अजमेर दादावाड़ी में दादा गुरुदेव की 871वीं पुण्यतिथि पर भव्य आयोजन,
जिनोद्धार की ऐतिहासिक घोषणा एवं जिनोद्धार समिति की ऐतिहासिक बैठक संपन्न

सूरत/अजमेर।अजमेर स्थित जिनदत्तसूरी दादावाड़ी में दादा गुरुदेव की 871वीं पुण्यतिथि पर विशाल मेले का आयोजन किया गया। जीनोद्वार समिति के देशभर के 108 सदस्यों से 74 सदस्य उपस्थित रहे साथ ही कई गुरु भक्त भी आए मद्रास,बेंगलुरु,कन्नूर,कोलकाता,जयपुर,बाड़मेर,सूरत,ब्यावर,बड़ौदा,अहमदाबाद,राजिम,नागपुर,रायपुर,दुर्ग,बीकानेर,जोधपुर,मालवा,उज्जैन,दिल्ली,केशकाल,बालाघाट,राजनंदगांव,कोटा,कोयंबतूर,कच्छ,गांधीधाम आदि से पधारे हजारों श्रद्धालु गुरुभक्तों ने दादा गुरुदेव के चरणों में भक्ति भाव से वंदन किया और पुण्यलाभ प्राप्त किया।
इस अवसर पर दादावाड़ी जिनोद्धार समिति की महत्वपूर्ण बैठक प.पू.छतीसगढ़ श्रृंगार नमी उन तीर्थ प्रणेंता,खरतर वसई पालीताणा प्रेरक खरतरगच्छाचार्य श्री जिनपियूषसागर सूरीश्वरजी म.सा.के शिष्य प.पू.सम्यक रतनसागर म.सा.आदि ठाणा,प.पू. विचक्षणश्री जी म.सा.की शिष्या साध्वीश्री मनोहरश्री म.सा.आदि ठाणा की निश्रा में आयोजित हुई। समिति के संयोजक भीमराज बोहरा(जयपुर),सह-संयोजक विक्रम पारख,महेन्द्र लूनिया सहित ललित नाहटा दिल्ली,पदमचंद नाहटा कोलकत्ता,रिखबचंद बोथरा राजिम, बाबूलाल संकलेचा,चंपालाल बोथरा सूरत,महेन्द्र गादिया(उज्जैन),संदीप चोपड़ा(अध्यक्ष महिदपुर), गंभीरचंद संचेती(वारासिवनी),श्री बाबूलाल मंडोवरा (सिंणधरी ),रतनलाल हालावाला(अध्यक्ष अहमदाबाद),बाबूलाल मालू (अहमदाबाद),
बाबूलाल डोसी (जयपुर),विजयराज झाबक (कोयंबटूर) ने आपने छह-छह नुकरे लिए।श्री अनिल पारख (जयपुर), प्रदीप छाजेड़ (कोटा), प्रभात धारीवाल(नागपुर),प्रकाश गोलेच्छा (रायपुर),अभय सेठिया (बालाघाट),संतोष कटारिया केशकाल),नरेश डाकलिया (अध्यक्ष छत्तीसगढ़ महासंघ, राजनांदगांव), पारस धारीवाल (जोधपुर), श्री अमृतलाल छाजेड़ (अध्यक्ष जैन श्रीसंघ बाड़मेर), मदन मालू (कानासर), श प्रकाश संकलेचा (बाड़मेर), श्री सुपार्श्व गोलेच्छा (रायपुर), श्री मुकेशजी गोलेच्छा (चेन्नई), श्री लक्ष्मीचंदजी बच्छावत (चेन्नई) और सुशीला जी बोहरा सहित अनेक गणमान्य गुरु भक्त उपस्थित रहे।
बैठक में अजमेर दादावाड़ी के भव्यता भव्य जिनोद्धार हेतु सूरत,नवसारी,अहमदाबाद,मुंबई, भावनगर,नवसारी आदि शहरों के अलग-अलग आर्किटेक्ट्स द्वारा तैयार प्रस्तावित नक्शे समिति के समक्ष प्रस्तुत किए गए। साथ ही पाँच सोमपुरा विशेषज्ञों द्वारा बनाए गए अद्वितीय शिल्पकला आधारित डिज़ाइनों को भी दिखाया गया,ताकि मंदिर-दादावाड़ी और पूरा परिसर पारंपरिकता व आधुनिकता का सुंदर संगम बन सके।
प्रस्तावित भव्य जिनोद्धार में -मंदिर-दादावाड़ी का दिव्य निर्माण,सभा मंडप,साधु-साध्वी उपाश्रय,आवासीय कक्ष,भोजनशाला,धर्मशाला, प्याऊ,भाता घर संघ कक्ष,स्वागत कक्ष,कार्यालय एवं संग्रहालय जैसी सुविधाएँ बनाने की विस्तृत घोषणा हुई,जो प.पू.आचार्य और.पू.साध्वीश्री की दिव्य कल्पना से प्रेरित है।
जिनोद्धार के अलग अलग नुकरे,मंदिर-दादावाड़ी,खाद मुहूर्त,शिलान्यास, मंदिर दादावाडी की शिलाएँ,माँ पद्मावती,भोमियाजी आदि के शिलाये, भोजनशाला,धर्मशाला के कक्ष,प्याऊ,साधु-साध्वी के उपाश्रय,80-100 रूम की 2 आवासीय व्यवस्था,भाता घर आदि के लाभ लेने हेतु देशभर से आए गुरु भक्तों ने नुकरे के लाभ लेने की पडापडी से नाम लिखा दादा गुरुदेव के चरणों में अर्थ समर्पण कर अद्भुत श्रद्धा का परिचय दिया। इस दौरान एक श्रद्धालु ने पूरी दादावाड़ी का संपूर्ण लाभ लेने की भावना व्यक्त की,परंतु समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि दादा गुरुदेव का लाभ सभी संघों को समान रूप से मिले,इसलिए उन्हें विशेष रूप से भोजनशाला का सम्पूर्ण लाभ दिया गया। उनके उदार भावों की सभी ने अनुमोदना की और इस निर्णय से दादा भक्ति के गौरवशाली इतिहास का पुनरावलोकन हुआ।
प.पू.सम्यक रतनसागर म.सा.ने अपने दिव्य प्रवचन में दादा गुरुदेव के चमत्कार,अजमेर दादावाड़ी के ऐतिहासिक प्रसंग और जिनोद्धार की विस्तृत योजना का भावपूर्ण वर्णन करते हुए सभी गुरुभक्तों से एकजुट होकर इस पुण्य कार्य में सहभागी बनने का आह्वान किया।
शीघ्र ही प.पू.आचार्य जिनपियूषसागर म.सा. से मुहूर्त लेकर जिनोद्धार कार्य प्रारंभ कर इसे गति प्रदान की जाएगी।यह भव्य जिनोद्धार न केवल अजमेर, बल्कि सम्पूर्ण खरतरगच्छ समाज का गौरव बढ़ाएगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनेगा। आप सभी को विदित हो की हरिपुरा दादावाड़ी में अंधों को आंखे मिली थी इसे प्रभावक दृष्टांत संघ का गौरव बढ़ते है।