त्याग-तपस्या की ज्योत जलाकर सूरत को और खूबसूरत बनाना है – साध्वी प्रो. डॉ. मंगलप्रज्ञाजी
भव्य मर्यादा रैली के साथ तेरापंथ भवन सिटीलाइट में हुआ चातुर्मासिक प्रवेश

सूरत।महातपस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की प्रबुद्ध शिष्या, विदुषी साध्वी प्रो. डॉ. मंगलप्रज्ञाजी का आज सिटीलाइट स्थित तेरापंथ भवन में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश विशाल मर्यादा रैली के साथ हुआ। देवराज रेजिडेंसी, न्यू सिटी लाइट से प्रारंभ हुई यह रैली तेरापंथ भवन तक भव्यता के साथ निकली, जिसमें श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा सूरत के साथ युवक परिषद, महिला मंडल, अणुव्रत समिति, उपासक श्रेणी, प्रोफेशनल फोरम, कन्या एवं किशोर मंडल, ज्ञानशाला के बच्चे सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
प्रवेश के उपरांत आयोजित स्वागत समारोह में अपने प्रेरक उद्बोधन में साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी ने कहा कि यह दिन सूरत के लिए पुण्य प्रभात समान है, क्योंकि यह आचार्यश्री के आदेश की पूर्णता का दिन है। सूरत सिल्क व डायमंड नगरी होने के साथ धार्मिक दृष्टि से भी जागरूक है। उन्होंने कहा कि यह केवल हमारा प्रवेश नहीं, बल्कि गुरु-दृष्टि का प्रवेश है। रैली केवल आयोजन नहीं, बल्कि तेरापंथ की मर्यादा, गौरव और संस्कृति का प्रतीक है। उन्होंने आगे कहा कि आचार्य भिक्षु की 300वीं जन्म जयंती के उपलक्ष्य में कल से प्रारंभ हो रहे तीन दिवसीय समारोह के दौरान सभी त्याग और तपस्या का दीप जलाकर सूरत को आध्यात्मिक सौंदर्य से अलंकृत करें।
साध्वी श्री मधुबालाजी के उधना चातुर्मास से साध्वी मंजुल यशाजी विशेष रूप से पहुंचीं और साध्वी श्री मंगलप्रज्ञाजी की जीवन यात्रा और सेवाओं का परिचय देते हुए कहा कि वे जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनूं की पूर्व कुलपति रह चुकी हैं तथा समण श्रेणी की प्रमुख नियोजिका के रूप में तेरापंथ धर्मसंघ को ऊंचाइयों तक ले गईं। उनकी विद्वता से सूरत के श्रद्धालु निश्चित ही प्रेरणा ग्रहण करेंगे।
इस अवसर पर महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। साध्वीवृंद द्वारा सामूहिक गीत एवं संवाद की रोचक प्रस्तुति दी गई। तेरापंथी सभा के मंत्री महेंद्र गांधी मेहता ने संचालन करते हुए सभी का आभार प्रकट किया। सभा अध्यक्ष हजारीमल भोगर ने स्वागत भाषण दिया। समाज के विभिन्न संगठनों ने साध्वीश्री का अभिनंदन कर संयुक्त भावांजलि अर्पित की।