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GST दरों में बदलाव से कपड़ा उद्योग पर प्रभाव : बुनकरों, प्रोसेस हाउस और व्यापारियों को राहत, इमीटेशन जरी निर्माताओं पर बोझ

सूरत। वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद् द्वारा हाल ही में की गई दरों में बदलाव का कपड़ा उद्योग पर सीधा असर पड़ा है। कपड़ा उद्योग से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों—बुनकर, प्रोसेस हाउस, टेक्सटाइल ट्रेडर्स, बॉक्स निर्माता और इमीटेशन जरी निर्माता—पर इसका भिन्न-भिन्न प्रभाव पड़ा है।

बुनकर वर्ग  को सबसे अधिक राहत मिली है। पॉलिएस्टर और अन्य यार्न पर GST 5% कर दिए जाने से अब inverted duty structure की समस्या समाप्त हो जाएगी। बुनकर अब पूंजीगत वस्तुओं और सेवाओं पर लिए गए पुराने इनपुट टैक्स क्रेडिट  का उपयोग भविष्य में कर पाएंगे। साथ ही, Effluent Treatment Plant सेवाओं पर GST 5% कर दिए जाने से गंदे पानी के शोधन की लागत कम होगी। वहीं, Solar Power Generating Systems पर भी 5% की दर लागू होने से बिजली की लागत में कमी आएगी, जिससे उत्पादन प्रतिस्पर्धी होगा।

प्रोसेस हाउस  की स्थिति भी बेहतर हुई है। हालांकि जॉब वर्क पर दर में कोई बदलाव नहीं होने से inverted duty structure बना रहेगा, लेकिन कोयले पर GST 18% कर दिया गया है और इसके साथ ही पहले लगाया जाने वाला ₹400 प्रति मीट्रिक टन का मुआवजा उपकर (Compensation Cess) समाप्त कर दिया गया है। इससे कुल मिलाकर उनकी लागत कम होगी क्योंकि उन्हें पूरा ITC मिलेगा। इसके अलावा, Effluent Treatment Plant सेवाओं पर 5% GST लागू होने, पैकिंग के लिए उपयोग में आने वाले Corrugated और Non-corrugated Boxes पर 5% GST और सोलर पावर सिस्टम पर 5% दर से बिजली लागत में कमी आएगी।

टेक्सटाइल ट्रेडर्स को भी राहत मिली है। पैकिंग बॉक्स पर 5% GST लागू होने से पैकिंग लागत घटेगी। ₹2,500 तक के परिधानों पर GST 5% रखने से बिक्री बढ़ने की संभावना है। साथ ही, कुछ तकनीकी वस्त्रों  की दर 12% से घटाकर 5% कर दिए जाने से उनके दाम सस्ते हो गए हैं, जिससे व्यापार में तेजी की उम्मीद है।

बॉक्स निर्माता अब inverted duty structure में आ गए हैं। कारण यह है कि कागज पर GST 18% है जबकि तैयार बॉक्स पर केवल 5%। इस स्थिति में उन्हें रिफंड का लाभ मिलेगा, जिससे नकदी प्रवाह सुधरेगा।

दूसरी ओर, इमीटेशन जरी निर्माताओं को राहत नहीं मिल पाई है। मेटालिक यार्न पर GST 5% कर दिए जाने से कुछ हद तक राहत मिली है, लेकिन पॉलिएस्टर/कोटेड फिल्म पर 18% दर कायम रहने से ITC का बड़ा संचय  होगा और रिफंड न मिलने से नकदी फंस जाएगी। इसके अतिरिक्त, जॉब वर्क (Ch. 50 से 63 के अतिरिक्त) पर दर 12% से बढ़ाकर 18% कर दी गई है, जिससे ITC का और अधिक संचय होगा तथा उद्योग को नकदी संकट का सामना करना पड़ेगा।

कुल मिलाकर देखा जाए तो बुनकर, प्रोसेस हाउस और टेक्सटाइल ट्रेडर्स के लिए यह निर्णय राहतभरा है। बॉक्स निर्माताओं को भी रिफंड का लाभ मिलेगा। लेकिन इमीटेशन जरी उद्योग के लिए यह बदलाव प्रतिकूल साबित हुआ है, क्योंकि inverted duty structure और रिफंड की सीमाओं के चलते उनका ITC फंस जाएगा।

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