
सूरत, 6 अप्रैल। घोड़दौड़ रोड पर रहने वाले रिटायर्ड बैंक मैनेजर को 48 दिनों तक “डिजिटल अरेस्ट” में रखकर खुद को टेलीकॉम विभाग, दिल्ली क्राइम ब्रांच और CBI अधिकारी बताकर डराने-धमकाने वाले साइबर ठगों के गिरोह की महिला सहित दो आरोपियों को सूरत साइबर क्राइम सेल ने अहमदाबाद से गिरफ्तार किया है।
साइबर क्राइम सेल से मिली जानकारी के अनुसार, घोड़दौड़ रोड क्षेत्र में रहने वाले 67 वर्षीय रिटायर्ड बैंक सीनियर मैनेजर (नाम बदल दिया गया है) को 11 जनवरी 2025 को एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को टेलीकॉम विभाग, दिल्ली से राहुल शर्मा बताया। इसके बाद ठगों ने दिल्ली क्राइम ब्रांच के सीनियर ऑफिसर प्रधान राजेश, IPS अधिकारी सुनील गौतम और CBI अधिकारी प्रदीपसिंह के रूप में पहचान दी।
इन फर्जी अधिकारियों ने रिटायर्ड मैनेजर को बताया कि उन पर 6.89 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है, और जल्द ही उन्हें कस्टडी में लिया जाएगा। इस तरह 48 दिनों तक डरा-धमकाकर उन्हें डिजिटल अरेस्ट में रखा और कुल 1.01 करोड़ रुपये ठग लिए।
इस मामले में सूरत साइबर क्राइम सेल ने अहमदाबाद से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया –
1. कैलासबेन अनिलभाई करमशीभाई भंडेरी (उम्र 46, निवासी: इंद्रजीत पार्क सोसायटी, निकोल गांव, अहमदाबाद; मूल निवासी: दितला गांव, सावरकुंडला, अमरेली)
2. रीधेश रमेशभाई वशरामभाई अंटाला (उम्र 30, निवासी: सहजानंद एवेन्यू, निकोल, अहमदाबाद; मूल निवासी: गीगासन गांव, धारी, अमरेली)
पुलिस जांच में सामने आया कि कैलासबेन के बैंक खाते में फ्रॉड के 25 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए थे। इसमें से 2 लाख रुपये की राशि फरार आरोपी हुसैन (निवासी: मुजफ्फराबाद, उत्तर प्रदेश) को कमीशन के रूप में दी गई थी, जबकि रीधेश को 22 हजार रुपये कमीशन मिला था।
रीधेश ने पुलिस को बताया कि उसने कैलासबेन का बैंक खाता कमीशन के बदले हुसैन को सीधे मिलकर सौंपा था। पुलिस अब फरार आरोपी की तलाश कर रही है और आगे की जांच जारी है।