सूरत में “एक राष्ट्र – एक शिक्षा नीति” की गूंज, हजारों नागरिकों ने सौंपा ज्ञापन

सूरत।नेशन फर्स्ट (साकेत) के आह्वान पर अठवा लाइंस स्थित कलेक्टर कार्यालय पर हजारों नागरिक, समाजसेवी, व्यापारी, महिलाएँ और युवा एकत्र हुए और मुख्यमंत्री श्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई कि धार्मिक व विभाजनकारी शिक्षा पर रोक लगाकर पूरे देश में कक्षा 1 से 12 तक समान, तकनीकी और रोजगारोन्मुख शिक्षा लागू की जाए।
कार्यक्रम में नारे गूंजे—“एक देश, एक शिक्षा नीति लागू करो।” वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य डिग्री नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण होना चाहिए। उन्होंने बल दिया कि भारत को विश्वगुरु बनाए रखने के लिए शिक्षा धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और समान अवसर देने वाली होनी चाहिए।
व्यापारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, प्राचार्यों, शिक्षकों, महिलाओं और युवाओं ने आंदोलन का समर्थन किया। वक्ताओं ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) और शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE-2009) का पालन सुनिश्चित करने की मांग की।
इस अवसर पर सांवर प्रसाद बुधिया, रणछोड़भाई डोलिया, सुशील पोद्दार, नानालाल शाह, विक्रम सिंह शेखावत, एड. हेमंत देसाई, अशोक टिबङेवाल, एड. नटुभाई पटेल, कैलाश हाकिम, प्रकाश बिंदल, सुरेश मालपानी, धीरु भाई सवाणी, विनोद जैन, कविता दूबे, लता जैन सहित अनेक वरिष्ठजन व पदाधिकारी मौजूद रहे।
सूरत का यह विशाल ज्ञापन कार्यक्रम समाज का स्पष्ट संदेश था कि राष्ट्रहित में “एक राष्ट्र – एक शिक्षा नीति” समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।