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मोक्ष का मार्ग है ज्ञान, दर्शन, चारित्र व तप : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण

अहमदाबाद-चातुर्मास के दौरान इन चारों की आराधना को आचार्यश्री ने किया अभिप्रेरित

-चातुर्मास की स्थापना के संदर्भ में आचार्यश्री ने कराया जप का प्रयोग

-चतुर्दशी के संदर्भ में हाजरी के क्रम को किया संपादित

-आचार्यश्री के स्वागत में आज भी श्रद्धालुओं ने दी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति

09.07.2025, बुधवार

 कोबा, गांधीनगर।जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता,भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ गुजरात राज्य के लगातार दूसरे चतुर्मास के लिए गुजरात की राजधानी गांधीनगर के कोबा में स्थित प्रेक्षा विश्व भारती में 6 जुलाई को प्रविष्ट हुए। स्वागत समारोह का आयोजन हुआ। फिर ‘आचार्य भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष’ के शुभारम्भ समारोह का आयोजन हुआ। बुधवार को चातुर्मासिक चतुर्दशी के संदर्भ में लगभग एक घंटे जप का प्रयोग कराया। यह आध्यात्मिक जप का क्रम अहमदाबादवासियों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करने वाला था।

बुधवार, आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी को प्रातः ‘वीर भिक्षु समवसरण’ के मंच पर किसी महासूर्य की भांति उदित हुए युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की अनुज्ञा से उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ ने तिक्खुत्तो विधि के द्वारा आचार्यश्री की अभिवंदना की। तदुपरान्त आचार्यश्री इस वर्ष की चतुर्मास की स्थापना के संदर्भ में लोगस्स आदि अनेक मंत्रों के जप का क्रम चलाया। लगभग एक घंटे तक चले इस जप से मानों पूरा वातावरण विशुद्ध बन गया।

तदुपरान्त तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी समुपस्थित जनता को पावन प्रबोध प्रदान करते हुए कहा कि हमारी दुनिया में दो प्रकार के मार्ग हैं- एक मोक्ष का मार्ग है और दूसरा संसार का मार्ग है। गलियां, रास्ते, हाइवे, नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे आदि मार्ग होते हैं। मोक्ष मार्ग आत्मा को मोक्ष की ओर ले जाने वाला होता है। शास्त्र में बताया गया है कि मोक्ष की दिशा में ले जाने वाला चतुरंगीण है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप ये चारों मोक्ष के मार्ग है। मोक्ष को प्राप्त करने के लिए ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप की परम आवश्यकता होती है, अपेक्षा होती है। चारों के मिलन से मोक्ष का मार्ग बनता है।

 

मोह संसार का मार्ग है और अमोह की साधना मोक्ष का मार्ग बन जाता है।चातुर्मास आज लगने वाला है। मोक्ष मार्ग की चार बातें और चतुर्मास में चार महीने हैं। चतुर्मास कभी आषाढ़ शुक्ला पूर्णिमा को लगता है और कभी-कभी आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी को भी लगता है। इस बार का चतुर्मास आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी को अर्थात् आज लग रहा है। पूरे वर्ष में चतुर्मासकाल का अपना महत्त्व होता है। ये चार महीने स्थिरता के होते हैं। चातुर्मास धार्मिक-आध्यात्मिक साधना का अच्छा क्रम चल सकता है। इसमें धर्माराधना का अच्छा क्रम चले। इसमें ज्ञानाराधना का अपने ढंग से अच्छा क्रम चलाने का प्रयास करना चाहिए। ज्ञानशाला का अच्छा क्रम चले। उपासक श्रेणी भी अच्छे तत्त्वज्ञान का विकास हो। उनकी संख्या का विकास होता रहे। ज्ञानाराधना के संदर्भ में अनेक उपक्रम भी चल रहे हैं। सम्यक् दर्शन के लिए कषाय मंदता का प्रयास-अभ्यास हो। समीक्षात्मक बुद्धि जितनी प्रबल होती है, दर्शन का विकास हो सकता है। यथार्थ के प्रति श्रद्धा हो। दीक्षा स्वीकार कर लेना, सामायिक करें, संवर करें, सीमाकरण का प्रयास हो तो चारित्राराधना हो सकती है। चतुर्मास के दौरान भांति-भांति रूप से तपः आराधना भी की जा सकती है। आदमी को इन चारों मार्गों पर चलते हुए मोक्ष की दिशा में गति करने का प्रयास हो।

आज चतुर्मास लगने वाली चतुर्दशी है। इसमें हाजरी का क्रम रहता है। आचार्यश्री ने हाजरी के क्रम को संपादित किया। आचार्यश्री ने चातुर्मास की संपन्नता के बाद 6 नवम्बर को प्रेक्षा विश्व भारती से विहार कर गांधीनगर में पधारने और 9 नवम्बर को प्रान्तिज में आदि क्षेत्र में पधारने सहित 6 फरवरी 2026 को जैन विश्व भारती, लाडनूं में योगक्षेम वर्ष के लिए प्रवेश करने की घोषणा कर की।

तत्पश्चात उपस्थित चारित्रात्माओं ने अपने स्थान पर खड़े होकर लेखपत्र का उच्चारण किया। अनेक तपस्वियों ने अपनी-अपनी धारणानुसार आचार्यश्री से तपस्या का प्रत्याख्यान किया। मुनि अक्षयप्रकाशजी ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ युवक परिषद-अहमदाबाद ने स्वागत गीत का संगान किया। जय तुलसी फाउण्डेशन के श्री बाबूलाल सेखानी, अणुव्रत समिति-अहमदाबाद की ओर से श्री डिम्पल श्रीमाल ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।

 

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