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काव्यमय सिंजारे में बरसी साहित्यिक सरिता, महिलाओं ने कविताओं से रिझाया मन

सूरत। महिला काव्य मंच ‘मन से मंच तक’ की मासिक काव्य गोष्ठी सूरत में शकुन डागा के निवास पर उत्साहपूर्वक आयोजित हुई। गोष्ठी का शुभारंभ मां वीणा पारिणी की सामूहिक आराधना के साथ हुआ। इसके बाद शकुन डागा ने मधुर स्वागत गीत प्रस्तुत कर वातावरण को सुरमय बना दिया।

गोष्ठी में एक से बढ़कर एक कवियों ने अपनी भावनाओं को सुंदर शब्दों में पिरोया। रेणुका जी ने जीवन के अनुभव साझा करते हुए प्रेरक काव्य पाठ किया। कुलदीप चावला ने प्रगाढ़ प्रेम भावनाओं से सजी रचना सुनाई, तो सुमन लता शर्मा ने सावन के गीतों के माध्यम से जीवन की विभिन्न अवस्थाओं पर प्रकाश डाला। वीना बंसल ने कश्मीर यात्रा के अनुभवों को काव्य में ढालकर प्रस्तुत किया।

मंजू मित्तल ने जिंदगी के संघर्ष और ईश्वर में आस्था को अपनी कविता में उकेरा। प्रतिभा बोथरा ने महिला काव्य मंच के महत्व को चंद पंक्तियों में प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया। रंजन बोकड़िया ने समय के महत्व को दर्शाते हुए सुंदर कविता सुनाई, जबकि बिंदु शर्मा ने समय के उतार-चढ़ाव को शब्दों में पिरोया।

सुमन शाह के मुक्तकों ने समा बांध दिया और राधा-कृष्ण के प्रेम की अनूठी छवि प्रस्तुत की। डॉ. सुषमा अय्यर ने “रेत” कविता से जीवन की क्षणभंगुरता का बोध कराया और हास्य रस में “रुमाल का महत्व” भी सुनाया। अंजना लाहोटी ने मां शारदे के साथ संवाद के भावुक क्षण सुनाए, वहीं उपाध्यक्ष निम्मी गुप्ता ने “तौलिए का दुखड़ा” कविता सुनाकर हास्य का पिटारा खोल दिया।

रजनी जैन ने पावस ऋतु की सुंदरता को शब्दों में सजाया और सावन की रूमानी फुहारों से सभी को सराबोर किया। मंच की अध्यक्षा डॉ. पूनम गुजरानी ने “सुनो पुरुष” के माध्यम से स्त्री के विभिन्न स्वरूपों को जीवंत किया और “पचास के बाद जरा इतराने लगी हूं” कविता से खूब तालियां बटोरी।

कार्यक्रम में विशेष प्रस्तुति के रूप में रजनी जैन ने कवि दलपत कड़ेता की रचना “कहानी शिक्षक की” का सजीव काव्य पाठ कर सराहना पाई। कार्यक्रम का समापन राजेश डागा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। सावन के सिंजारे और कविताओं की फुहारों से श्रोता देर तक रस विभोर रहे।

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