
सूरत। जागरूक नागरिक और सूरत एयरपोर्ट एक्शन कमेटी के अध्यक्ष संजय इझावा ने एक चेतावनीभरा पत्र जारी कर सूरत एयरपोर्ट की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने 2020 के कोझिकोड और हालिया अहमदाबाद विमान हादसों का उल्लेख करते हुए कहा कि सूरत एयरपोर्ट पर यदि तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई तो यहां भी बड़ा हादसा सिर्फ समय की बात होगी।
पत्र में सूरत एयरपोर्ट की सात बड़ी तकनीकी और संरचनात्मक कमजोरियों को चिन्हित किया गया है, जो भविष्य में जानलेवा दुर्घटनाओं का कारण बन सकती हैं। इझावा ने संबंधित विभागों, एअरपोर्ट अथॉरिटी, DGCA व केंद्र सरकार से तत्पर हस्तक्षेप की मांग की है।
प्रमुख खामियाँ इस प्रकार हैं:
➤ रनवे की अधूरी उपयोगिता: सूरत एयरपोर्ट का रनवे भले ही 2905 मीटर लंबा है, लेकिन वेसु दिशा से लैंडिंग के लिए केवल 2250 मीटर ही उपयोगी है। यह लंबाई एयरबस-320 जैसे विमानों के लिए भी सीमित है। वर्ष 2019 में स्पाइसजेट की Q-400 फ्लाइट रनवे पार कर RESA तक जा चुकी है।
➤ ऊंची अवरोधक इमारतें: वेसु दिशा में कई ऊंची इमारतें उड़ान मार्ग में बाधक बनी हुई हैं, जिनकी ऊंचाई 0.30 से 16.40 मीटर तक है। कोहरा या कम दृश्यता में ये इमारतें दुर्घटनाओं का सीधा कारण बन सकती हैं।
➤ ONGC की पुरानी गैस पाइपलाइन: रनवे विस्तार में बाधक यह SBHT गैस पाइपलाइन 2015 में अपनी डिज़ाइन आयु पूरी कर चुकी है। अधिकारियों द्वारा बक्स कल्वर्ट की इजाज़त न देना एक गंभीर अड़चन है। भविष्य में यदि कोई विमान ओवरशूट हुआ तो ये पाइपलाइन जानलेवा साबित हो सकती है।
➤ डुमस दिशा में ILS प्रणाली का अभाव: वर्तमान में ILS केवल वेसु साइड (रनवे 22) पर है, जबकि कई लैंडिंग डुमस दिशा (रनवे 04) से भी होती हैं। खराब मौसम में पायलटों को दिशा-संकेत के लिए ILS अत्यंत आवश्यक है, इसका अभाव भी दुर्घटना का कारण बन सकता है।
➤ झींगा तालाब व बर्ड हिट खतरा: सूरत एयरपोर्ट देश के बर्ड हिट के मामले में शीर्ष पर है। इसके पीछे आसपास मौजूद झींगा पालन केंद्र व जलाशय हैं, जिनसे बड़ी संख्या में पक्षी आकर्षित होते हैं। सूरत में वर्ष 2019-20 में 14 बर्ड हिट की घटनाएं दर्ज हुईं।
➤ डुमस साइड की अवैध ऊंची इमारतें: रनवे विस्तार (3810 मीटर) मास्टर प्लान के अनुसार संभव नहीं हो पा रहा क्योंकि डुमस साइड पर कई अवरोधक निर्माण हो चुके हैं, जिन्हें AAI ने NOC भी जारी कर दी थी।
➤ रनवे के नीचे पुरानी सीवेज लाइन: पुराने प्राकृतिक ड्रेनेज को रनवे के नीचे RCC बॉक्स ड्रेन में बदला गया है, जो अब अत्यधिक भार वहन की स्थिति में असुरक्षित हो सकता है। यह रनवे की संरचनात्मक स्थिरता पर प्रश्नचिन्ह है।
संजय इझावा ने कहा – “क्या एयरपोर्ट अथॉरिटी, नगर निगम व अन्य जिम्मेदार संस्थाएं किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही हैं? जब देश के दो बड़े विमान हादसे हो चुके हैं, तब भी अगर सूरत में सुधार नहीं हुआ तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?”
पत्र में उन्होंने नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, DGCA और राज्य सरकार से मांग की है कि वे बिना समय गंवाए इन सात खतरों को दूर करने के लिए ठोस और सार्वजनिक कार्रवाई करें।