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“जिनशासन के अमर अध्याय” का भव्य मंचन: बाड़मेर के बच्चों ने दिखाई धर्म, त्याग और राष्ट्रभक्ति की गाथा

सूरत।बाड़मेर जैन श्रीसंघ के बच्चों ने पूज्य संयम सारथी,शासन प्रभावक,खरतरगच्छआचार्य श्री जिनपीयूष सागर सूरीश्वर जी म.सा. के चातुर्मास के अंतर्गत, एक अविस्मरणीय सांस्कृतिक कार्यक्रम “जिनशासन के अमर अध्याय – बीते युग से आने वाले युग तक” प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम ने श्रावको को धर्म, त्याग और राष्ट्रसेवा की गौरवशाली गाथाओं से परिचित कराया और गहरी प्रेरणा दी।
प्रेरणादायक नाट्य प्रस्तुतियों ने मन मोहा।बच्चों ने कई ऐतिहासिक प्रसंगों का सजीव मंचन किया।
आचार्य अभयदेवसूरी जी का प्रसंग: बाल कलाकारों ने दिखाया कि कैसे आचार्यश्री ने कुष्ठ रोग से पीड़ित होने पर भी हार नहीं मानी। शासनदेवी माता के मार्गदर्शन से उन्होंने पार्श्वनाथ प्रतिमा का अभिषेक कर रोगमुक्ति पाई और “नवांगी टीका” जैसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथ की रचना पूरी की। यह प्रस्तुति विपरीत परिस्थितियों में भी धर्म के प्रति अटूट निष्ठा का संदेश देती है।
* *भामाशाह का त्याग :* महाराणा प्रताप की सेना के लिए भामाशाह ने अपना संपूर्ण खजाना राष्ट्र को समर्पित कर दिया। इस प्रस्तुति ने दर्शाया कि जैन श्रावक न केवल धर्मपरायण होते हैं, बल्कि राष्ट्रभक्ति में भी अग्रणी रहे हैं। *
* अमरचंद बांठिया का बलिदान:* बच्चों ने रानी लक्ष्मीबाई के सेनापति अमरचंद बांठिया के बलिदान को दर्शाया। उन्होंने अंग्रेजों के सामने झुकने से इनकार किया और फांसी का वरण किया, जिससे पूरा सभागार भावुक हो गया।
* विभाजन-कालीन श्रावकों की आस्था: भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान, जैन श्रावकों ने अपनी करोड़ों की संपत्ति छोड़कर मंदिरों की प्रतिमाओं और शास्त्रों को बचाने की प्राथमिकता दी। इस प्रस्तुति ने धर्म के प्रति उनकी सच्ची लगन और अटूट श्रद्धा को उजागर किया।
आधुनिक चुनौतियों पर कटाक्ष
इन ऐतिहासिक प्रस्तुतियों के बाद, बच्चों ने आधुनिक समाज की चुनौतियों पर भी ध्यान केंद्रित किया:
* “सावधान श्रावक “: इस नाटक में दिखाया गया कि कैसे आज का श्रावक दिखावे के लिए त्याग करता है। वे होटल का त्याग कर ऑनलाइन अपवित्र भोजन मंगाते हैं और सिनेमा छोड़ घर पर ही Netflix पर वही सब देखते हैं। यह प्रस्तुति दिखावे की भक्ति पर एक प्रभावी चेतावनी थी और इसने आत्मशुद्धि पर जोर दिया।
* मोबाइल का प्रभाव : अंतिम प्रस्तुति ने मोबाइल के अत्यधिक उपयोग पर कटाक्ष किया। “क्या मोबाइल ही जीवन है?” जैसे सशक्त संवादों ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया और उन्हें परिवार, रिश्ते और धर्म को प्राथमिकता देने का संदेश दिया।

संपूर्ण कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि सच्चा धर्म केवल दिखावे से नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, त्याग और सच्ची भक्ति से आता है। बाड़मेर जैन श्री संघ के वरिष्ठ सदस्य श्री चम्पालाल बोथरा ने बच्चों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि ये प्रस्तुतियाँ आज के युवाओं को इतिहास से जोड़कर धर्म और राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव जगाती हैं।
इस शानदार कार्यक्रम का संचालन प्रतिभा बोथरा और सह-संचालन मनीषा जैन ने किया। मंच पर कुल 60 बच्चों ने हिस्सा लिया, जिनमें कनिष्का, अक्षिता, नव्या, याशिका, लक्षिता, लक्षिता-2, ऋषिका, काव्या, पीहू, आंगी, ख़ुशी, पहल, दिशा, जिनग्या, खवाहिश, परिका, नेहा, मानवी, अक्षरा, सक्षम, हार्दिक, हर्ष, राहुल, यश, कार्तिक, जीविका, ऐंज़ेल, सिद्धार्थ, आर्यन, अंश, दिव्यांश, जैनम, धीरेंन, काव्या, रौनक, विवान, मोती, हितांश, मयंक, वंदन, निकिता, करण, ओजस, वीर, मोक्ष, श्लोक, रौनक, नव्या, ऋषभ, कुशल, वंश, सिद्ध, आयुष, अनुज, अर्णव, गौरव, धीरू, वीरोनी जैसे अनेक बाल कलाकार शामिल थे। दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से बच्चों का खूब उत्साहवर्धन किया।

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