृहस्थी संचालन आदि अनेक विषयों खुली और सुन्दर चर्चा हुई। यह चर्चा आपसी समन्वय को बढ़ाने वाली रही। तदुपरान्त सात से आठ बजे तक भक्ति सन्ध्या का आयोजन हुआ तो जैन जीवनशैली के नौ प्रकारों पर बेटियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दी गईं।
रविवार को प्रेक्षाध्यान का लाभ उठाने के बाद बेटियों ने एक समन्वय रैली भी निकाली और तदुपरान्त जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में आध्यात्मिक लाभ उठाने के पहुंची। बेटियों के साथ संभागी दामाद, दोहिता-दोहितियां व समधिजन भी उपस्थित थे।
मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ‘अयारो’ आगम के माध्यम से जनता को पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि आध्यात्मिकता की भावना और भौतिकता का आकर्षण- ये दोनों एक-दूसरे की विरोधी प्रतीत हो रही हैं। जहां आध्यात्मिक आकर्षण बढ़ेगा, वहां भौतिक आकांक्षा, कामनाएं कमजोर हो जाती हैं और यदि भौतिकता का ज्यादा आकर्षण है तो आध्यात्मिकता का भाव नगण्य हो सकेगा। हमारे जीवन में भौतिकता भी है, आत्मा भी है, शरीर रूपी पुद्गल है। आत्मा चैतन्य होती है। जहां कोरी आत्मा हो, वहां जीवन की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती। शरीर नहीं होता है तो शरीर, वाणी व मन, श्वास का आवागमन का विधान नहीं होता। जहां कोरी शरीर भी होता है तो भी जीवन नहीं हो सकता। शरीर और आत्मा का संयोग होता है, तब ही जीवन होता है। यह जीवन अनित्य होता है, इसका चिंतन करना चाहिए। मृत्यु का आगमन कभी भी हो सकता है, इसलिए आदमी को अपनी आत्मा का कल्याण करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को धार्मिक-आध्यात्मिक विकास करने का प्रयास करना चाहिए और यथासंभवतया दूसरों की भी आध्यात्मिक-धार्मिक सेवा करने का प्रयास करना चाहिए। मृत्यु के लिए कोई समय अनवसर नहीं है। इसलिए आदमी को धर्म के प्रति जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने बच्चों को संस्कारों से भावित बनाने की प्रेरणा देते हुए अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा किड्जोन व ज्ञानशाला के माध्यम से टेक्नोलॉजी के साथ संस्कार का प्रयास देने हेतु उद्बोधित किया। आचार्यश्री के पावन पाथेय के उपरान्त साध्वीप्रमुखाजी व साध्वीवर्याजी का उद्बोधन हुआ। अनेक तपस्वियों को आचार्यश्री ने उनकी तपस्याओं का प्रत्याख्यान कराया।
बालिका धृति दूगड़ ने अपनी बालसुलभ प्रस्तुति दी। ‘बेटी तेरापंथ की’ में संभागी बने दोहिता बालक प्रेक्षित जैन ने अपनी गीत को प्रस्तुति दी। मोटेरा-ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भी अपनी प्रस्तुति दी। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के ज्ञानशाला प्रकोष्ठ के अंतर्गत ‘शिशु संस्कार बोध भाग-4 का नवीन संस्करण आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में लोकार्पित किया गया। ‘बेटी तेरापंथ की’ सम्मेलन में संभागी बनी इन्दौर की बेटियों ने भी पूज्य सन्निधि में अपनी प्रस्तुति देते हुए अपने संकल्पों की राखी गुरुचरणों में समर्पित की। यह संकल्प देश भर से लगभग 700 बेटियों ने इन संकल्पों को स्वीकार कर रखी हैं। आचार्यश्री के मंगलपाठ के साथ आज का कार्यक्रम सुसम्पन्न हुआ।