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शंका श्मशान से भी बुरी है-आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वर

भगवान ने भी कष्टों को सहन किया है, तभी तीर्थकर बनें-खरतरगच्छाधिति

आचार्यश्री ने शंका-समाधान प्रश्नो के उत्तर प्रवचन माला में दिए जवाब

आराधना भवन का होगा जीर्णाेद्वार, सर्व सम्मति से हुआ निणर्य

आज ‘‘परिवार में शांति कैसे हो, परिवार में प्यार का रंग कैसे बिखरे‘‘ पर होगा विशेष प्रवचन

बाड़मेर। कोटड़िया-नाहटा ग्राउण्ड स्थित सुधर्मा प्रवचन वाटिका में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ चातुर्मास कमेटी के तत्वाधान में संघ शास्ता वर्षावास 2025 का चातुर्मास खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्रीजिनमणिप्रभसूरीश्वर म.सा. की पावन निश्रा व बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभाश्री व श्रमण-श्रमणीवृन्द के पावन सानिध्य में शनिवार को आचार्यश्री ने श्रावकों द्वारा प्रश्नो के उत्तर देते कहा कि शंका श्मशान से भी बुरी है, श्मशान में व्यक्ति मरने के बाद जाता है मगर शंका और शक व्यक्ति को जीते जी मार देता है। इसलिए हमारा प्रयास है कि हम श्रावक-श्राविकाओं की शंकाओं का समाधान करें। शंकाओं के समाधान होने से बडे कर्म बन्धनों से बचा जा सकता है। श्रावक का सवाल आदिनाथ प्रभु का वर्षीतप अपने आप हो गया था तो क्या हमें वर्षीतप करना चाहिए क्यो करना चाहिए! आचार्यश्री ने कहा कि परमात्मा द्वारा किए गए कार्य ही हमारें प्रेरणा है। उन्हे जिसके कारण जन्मजन्मातर से मुक्ति प्राप्त करते हुए परमात्मा पद को प्राप्त किया वही तो हमारी प्रेरणा है। श्रावक का सवाल किया कि साधु जीवन में परमात्मा की पूजा क्यों नही होती है, दीक्षा के समय मुमुक्षु से अंतिम पूजा क्यों करवाई जाती है।

आचार्यश्री ने कहा कि साधु जीवन में पूजा तो होती है, हम रोज पूजा करते है! असल में हमने पूजा शब्द का अर्थ द्रव्य में मान लिया है। साधु भाव पूजा का नियम होता है, जो परमात्मा को केशर पूजा होती है उसी द्रव्य पूजा कहा जाता है, जो साधु के पास द्रव्य नही हो है तब साधु जीवन में भाव पूजा होती है। साधु और ग्रहस्थ में अंतर है। अपने गुस्से पर नियत्रंण कैसे रखें! इस पर आचार्यश्री ने कहा कि ये एक दिन में नही होगा पर लगातार प्रयास से हो जाएगा। जैसे विज्ञान कहता है कि जब गुस्सा आए तब एक से दस तक की गिने। धर्म कहता है कि इन्द्रियों पर काबु रखने का प्रयास करें जल्द ही इस पर काबु पा लेंगे। चातुर्मास कमेटी के सचिव बाबुलाल बोथरा हेमरत्न व कोषाध्यक्ष बाबुलाल छाजेड़ कवास ने बताया कि चातुर्मास प्रवचन के दौरान चातुर्मास कमेटी द्वारा सर्वसम्मति से आराधना भवन को वर्तमान भवन पुननिर्माण कर जिर्णोद्वार के लिए निर्णय लेकर आचार्यश्री को निश्रा प्रदान करने की विनती की गई। आचार्यश्री ने हृदय के भावों से विनती स्वीकार करते हुए कहा कि यह काम सिर्फ एक आदमी का नही है ये पुरे संघ का काम है, संघ को एकता के साथ इस आराधना भवन के जीर्णोद्वार में भागीदारी निभानी है और आचार्यश्री ने कहा कि आराधना भवन का पहले निर्माण प्रखर व्याख्यात्री साध्वी हेमप्रभा श्रीजी म.सा. की प्रेरणा से हुआ था, जिसके जीर्णोद्वार के बाद पुराने जितने लाभार्थी परिवारों और प्रेरणादात्री साधु-साध्वी के नाम पट्ट पर सुव्यवस्थित अंकित किए जायेंगे।

शनिवार को आराधना भवन में बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभाश्री की निश्रा में दोपहर 03.00 से 04.00 बजे तक महिलाओं का शिविर आयोजित हुआ, जिसमें 300 महिलाओं ने भाग लिया। चातुर्मास कमेटी के ट्रस्टी विनीत हालावाला व मीडिया संयोजक कपिल मालू ने बताया कि शनिवार को तेले की तपस्या मांगीदेवी पवनकुमार मालू की रही और आयंबिल ममता मदनलाल बोथरा की तपस्या की रही।

चातुर्मासिक प्रवचन माला में गुरूभक्त बीकानेर खरतरगच्छ संघ अध्यक्ष अजीतराज खजांची, कंचन खजांची, जैन श्री संघ रामसर अध्यक्ष मोहनलाल मालू सांचोर, बालोतरा खरतरगच्छ संघ अध्यक्ष गौतमचन्द बोथरा, गजेन्द्र संखलेचा, पुरूषोतम धारीवाल, बंशीधर मालू जनता, मूलचन्द महाजन, सहित कई गुरूभक्त बाहरी राज्यों से गुरूदेव के दर्शन करने बाड़मेर पहुंचे, जिनका कमेटी की ओर से लाभार्थी परिवारों द्वारा अभिनन्दन किया गया। संगीतकार गौरव मालू द्वारा भजनों से खरतरगच्छ संघ झूम उठा। खरतरगच्छ संघ द्वारा तपस्वियों की सुखसाता पुछी गई। आज होगा चादर महोत्सव तप के तपस्वियों का शाही पारणा।


आज होंगे विशेष कार्यक्रमः- चातुर्मास कमेटी के ट्रस्टी सोहनलाल चैपड़ा ने बताया कि रविवार को कोटड़िया नाहटा ग्राउण्ड स्थित सुधर्मा प्रवचन वाटिका में ‘‘परिवार में शांति कैसे हो, परिवार में प्यार का रंग कैसे बिखरे‘‘ पर विशेष प्रवचन प्रातः 09.15 बजे से प्रारम्भ होगा व दोपहर में 02.00 बजे ‘‘भक्ति रंग लाग्यो‘‘ प्रतियोगिता का आयोजन मुनिराज मधुरप्रभसागरज म.सा. की प्रेरणा से होगा, जिसमें 15 वर्ष से 50 वर्ष तक आयु के बालक-बालिकाएं, पुरूष व महिलाएं भाग लेंगे।

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