अस्तित्व बोध के बिना आत्म कल्याण असंभव :आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनि जी

सूरत,आत्म भवन बलेश्वर।
“मनुष्य अपने अस्तित्व का बोध किए बिना आत्म कल्याण नहीं कर सकता। वह जीवनभर शरीर और धन के पीछे भागता है लेकिन यह समझना जरूरी है कि वह इस संसार में क्यों आया है। अस्तित्व बोध के बिना आत्मा की मुक्ति संभव नहीं,” उक्त विचार आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. ने आत्म भवन, बलेश्वर सूरत से अपने दैनिक प्रवचन में व्यक्त किए।
आचार्य श्री ने नाशिक एवं कुप्पकला ध्यान केंद्र में चल रहे ऑनलाइन आत्म ध्यान शिविर के सातवें दिन साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि आश्रव कर्मों के आने का मार्ग है जबकि संवर उसे रोकने का मार्ग है। आत्म ध्यान शिविर कर्म निर्जरा की उत्कृष्ट साधना है। जो व्यक्ति ध्यान साधना कर रहा है वह सौभाग्यशाली है। जीव में अनंत शक्तियां और आठ गुणों की संपदा है, लेकिन कर्म रूपी बादल आत्मा के गुणों को ढक देते हैं।
उन्होंने कहा कि जहां-जहां स्थानक है, वहां प्रतिदिन एक घंटे का ध्यान अनिवार्य रूप से होना चाहिए। ध्यान में मन, वचन और काया से कोई क्रिया नहीं करनी है बल्कि भगवान की वाणी का मनन कर अनादिकाल के मिथ्यात्व को तोड़ने का प्रयास करना है।
प्रमुख मंत्री मुनि श्री शिरीष जी
प्रमुख मंत्री श्री शिरीष मुनि जी म.सा. ने कहा कि मनुष्य अनादिकाल से पुद्गल शरीर और उससे जुड़े संसार का चिंतन करता आ रहा है जबकि शरीर परिवर्तनशील है। आत्मा शाश्वत है और उसे किसी पुद्गल की आवश्यकता नहीं होती।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपनी दिनचर्या का अवलोकन करे कि वह चौबीस घंटे में किसका चिंतन अधिक कर रहा है। यदि स्वभाव में रहता है तो कर्म निर्जरा करता है और विभाव में रहने से कर्मों का बंधन होता है। स्वभाव ही धर्म है और विभाव की प्रवृत्ति को रोकने का प्रयास करना चाहिए।
शुभम मुनि जी की संगीतमय प्रस्तुति
सहमंत्री श्री शुभम मुनि जी म.सा. ने “मोक्षपुरी अपना घर है, चलो वहीं सब जाएं” मधुर भजन प्रस्तुत कर वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया।
सचिन से संजु रविप्रकाश पिछोलिया ने 9 दिन के उपवास का सफल प्रत्याख्यान लिया। शिवाचार्य आत्म ध्यान फाउंडेशन की ओर से तपस्वी का शॉल और माला से सम्मान किया गया।