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बहुश्रुत की पर्युपासना कल्याणकारी : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

विसनगरवासियों ने मानवता के मसीहा का किया भव्य स्वागत

-9 कि.मी. का विहार कर विसनगर में पधारे शांतिदूत

-शाश्वत लक्जरियस पूज्यचरणों से हुआ पावन, श्रद्धालुओं ने दी भावनाओं को अभिव्यक्ति

18.05.2025, रविवार, विसनगर, मेहसाणा :

तपती गर्मी के मौसम में जन-जन के मानस को आध्यात्मिक अभिसिंचन प्रदान करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी गुजरात की पग-पग की धरा को पावन बना रहे हैं।

आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ निरंतर गतिमान हैं। रविवार को प्रातः की मंगल बेला में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी देणाप से मंगल प्रस्थान किया। लोगों को आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री अपने गंतव्य पथ पर गतिमान हुए। लगभग 9 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री विसनगर में श्रद्धालु जनता आचार्यश्री के स्वागत में भव्य जुलूस के रूप में उपस्थित थी। स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री विसनगर में स्थित शाश्वत लक्जरियस में पधारे। स्थान से संबंधित लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया।

महावीर समवसरण में आयोजित मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री के पधारते ही उपस्थित जनता ने बुलंद स्वर में जयघोष किया। जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। काफी देर से आचार्यश्री के दर्शन की प्रतीक्षा करने वाली ब्रह्मकुमारी पिंकी बहन ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए आचार्यश्री का अभिवादन किया। आचार्यश्री ने उनके प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना की।

शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने विसनगर की उपस्थित जनता को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को बहुश्रुत की पर्युपासना करनी चाहिए। इसके माध्यम से आदमी के इह लोक से लेकर परलोक तक हित हो सकता है और सुगति की प्राप्ति भी हो सकती है। श्रमण धर्म के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए त्यागी साधु की पर्युपासना करना आवश्यक होता है। साधुओं के दर्शन भी अच्छे होते हैं। साधु तो तीर्थ के समान होते हैं। त्यागी, संयमी व त्यागी साधु होता है तो उसके दर्शन से पाप भी झड़ता है और ज्ञान प्राप्त होने से उसके जीवन का कल्याण भी हो सकता है।

कई बार आदमी अज्ञान के अभाव में दुःखी बना रह सकता है। ज्ञानी साधु के सम्पर्क में आने से ज्ञान का विकास हो जाए और कोई विशेष ज्ञान प्राप्त हो जाए तो आदमी अपने दुःखों से पार पा सकता है। वर्तमान में हम सभी को सबसे दुर्लभ मानव जीवन प्राप्त है। मनुष्य जीवन से परम पद को भी प्राप्त किया जा सकता है। संतों की प्रेरणा से संयम व तप के पथ पर आगे बढ़ने से आदमी की आत्मा निर्मल बन सकती है।

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त शाश्वत ग्रुप्स की ओर से श्री प्रिंस पटेल, श्री लालाभाई पटेल ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। क्षेत्र की तेरापंथ महिला मण्डल ने गीत का संगान किया। श्री फूलचंदभाई छाजेड़, जैन संघ की ओर से श्री राहुलभाई शाह, श्री बाबूभाई बासनवाला ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। गणधर चौपड़ा परिवार की ओर सुश्री कनक चौपड़ा ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। बालक अंश व माही छाजेड़ ने बालसुलभ प्रस्तुति दी।

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