खरतरगच्छ का इतिहास गौरवशाली-आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वर
खरतरगच्छ की परम्परा ही हमारे जीवन का आधार-खरतरगच्छाधिपति

केएमपी द्वारा खरतरगच्छ दिवस पर हुआ भव्य नाटिका मंचन का कार्यक्रम
बाड़मेर 30 जुलाई। कोटड़िया-नाहटा ग्राउण्ड स्थित सुधर्मा प्रवचन वाटिका में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ चातुर्मास कमेटी के तत्वाधान में संघ शास्ता वर्षावास 2025 का चातुर्मास खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्रीजिनमणिप्रभसूरीश्वर म.सा. की पावन निश्रा व बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभाश्री व श्रमण-श्रमणीवृन्द के पावन सानिध्य में बुधवार आचार्यश्री ने कहा कि जैन धर्म में खरतरगच्छ का अपना एक गौरवभरा अतीत है। अतीत की रोशनी हमें अनादिकाल तक रोशन करती रहेगी। संघ में अनेक महापुरुष हुए जिन्होंने अपनी बौद्धिक प्रतिभा, अनूठी क्षमता व समर्पण से इतिहास का नवसर्जन किया। हमें खरतरगच्छ संघ के महापुरुषों से प्रेरणा लेकर बेहतर भविष्य का निर्माण करना है। आज सबके लिए गौरवशाली दिवस है पूरे हिंदुस्तान में जहां-जहां भी हमारे साधु-साध्वी विराजमान है। लगभग सभी जगह गर्व व सम्मान की दृष्टि से आज के दिन के परम प्रभावी कारणों को स्मरण करते है। विक्रम संवत 1000 में पाटण नगरी की धरा पर खरतरगच्छ शब्द का उद्भव हुआ। जिनशासन के अनुरागी और विशाल-विराज खरतरगच्छ रहा है। अनेकों के दानी, ज्ञानी, शूरवीर महापुरुष इस गच्छ में हुए। विक्रम सं. 1000 से लेकर आज तक में खरतरगच्छ के आचार्य भगवंत व अनुयायियों ने ऐसा अद्भुत कार्य किया जो जानने और समझने योग्य हैं।
बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभाश्री ने कहा कि भगवान महावीर के शासन में रहना ही अपने आप में एक अनुठा आनन्द है। वो भगवान महावीर जिसने ढाई हजार वर्ष पहले ही बता दिया था कि पानी में भी जीव है। केवल धर्म ही नही वैज्ञानिक पद्धति में भी जैन धर्म के नियमों को श्रेष्ठ माना जा रहा है। ऐसे जैन धर्म एवं खरतरगच्छ के परिवार में जन्म लेना और फिर परमात्मा की सेवा,आराधना करते हुए स्वयं को कल्याण के मार्ग पर ले जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ इसके लिए में स्वयं को भाग्यशाली मानती हुं। मुनि मयूखप्रभसागर म.सा. ने कहा कि खरतरगच्छ के इतिहास में जो अध्याय लिखें जा रहे है उस अध्याय में आचार्यश्री के सानिध्य में उसे देखना ही अपने आप में पुण्य कर्म का प्रताप है। वर्तमान खरतरगच्छाधिति की सेवा का जो अवसर प्राप्त हुआ है वो शब्दों में बया नही सकता। खरतरगच्छ दिवस पर गुरू के आदेश की पालना करना ही मैं इस दिवस की सार्थकता मानता हुं। चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष अशोक धारीवाल व कोषाध्यक्ष बाबुलाल छाजेड़ कवास ने बताया कि बुधवार को चादर महोत्सव निमित दादा श्री जिनदतसूरी तप के तपस्वियों व सिद्धितप के तपस्वियों के बियासने का शाही पारणा शालीभद्र भोजन वाटिका में सम्पन्न हुआ। कमेटी के ट्रस्टी पवन छाजेड़ ठकोणी व मीडिया संयोजक कपिल मालू ने बताया कि बुधवार को तेले की तपस्या रियादेवी राजेन्द्र गोलेच्छा की रही और आयंबिल की तपस्या सुशीलादेवी मोहनलाल भंसाली की रही। चातुर्मासिक प्रवचन माला में कोयम्बटूर से विजयकुमार झाबक, खेतिया से महावीर बोथरा, कुशल झाबक, इरोड़ से गौतमचन्द छाजेड़ सहित कई गुरूभक्त बाहरी राज्यों से गुरूदेव के दर्शन करने बाड़मेर पहुंचे, जिनका कमेटी की ओर से लाभार्थी परिवारों द्वारा अभिनन्दन किया गया। संगीतकार गौरव मालू व सम्पतराज धारीवाल सनावड़ा द्वारा भजन प्रस्तुत किया गया। गुरूभक्त विजयकुमार झाबक ने विचार व्यक्त किए।