अज्ञान और मोह के कारण मनुष्य अपने आत्म स्वरूप को भूल जाता है-आचार्य डॉ. शिवमुनि
आत्म भवन, सूरत में आत्मबोध का संदेश : आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. ने दिया जीवन दर्शन का अनुपम संदेश

आत्म भवन, सूरत में आत्मबोध का संदेश : आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. ने दिया जीवन दर्शन का अनुपम संदेश
सूरत। आत्म भवन, बलेश्वर भवन में आयोजित धर्मसभा में आचार्य सम्राट डॉ. श्री शिवमुनि जी म.सा. ने अपने प्रभावशाली प्रवचन में जीवन के सारगर्भित संदेश देते हुए फरमाया कि जैसे कीचड़ में कमल खिलता है, उसी प्रकार मनुष्य भी संसार के मोह-माया में रहते हुए ध्यान साधना द्वारा आत्म कल्याण कर सकता है। उन्होंने समझाया कि दूध में मक्खन छुपा होता है, जिसे विशेष प्रक्रिया से निकाला जाता है, वैसे ही आत्मा और शरीर का भेद ध्यान द्वारा ही जाना जा सकता है। अज्ञान और मोह के कारण मनुष्य अपने आत्म स्वरूप को भूल जाता है Uलेकिन तीर्थंकर प्रभु के उपदेश से आत्मा का बोध होता है और सिद्धालय की ओर गति मिलती है।
आचार्य श्री ने वर्तमान समाज में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्तियों पर चिंता जताते हुए कहा कि कठिनाइयों में व्यक्ति निराश होकर आत्महत्या का विचार करता है, जो पूर्णत: अनुचित है। जीवन में जो भी कष्ट या संकट आते हैं वे हमारे पूर्व जन्म के कर्मों का परिणाम हैं। संयोग-वियोग, सुख-दुःख स्थायी नहीं हैं, यह जीवन का स्वाभाविक क्रम है। आत्महत्या से अनंत जन्मों तक दु:ख बढ़ता है, इसलिए जीवन में कभी भी निराश नहीं होना चाहिए।
उन्होंने आगे जैन दर्शन के तीन प्रमुख सिद्धांतों पर प्रकाश डाला—भेद विज्ञान, कर्म सिद्धांत और अनेकांतवाद। जो कुछ भी हमें प्राप्त होता है वह कर्म के अनुसार मिलता है, इसलिए कर्म को स्वीकार करें और दूसरों के मत का भी सम्मान करें। इन तीन सिद्धांतों को जीवन में उतारने से दुःख पास नहीं फटकता।
प्रमुख मंत्री श्री शिरीष मुनि जी म.सा. ने फरमाया कि आत्मा के बोध के अभाव में जीव संसार में भटकता रहता है। सद्गुरु ही मोह की पट्टी हटाकर जागृति प्रदान करते हैं। पुद्गल में लिप्त व्यक्ति बार-बार जन्म-मरण के चक्र में फँसता है। जब तक सच्चा आत्मबोध नहीं होगा, तब तक शांति संभव नहीं।
युवा मनिषी व मधुर स्वर के धनी श्री शुभम मुनि जी म.सा. ने “क्या है मेरा स्वरूप कभी मैंने इस पर किया विचार नहीं…” भावपूर्ण भजन की प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं को आत्मचिंतन में डुबो दिया।
इस अवसर पर मुंबई से ऑनलाइन जुड़े 16 वर्षीय नमन हितेश मेहता ने 10 उपवास का प्रत्याख्यान लिया तथा अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने विविध त्याग-प्रत्याख्यान स्वीकार किए।
सभा के दौरान अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद चलथान की कार्यकारिणी ने उपस्थित होकर आगामी 17 सितम्बर 2025 को आयोजित होने वाले मेगा ब्लड डोनेशन कैम्प के बैनर का विमोचन आचार्य श्री के पावन सान्निध्य में किया और अपने भाव प्रकट किए।
धर्मसभा में राजपुरा, लुधियाना, दिल्ली सहित विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालुगण उपस्थित होकर आत्मकल्याण का संदेश ग्रहण कर कृतार्थ हुए।