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मर्यादा जहां जहां टूटी है वहां विनाश ही हुआ-आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वर

कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे-खरतरगच्छाधिपति

आज करेंगे आचार्यश्री आमजन की शंकाओं का समाधान

बाड़मेर 18 जुलाई। संसार का सार है मर्यादा, जहां मर्यादा टूटी है वहां विनाश हुआ है। सृष्टी के रचियता से लेकर, धरा पर रहने वाले समस्त प्राणियों को मर्यादा का ख्याल रखना होता है। मानव और दानव के बीच केवल एक ही फर्क है आप सबको पता है। जीवन में विनय के गुण को अपनाएं ये आपके पास आ गया तो फिर सफलता आपके चरणों में रहेगी।

ये बात दैनिक प्रवचन माला के दौरान शुक्रवार को कोटड़िया-नाहटा ग्राउण्ड स्थित सुधर्मा प्रवचन वाटिका में खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्रीजिनमणिप्रभसूरीश्वर म.सा. ने कही। उन्होंने कहा कि मारवाड़ में कहावत हैं कायदे में रहोगंे तो फायदे में रहोगे। ये वही कायदा है जिसे विनय कहते है। विनय एक ऐसा गुण जो पराए को भी एक पल में अपना बना लेता है। विनय एक ऐसी ताकत है जो कठिन से कठिन राह को भी आसान कर देता है। जीवन की सफलता का मूल मंत्र ही विनय है, जिसके पास विनय है वो ना केवल सफल रहेगा उसके पास सारे सुख होंगे। गौतम स्वामी के जीवन को पढे आपको समझ आएगा कि विनय के रास्ते उन्होंने वो शिखर पा लिया जिसके कारण हम आज भी उन्हें ना केवल याद करते वरन हम उनकी पूजा अर्चना करते हुए उनसे विनय मांगते है। आप देखिए हम जिनके शासन में रह रहे है वो परमात्मा भगवान महावीर के सबसे प्रिय थे गौतम स्वामी। अगर विनय आपके पास है तो मर्यादा स्वतः ही आ जाएगी। मर्यादा आ गई तो संस्कार अपने आप आ जाऐंगे। आज भी महापुरूषों को याद क्यों करते है एक ही कारण है कि विनय एवं मर्यादा के साथ एक माइल स्टोन सेट किया जिसका सफर व्यक्ति समय-समय पर करता है।

खरतरगच्छ संघ चातुर्मास कमेटी के सचिव बाबुलाल बोथरा हेमरत्न व ट्रस्टी प्रकाशचन्द सेठिया ने बताया कि चातुर्मास कमेटी के तत्वावधान में शुक्रवार को दादा जिनदतसूरी तप के 300 तपस्वियों का पारणा शालीभद्र भोजन वाटिका में हुआ, ये तपस्या 31 दिन की तपस्या है। चातुर्मास कमेटी की ओर से तपस्वियों को तपस्या की सुखशाता पुछी गई। चातुर्मास कमेटी के उपाध्यक्ष ओमप्रकाश भंसाली व मीडिया संयोजक कपिल मालू ने बताया कि आज शनिवार को शंका-समाधान पर प्रश्न जवाब आयोजित होगा, जिसमें प्रत्येक संघ के व्यक्ति के प्रश्न का जवाब दिया जायेगा, जिसका पेटिका सुधर्मा प्रवचन वाटिका में रखी गई है, उसमें पेज पर लिखकर डाल दे। रविवार को क्विज कम्पीटिेशन प्रतियोगिता रखी गयी है।

आराधना भवन में बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभाश्री की निश्रा प्रतिदिन स्वाध्याय शिविर चालू है। जैन श्री संघ के सचिव किशनलाल वडेरा द्वारा 23 जुलाई को जैन श्री संघ के तत्वाधान में सामुहिक रूप से ओसवाल स्थापना दिवस में निश्रा प्रदान करने के लिए विनती की गई। शुक्रवार को तेले की तपस्या मांगीदेवी बाबुलाल लूणिया की रही और लड़ी आयंबिल की तपस्या परमेश्वरीदेवी बाबुलाल संखलेचा की रही। दादा श्री जिनकुशलसूरी ट्रस्ट ब्रह्मसर तीर्थ अध्यक्ष दानमल डूंगरवाल जोधपुर से गुरूदेव के दर्शन को पधारे कमेटी की ओर से स्वागत किया गया। सिद्धितप की तपस्या की पहली दूसरी सिढी के तौर पर तर्पिस्वयों की उपवास की तपस्या।

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